सोमवार, 20 अप्रैल 2009

महारानीजी को राम याद आए

कल समाचार चेनलो तथा आज समाचार पत्रों में सबसे चटपटी ख़बर थी, सोनिया गाँधी को भगवान राम की याद आई , मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, यह चमत्कार केसे हुवा; मुझे वो कहावत याद आ गई , सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। महारानीजी जी की पार्टी तो राम जन्म भूमि पर एक भव्य मन्दिर बनानेके लिए बाबरी मस्जिद गिराने की घटना को सबसे शर्मनाक घटना बताती हे ; इसके लिए वो बीजेपी, वि अच् पि, आर अस अस , आदि की जम कर आलोचना करती हे, । महारानीजी की पार्टी के कई सदस्य तो वहां निर्मित अस्थाई मन्दिर को तोड़कर फ़िर से मस्जिद बनाने की बात करतें हें। सत्ता का लालच क्या क्या नहीं करवाता , वो सत्ता का लालच ही तो था, जब महारानीजी,तथा उनकी पार्टी ने अपनी सरकार बचाने ऐसे लोगो का साथ दिया जो राम सेतु तोड़ना चाहते थे, अदालत में कहा कि राम तो कभी हुए ही नहीं। क्यों कांग्रेस पार्टी को सत्ता का लालच आ गया कि सत्ता के लिये तो उसे राम याद आगये , सत्ता मिलते ही वो राम को भूल राम मन्दिर तथा राम सेतु को तोड़ने कि बात करेगी। वेसे इसमें समाचार चेनलों के दोहरे मापदंड भी सामने आतें हे , जब बीजेपी राम मन्दिर कि बात करती हे तब पत्रकार कुटिलता से सवाल करतें हे कि बीजेपी को चुनाव के वक्त ही राम क्यों याद आते हें, वो कहते हे "बीजेपी ने फ़िर अलापा राम मन्दिर का राग। परन्तु किसी ने कांग्रेस कि महारानी से नही पूछा कि राम के होने को ही नकारने वालों को चुनाव के समय राम कि याद कसें आई। समाचार चेनलों ने तो इस बात को ऐसे प्रसारित किया जेसे राम को याद कर सोनिया गांधीजी ने देश पर अहसान किया हो। हो सकता हे वो पत्रकारों कि भी महारानी हो। पर हमें तो हमारे विवेक से असली तथा मज़बूरी के राम भक्तों का निर्णय करना हे, तथा ऐसे लोगों को इतना समर्थन देना होगा जो वास्तव में राम जन्मभूमि पर भगवान राम मन्दिर बनाना चाहतें हों, तथा उनको किसी पर निर्भर न रहना पड़े।