शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे को सोनिया का समर्थन--सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली.

कल समाचार चेनल पर समाचार की कुछ  लाइन चलती देख ताजुब हुवा कि अन्ना हजारे को सोनिया गाँधी का समर्थन, सोनिया ने भ्रस्टाचार से निबटने के लिए कड़े कानून कि जरुरत बताई तथा कड़ा कानून बनाने कि सरकार से अपील क़ी तथा अन्ना से अनशन समाप्त करने क़ी अपील क़ी. ताजुब क़ी ही तो बात हे, जो पार्टी देश में भ्रस्टाचार क़ी जननी मानी जाती हे,आजादी के बाद पचास से ज्यादा वर्षों तक जिस पार्टी ने देश पर राज किया, जिस पार्टी के राज में भ्रस्टाचार फला फुला उस पार्टी क़ी मुखिया अब कड़े कानून क़ी जरुरत बता रही हे, तथा अपनी ही सरकार से कड़ा कानून बनाने क़ी मांग कर रही हे. सोनिया गाँधी क़ी छत्र छाया तथा उनकी आग्या अनुसार देश में अब तक क़ी भ्रस्टतम सरकार चल रही हे, भ्रस्टाचार तथा देश का पैसा लूटने के उनकी सरकार  के मंत्रिओं नेताओं के नित नए एक से बढ़कर बड़े घोटाले सामने आ रहे हे, यह बात सोनिया गाँधी को मालूम न हो यह तो असंभव ही हे. हो सकता हे उन्हें जानकारी के साथ साथ उनकी हिस्सेदारी भी शायद मिलतीहो, जब देश में किसी भी मंत्रालय का कोई भी विज्ञापन बिना किसी सरकारी पद पर होते हुए भी सोनिया गाँधी क़ी फोटो के नहीं छपता , देश के पी.एम से लेकर कोई भी मंत्री तक बिना सोनिया गाँधी के आदेश के कोई काम नहीं कर सकता , उन सोनिया गाँधी को सरकार के भ्रस्टाचार क़ी जानकारी न हो, हे न ताजुब क़ी बात. सोनिया गाँधी ने तब भ्रस्टाचार से निबटने के लिए कठोर कानून क़ी जरुरत क़ी  क्यों नहीं मांग क़ी जब कात्रोची को  देश का धन उसके बैंक खाते से रोक हटाकर ले जाने दिया गया, जो  शायद उनके आदेश का सरकार के मंत्रियों ने पालन किया होगा. सोनिया गाँधी ने कड़े कानून क़ी जब मांग क्यों नहीं क़ी, जब इराक के साथ  तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में हुए घोटाले में उनका नाम उछला, उन्होंने तब भी कठोर कानून क़ी मांग नहीं क़ी जब उनकी सरकार के मंत्रियो के लगातार हजारों करोड़ के घोटाले उजागर हो रहें हे, उन्होंने जब उनके प्रधान मंत्री, गृह  मंत्री ने एक भ्रस्टाचार के आरोपी व्यक्ति को भ्रस्टाचार रोकने क़ी जिम्मेदार संस्था का सतर्कता आयुक्त बनाया, जबकि विपक्षी नेता ने उस व्यक्ति के घोटाले क़ी जानकारी पी.एम. को दी थी तब तो सोनिया गाँधी ने भ्रस्टाचार को संरक्षण देने में पूरा सहयोग दिया ताकि उनके तथा उनकी सरकार के लोगो के घोटालों को दबाया जा सके. जब ए़सी कांग्रेश क़ी मुखिया अना हजारे का समर्थन करे, भ्रस्टाचार के लिए कठोर कानून क़ी बात करे तो हे ना सही बात "सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली' --यहाँ समाचार चेनलों के अति ज्ञानी लोगो क़ी समझ पर शंका होती हे ,  क्या ये नासमझ हे या पक्षपाती,सोनिया गाँधी के व्यक्तव को इस तरह से पेश किया मानो देश में उन जेसा ईमानदार, बेदाग कोई हे ही  नहीं, जो वास्तव में भ्रस्टाचार क़ी समस्या से बेहद दुखी हे, तथा अन्ना हजारे के आन्दोलन का समर्थन कर देश का भला करना चाहती हे,  कांग्रेश पार्टी इस मायने में भाग्यशाली हे क़ी तमाम तरह क़ी असफलताओं, अनगिनत घोटालों, जनता क़ी बढती तकलीफों क़ी अनदेखी करने के बाद भी ज्यादातर मिडिया उनकी पार्टी क़ी मुखिया क़ी चमचागिरी वेसे ही करता हे जेसे उनकी पार्टी के बड़े नेता लेकर छोटे कार्यकर्ता करते हें. अन्ना हजारे में भी विनम्रता शायद जरुरत से ज्यादा हे, तभी तो जिसके विरुद्ध उनका आन्दोलन हे उनकी जरा सी अपील पर बड़ा बड़ा आभार व्यक्त करते हें. उन्हें समझना होगा ऐसे कामों के लिए केवल विनम्रता ही नहीं कठोरता भी जरुरी हे.