जब से ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने सेन्य कार्यवाही में मार डाला, भारत की जनता में यह सवाल चल रहा हे, कि क्या भारत भी अपने देश में आतंकी कार्यवाही करने वाले,पाकिस्तान में बेठे भारत के मोस्ट वान्टेड अपराधिओं जेसे दाउद इब्राहीम, हाफिज सईद जेसो पर इस तरह कि कार्यवाही कर सकता हे, क्या वह वेसी ही सजा इन आतंकियो को दे सकता हे जेसी सजा अमेरिका ने उसके देश में मात्र एक आतंकी वारदात करने पर बिन लादेन को दी. लगभग सभी समाचार चेनलों पर चर्चा करने वाले विभिन्न लोगों में से किसी ने भी यह नहीं कहा कि भारत भी ए़सी कार्यवाही कर सकता हे. सभी लोग यह मानते थे कि भारत सरकार ए़सी कार्यवाही कर ही नहीं सकती. सभी लोगो ने इसके लिए अलग अलग कारण बताये, सबके अपने अलग अलग तर्क थे, किसी ने कहा कि भारत सरकार में ए़सी इच्छा शक्ति ही नहीं हे, किसी ने कहा कि कूटनीति में भारत हमेसा कमजोर ही रहा हे,वेसे सही भी हे, छोटा से,कमजोर देश होने पर भी पाकिस्तान भारत को दुतकारता रहता हे, जबकि विशाल और शक्तिशाली सेना वाला देश भारत कायर और स्वार्थी नेताओं कि कमजोरी के कारण पाकिस्तान कि अनगिनत आतंकी कार्यवाहिओं से हजारों भारतीओं के मरने के बाद भी उससे सम्बन्ध सुधारने को लालायित रहता हे और उसे पुचकारता रहता हे, कि कहीं वह नाराज ना हो जाये. समाचार चेनलों पर चर्चा में किसी ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकी भेजता हे, भारत सिर्फ सबूतों के डोसियर भेजता हे. पाकिस्तान आतंकी कार्यवाही करता हे , हजारों भारतीय मरते हे, सरकार पाकिस्तान से कड़ा विरोध प्रकट करती हे,आतंकियो की सूचि भेज कर पाकिस्तान से अनुरोध करती हे की वो इन अपराधिओं को भारत को सोंप दे. दुनिया के दुसरे देशों से पाकिस्तान की कारस्तानी का रोना रोती हे, इस बात पर अपनी पीठ थपथपाती हे उसने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा ला दिया हे, की पाकिस्तान ही आतंकिओं की पनाहगाह हे, जेसे दुसरे देश जानते ही नहीं हो उनको भारत से ही पहली बार पता चला हे, खुद तो कोई कार्यवाही नहीं करेगा, अमेरिका व दुनिया के दुसरे देशों से पाकिस्तान के विरुद्ध कार्यवाही करने का निवेदन करेगा, इस तरह अपनी असहायता तथा कमजोरी का ढिंढोरा दुनिया भर में पिटेगा.सरकार हर आतंकी कार्यवाही के बाद आतंकियो पर कोई कार्यवाही नहीं होने तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं करने का वादा करती हे, पाकिस्तान अंगूठा दिखाता हे, कोई कार्यवाही नहीं करता, सरकार अचानक वार्ता की सुरुवात करती हे, प्रधानमंत्री जी भारत- पाक क्रिकेट मेच देखने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाते हे, जमकर उनकी खातिरदारी करते हे, यानि उन्हें खुस करने पूरी चापलूसी करते हे, सोचते हे भारत की जनता खुस होगी,शायद जनता को मुर्ख समझतें हे, पाकिस्तान को हराने पर जिस तरह भारत की जनता ने देश भर में जेसी खुसी प्रकट की उसे देख कर भी मनमोहन सिंह जी को यह समझ नहीं आया की भारत की जनता को खुसी पाकिस्तान को हराने में मिलती हे, उनसे वार्ता करने में नहीं.
समाचार चेनलों की चर्चाओं में शामिल ज्यादातर लोगो का मानना था की पाकिस्तान में बेठे आतंकियो पर कार्यवाही करने में सरकार में इच्छा शक्ति की कमी हे, पता नहीं क्यों किसी ने भी इसकी मूल वजह को क्यों नहीं बताया,जबकि देश की ज्यादातर जनता जानती हे की इसकी असली वजह मुस्लिम वोटों का लालच तथा मुस्लिम परस्ती की राजनीति.तथाकथित धर्म निरपेक्ष दल या नेता मुस्लिम लोगो चाहे आतंकी ही हो के विरुद्ध अगर कार्यवाही करेंगे तो सांप्रदायिक नहीं हो जायेंगे, क्या ऐसे लोग पाकिस्तान में बेठे आतंकिओं पर कार्यवाही करेंगे जो मोत की सजा पाए देश में मोजूद आतंकी को बचाने जी जान से लगें हो, तथा इसके लिए उलजलूल तर्क देते हो, मुंबई हमले में सेंकडों भारतीओं की मोत का गुनाहगार को जेल में सभी सुविधा दी जाती हो सिर्फ इसलिए की वो मुसलमान हे, क्या यह इच्छा शक्ति की कमी का मामला हे, नहीं इसकी वजह सिर्फ मुस्लिम वोटों का लालच हे, सरकार चलाने वाली कोंग्रेस पार्टी के नेता पुलिस कार्यवाही में मुस्लिम आतंकिओं के मरने पर हिन्दू पुलिस वाले को गलत ठहरातें हो, जिनको मुंबई हमलों में मुस्लिम आतंकी का मुकाबला करते हुए शहीद हुए पुलिस अधिकारिओं की मोत जिसे सारी दुनिया ने देखा में भी हिन्दुओं का शामिल होना नजर आता हो, जो कोंग्रेस पार्टी मुस्लिम आतंकियो के मरने पर उनके घर सहानुभूति प्रकट करने अपने नेता को भेजती हो, जो कोंग्रेस पार्टी ओसामा बिन लादेन जेसे मानवता के दुश्मन आतंकी के मरने पर अपने नेताओं द्वारा सन्माननीय शब्द लादेन जी का इस्तेमाल कर उनके प्रति सन्मान प्रकट कर उसे दफ़नाने में उसकी धार्मिक मान्यताओं का ख्याल नहीं रखने के लिए अमेरिका की आलोचना करवाती हो,(देश की सारी जनता जानती हे की कोंग्रेस में दिग्विजय सिंह सहित किसी भी की नेता की ओकात नहीं हे कि सोनिया गाँधी, या राहुल गाँधी कि सहमती के बिना कोई बात कह दे. ) क्या वो पाकिस्तान में बेठे आतंकियो पर सिर्फ इसलिए कार्यवाही नहीं करती की इच्छा शक्ति की कमी हे, जिस देश में धर्मनिरपेक्षता का मतलब मुस्लिम परस्ती हो, हिन्दू हित की बात करने वाले को सांप्रदायिक माना जाता हो, मुस्लिम लोग रेल डब्बे में आग लगाकर पचासों हिदुओं को जिन्दा जला दे को मामूली दुर्घटना मान कोई चर्चा नहीं, पर अपने निर्दोस साथियों को मार दिए जाने पर गुस्साए लोगो द्वारा प्रतिक्रिया स्वरुप दंगे कर मुस्लिमों को मार दे तो इतिहास का काला दिन,उसकी आलोचना दस वर्षों से लगातार जारी, उस कोंग्रेस पार्टी द्वारा भी जो देस भर में सिखों के नरसंहार कि दोषी हो.
में यह नहीं समझ पाया कि समाचार चेनलों पर चर्चा करने वालों में यह क्यों नहीं बताया कि देश में मोजूद जेल में बंद आतंकिओं को सजा दिलाने में भी क्या सरकार कि इच्छा शक्ति कि कमी ही कारण हे, कश्मीर में अलगाव वादी नेता खुले आम भारत कि आलोचना करते हे, भारत के झंडे जलाते हे दिल्ली कोलकता जेसे शहरों में सम्मलेन कर भारत विरोधिओं के साथ मिलकर भारत कि आलोचना कर चले जातें हे, सरकार चुपचाप देखती हे, क्या यह सिर्फ इच्छा शक्ति कि कमी कि बात हे, नहीं यह सिर्फ मुस्लिम लोगो के नाराज होने के भय से कोई कार्यवाही नहीं करना हे, मुस्लिम तुस्टीकरण कि राजनीति हे. सरकार को तो मुसलमानों के नाराज होने का भय था पर टी. वी. पर चर्चा करने वालो को किसका भय था, जो उन्होंने असली कारण का जिक्र तक नहीं किया था. कहीं उन्हें यह तो डर नहीं था कि अगर वो कहेंगे कि मुस्लिम आतंकियो के विरुद्ध सरकार का कार्यवाही नहीं करने कि वजह मुस्लिम वोटों का लालच हे, तो वो धर्मनिरपेक्ष से सांप्रदायिक बन जायेंगे, मुस्लिमों का जरा सा विरोध करते ही तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल, हिंदुत्व वादिओं को गाली देकर हिन्दुत्व विरोधी शक्तिओ द्वारा पलित और पोषित बुधिजीविओं, मानवाधिकार के नाम पर जनता, सेना या पुलिस के मरने पर नहीं आतंकियो के मरने या पकडे जाने पर उनके मानवाधिकारों में लिए चीखने चिल्लाने वालों कार्य कर्ताओं या हिन्दुओ को बदनाम करने कि राइ भर कि खबर को पहाड़ जेसे बना कर कई कई दिनों कि ब्रेकिंग न्यूज बनाकर देश के लगभग सभी हिंदुत्व वादी संघटनो को बदनाम करने को उतावले रहने वाले पत्रकारों, इन सभी कि आलोचनाओं का शिकार बन जायेंगे. शायद वो जानते हें देश में एसे लोगो कि कमी नहीं जिनमे मुस्लिम परस्ती के कारण किसी भी सच्चाई को देखने या सुनने का साहस नहीं हे, जसे वो गुजरात में नरेंदर मोदी द्वारा किये गए अभूतपूर्व विकास कार्यों को देखना या सुनना नहीं चाहतें अगर कोई व्यक्ति जो उनकी नज़रों में अच्छा होता हे, या कोई सच्चाई कहने कि हिम्मत रखने वाला नरेंदर मोदी कि सच्ची तारीफ कर देता हे, तो इन लोगो के लिए वह व्यक्ति आतंकियो से भी बड़ा अपराधी बन जाता हे, फिर तो हिंदुत्व विरोधिओं का यह संगठित गिरोह उसकी आलोचना में नीचता कि हदे भी पार कर लेता हे. शायद सरकार द्वारा मुस्लिम आतंकियो पर कार्यवाही नहीं करने कि असली वजह बताने के लिए समाचार चेनलों पर चर्चा करने वालों को ऐसे लोगो कि आलोचना का भय रहा हो. या वो सोचते हो कि अगर असली कारण बताएँगे तो शायद समाचार चेनल वाले दुबारा बुलाएँगे नहीं, इससे उनको अपनी कमाई छिन जाने का भय हो.
हमें यह सोचना हे कि डर से या अपने निजी स्वार्थ के कारण जो लोग सचाई का साथ नहीं देते क्या वो देश का भला कर रहें हे, पर हम तो समझतें हे, हमें अपने विवेक से निर्णय लेना हे कि हमें किसका साथ देना हे. हमारा सही निर्णय ही देश के लिए लाभदायक होगा .