रविवार, 24 अप्रैल 2011

कांग्रेस का दोगला चरित्र


आजकल देश में अन्ना हजारे तथा जन लोकपाल बिल कि ही सर्वाधिक  चर्चा हो रही हें, हमें  देश में हो रही ज्यादातर चर्चाओं कि जानकारी मिलने का प्रमुख साधन हें, समाचार चेनल. पहले जब अन्ना हजारे अनसन पर बेठे थे तब अन्ना का गुणगान समाचार चेनलों कि दिनभर कि खबरें थी. पहले अन्ना के आन्दोलन को मामुली और मजाक समझ कोई महत्व नही देने वाली कांग्रेश कि सरकार,  जब अन्ना के अनसन को मिले जबर्दस्त समर्थन से घबराकर अन्ना की सारी मांगे मानकर जन लोकपाल बिल बनाने की संयुक्त समिति बनाने की घोसणा तो कर दी, पर वो जानती थी की अगर यह बिल अन्ना के बताए तरिके से आया तो सबसे ज्यादा मुसिबत का कारण कोन्ग्रेसियों के लिए ही बनेगा. तब कोंग्रेश के नेताओं ने जनता के प्रतिनिधिओं को बदनाम करने अन्ना के आन्दोलन को कमजोर करने की जबर्दस्त मुहीम छेड दी. किसी को भी बदनाम करने के लिए उट पटांग आरोप लगाने तथा गडे मुर्दे उखाड़ने के माहिर दिग्विजय सिंह, समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद टीवी पर नही दिखने की छट पटाहत लेकर दरदर भटकते,बिना पूछ के भी कोंग्रेस का सहयोग करने को लालायत रहने वाले अमरसिंह ने जन कमेटी के सदस्यों पर हमले सुरु कर दिए. कोंग्रेस का यह कैसा दोगला चरित्र हें, एक तरफ तो कोंग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गान्धी अन्ना को पत्र लिख कर कहती हें, की भ्रस्टाचार से लडने की उनकी नियत पर शंका नही करें, मैने किचड उछालाने व बदनाम करने की राजनीति पर  कभी यकिन नहीं किया, न कभी इसका समर्थन किया, दुसरी तरफ उनकी पार्टी के ही वरिस्ठ नेता जन कमेटी  के सद्स्यों पर लगातार हमले कर अन्ना की मुहीम को विफल करने की सजिश कर रहें हें, अब मिडिया वालों के अलावा सारी आम जनता जानती हें कि कोंग्रेश पार्टी में सोनिया और राहुल कि मर्जी के बिना, या उनकी सहमति के बिना प्रधानमंत्री भी कुछ नही कर सकते तो फिर बेचारे दिग्विजय सिंह कि तो ओकत ही क्या हें. हाँ अपने को अति ज्ञानी मानने वाले मिडिया का  यह पक्षपात हें  या नासमझी वो इसके लिए सोनिया के गुणगान करने कि होड मचा देते हें.
     वेसे कोंग्रेस का दोगला चरित्र इन् दिनो लगातार सामने आ रहा हें, एक तरफ प्रधानमंत्री भ्रस्टाचार को देश के विकाश में बाधक तथा गरीबों को सबसे अधिक चोट पहुँचाने वाला  बताते हुए कहते हें कि सरकार इसे मिटाने के लिए वचनबद्ध हें, वहीं अपने ही मंत्रियो के भ्रस्टाचार को जानते हुए भी आँख मुन्दकर रह्ते हें, उन्हे देश कि जनता का धन लूटने कि पुरी आजादी देते हें, जहाँ तक संभव हो सकता हें उन्हे बचाने का पुरा प्रयास करते हें, भ्रस्टाचार को रोकने के लिए बनाई गई संस्थाओं का भ्रस्टाचार करने वालों को बचाने के लिए जमकर दुरुपयोग करते हें, यहाँ तक कि भ्रस्टाचार के आरोपी व्यक्ति को ही उसके भ्रस्टाचार के बारे मे विपक्षी नेता द्वारा जानकारी देने के बावजुद भी भ्रस्टाचार रोकने के लिए बनी सर्वोच् संस्था का प्रधान बना देते हें, जबतक झुठ का पुरी तरह पर्दाफास नहीं  होता उसे बचाने कि नाकम कोसिस भी करते हें, फिर भी वो भ्रस्टाचार से लडने कि  अपनी सरकार कि वचनबद्धता दोहराते रह्ते हें, यह हें कोंग्रेस का दोगला चरित्र. एक तरफ तो प्रधानमंत्री और सोनिया गान्धी भ्रस्टाचार  को रोकने के लिए कारगार कदम उठाने  तथा कडे कानून कि बात का दिन्डोरा पिट कर समाचार चेनलों कि वाहवाही लूटते हें, वहीं उनकी पार्टी के तथा उनके सहयोगी दलों के सदस्य 2 जी घोटाले कि जांच कर रही पी.ए. सी. के काम मे लगातार बाधायें पैदा कर रहें,मानाकी इस जांच के लिए जे. पी. सी. बन गई हें, पर अगर वास्तव मे ही उनकी सबसे बडी नेता का मकसद भ्रस्टाचार से लड़ना  तथा घोटालेबाजों का पता लगाना ही हें तो फिर दोनों तरह कि जांच हो तो क्या परेशानी हें, पर यहीं पर कोंग्रेस का दोगला चरित्र झल्कता हें, उनका असली  मकसद घोटालेंबाजों को सामने लाना नहीं बल्कि उन्हें बचाना  हें,क्योंकी पी. ए. सी. के प्रमुख विपक्षी नेता हें,   कोंग्रेस पार्टी को डर हें कि  उनकी जांच सत्ता पक्ष के भ्रस्ट नेताओं के चेहरे देश के सामने ला  सकती हें, 
सोनिया गान्धी तथा मनमोहन सिंह जी का भ्रस्टाचार से लड्ने कि बात कहना कितना झुठा और जनता के साथ धोका हें कि सर्वोच् न्यायालय कि बार बार फटकार के बावजुद भी विदेशों में  कालाधन जमा करने वालों के नाम बताने को तेयार नहीं हें, जो सरकार को मालुम हें, बेबुनियाद तर्क देकर सरकार भ्रस्ट लोगों को बचाने मे लगी हें, वो इसलिए क्योंकि अगर एसा हो गया तो शायद  कोंग्रेस पार्टी के भी सफेदपोश, बडे नेताओं के भ्रस्टाचार कि कलिख पुते असली चेहरे जनता के सामने आ जाएंगे,यह हें कोंग्रेस के सर्वोच् नेतृत्व का दोगला व बेइमान चरित्र, 
अभी किसी पुर्व न्यायाधिस ने राहुल गान्धी को पुछा कि भ्रस्टाचार के मुद्दे पर आप खामोश क्यों हें, राहुल गान्धी ने फरमाया कि वो भ्रस्टाचार को रोकने के लिए चुपचाप काम कर रहें हें, उन्हे हिरो बनने का शोख नहीं हें, धन्य हें कोंग्रेसियों के युवराज, वो बेचारे भ्रस्टाचार को मिटाने का चुपचाप काम कर रहें, पर जनता हें कि समझती ही नहीं हें, अन्ना हजारे और उनके साथी भी नहीं समझते जो कहते हें कि भ्रस्टाचार तेजी से बढ़ रहा हें, अब यह बेचारे राहुल गान्धी जी कि नासमझी ही हें कि वो चुपचाप भ्रस्टाचार से लड़ते रहे, अगर जनता को बता देते तो जनता को भी मालुम पड़ता कि राहुल गान्धी कि कोसिशों से इस इस जगह भ्रस्टाचार नहीं हो सका, पर जनता को राहुल जी का धन्यवाद तो देना ही चाहिए कि उनकी चुपचाप कोसिसों से देश मे अभी नजर आ रहा भ्रस्टाचार कम हें, वरना को भ्रस्टाचार इससे कई गुना अधिक होता. जहाँ तक हीरो बनने कि बात हें उनको तो मिडिया वाले जबर्दस्ती हीरो बना देते हें, किसी गरिब  के यहाँ खाना खाना हो, किसी आदिवासी के यहाँ रात बितानी हो, या किसी कलावती कि चर्चा संसद मे करनी हो, वो तो बेचारे यह् सब  करते तो चुपचाप ही हें, पर समाचार चेनल वाले मानते ही नहीं हें, उनकी सुनते ही नहीं हें, ठिक उसी तरह से जेसे दिग्विजय सिंह जैसे नेता सोनिया गान्धी तथा मनमोहन सिंह जी का अन्ना हजारे के आन्दोलन को पुरा समर्थन देने तथा उनके काम मे कोई बाधा नहीं डालने  का धिन्डोरा पिटने के बावजुद भी नहीं सुनते हें, तथा अन्ना तथा उनके साथिओं को बदनाम कर के उनकी मुहीम को कमजोर करने कि लगातार सजिश कर रहें हें. इसी तरह समाचार चेनल वाले भी राहुल गान्धी को उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हे जबर्दस्ती का हीरो बना देते हें,इस काम मे कई समाचार चेनल तो चापलूसी का इतना जबर्दस्त प्रदर्शन करते हें कई कोंग्रेस के छुट भई नेता उनकी चापलूसी को बेहद छोटा मानने लगतें हें अब इसे आप राहुल गान्धी का कैसा चरित्र कहेंगे क्या दोगला,  आप खुद निर्णय करें तथा अपने विवेक से कोंग्रेस पार्टी तथा खासकर उसके शिर्स नेतृत्व के चरित्र का विस्लेसन करें, अन्ध समर्थन की बजाय समझ दारी से हर पहलु पर चिन्तन कर देश हित को सर्वोपरी मानकर उचित चुनाव करें.  .