रविवार, 26 जून 2011

देश हित के कार्यों में शर्तें नहीं-- सबका सहयोग हो.



किसी  भी आन्दोलन कि सफलता के लिए जरुरी हे कि उसमे   देश कि सारी जनता कि भागीदारी हो, ऐसा प्रतीत हो कि इस आन्दोलन में आन्दोलन कर्ता  समाज के हर वर्ग, संगठन, राजनेतिक दल जो भी उस आन्दोलन कि मूल भावना से सहमती रखते हुए सहयोग करे उनका सबका का समर्थन व् सहयोग बिना किसी शर्त स्वीकार करे, और उनके सहयोग का सन्मान करे. अन्ना हजारे का आन्दोलन उनके तथा उनके साथिओं के अहंकार, व दोगले पन के कारण अपने लक्ष्य से भटकता प्रतीत हो रहा हे. इसी वजह से वो सरकार से हार रहें हे, या अन्य किसी कारण या उद्देश्य के हारना  पूर्व निर्धारित था कह नहीं सकते, यह कारण कोंग्रेश के इशारे पर  बाबा रामदेव के आन्दोलन को कमजोर करना भी हो सकता हे,. 
      लोकपाल मुद्दे पर अंतिम असफल मीटिंग के बाद एक हिन्दी समाचार चेनल पर बोलते हुए केजरीवाल जी फरमा रहे थे कि वो इस मुद्दे पर अन्य नेताओं के साथ साथ भाजपा के अडवाणी जी, सुषमा जी व अन्य नेताओं से मिले पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, उनको इसकी तो शिकायत थी पर वो अपने दोगले पन को भूल जाते हे, कि वो हर दम  संघ को गाली देते रहते हे, जो कि भाजपा का प्रमुख सहयोगी संगठन हे, संघ लगभग 85 साल पुराना संगठन हे जिसे  अपने कई सहयोगी संगठनो के माध्यम से देश के लगभग  35 से 40 करोड़ लोगो  का समर्थन हासिल हे, धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढ़े मुस्लिम परस्त मानसिकता वाले लोगो कि जमात में खड़े केजरीवाल व उनके साथिओं को क्यों अपेक्षा हे कि भाजपा उनके  आन्दोलन में सहयोगी बने तथा वो भाजपा तथा उनके  सहयोगिओं को अछूत समझे, शर्म कि बात यह हे कि हिन्दू संगठनो को कोसते रहने वाले, अमरनाथ यात्रा को गलत कहने वाले, कश्मीर को भारत से अलग करने कि इच्छा रखने वाले अलगाव वादियो तथा नक्शली आतंकियो को गले लगाने वाले स्वामी अग्निवेश जैसे लोग उनके साथी हो सकते हे, अभी स्वामी अग्निवेश ने कहा कि अन्ना को जो मिला वो बहुत माने, अब आन्दोलन ना करे , करे तो संसद के मानसून सत्र के बाद करे, यही तो अन्ना कि नियत पर संदेह होता कि अभी तो उन्हें सरकार से सिवा धोके के मिला ही क्या हे, फिर भी अग्निवेश उन्हें आन्दोलन नहीं करने कि सलाह दे रहे हे. अगर अन्ना के दिल में सचाई हे अगर उन्होंने वाकई देश हित के लिए आन्दोलन किया हे अग्निवेश जेसे लोगो से दुरी बनाकर बाबा रामदेव तथा देश हित के काम में बिना किसी शर्तो को लगाये सभी संगठनों को साथ रखना चाहिए.    
      अन्ना हजारे एक तरफ तो कहते हे कि इस आन्दोलन में पुरे देश  कि भागीदारी हे पर बाबा रामदेव को शामिल करने को लेकर कुछ सवाल हे, जिन के स्पस्टीकरण के बाद ही उनको शामिल किया जायेगा, क्या यह अन्ना का अहंकार हे कि वो यह तय करेंगे कि हमारी शर्तों को मानने वाला ही सरकार कि गलत नीतिओ का विरोध करने का हक़दार हे, पर मुझे लगता हे बाबा रामदेव को शामिल करने में हिच किचाहट के पीछे   अन्ना और उनकी  कि टीम को दो तरह के डर हो सकते हे, पहला अगर उनका आन्दोलन केवल बाबा रामदेवजी के आन्दोलन को कमजोर करने मात्र के लिए खड़ा लिया गया था तो उनकी असलियत सामने आ जाएगी, क्यों कि यह देखा जा रहा हे कि कोंग्रेश अन्ना कि उतनी खतरनाक व  घटिया  तरीके से आलोचना नहीं करती हे जितनी बाबा रामदेव कि करती हे, दिग्विजय सिंह जेसे बकबकिए करते भी हे तो पलटी मार जाते हे, आलोचना करे तो भी कहते हे कि वो अन्ना का बहुत सन्मान करते हे, बाबा रामदेव के लिए तो सबसे नीचता पूर्ण तरीके से आलोचना करते हे, इससे मन में शंका होती हे अन्ना हजारे के आन्दोलन के मकसद पर./ फिर बाबा का आन्दोलन आजादी के बाद से देश के लुटे विदेशो में जमा धन को वापस लाने तथा लुटने वालो को कठोर सजा दिलाने, भविष्य में इसतरह कि लुट पर रोक लगाने तथा अन्य देश हित के कार्यो के लिए हे जबकि अन्ना का  आन्दोलन केवल लोकपाल के माध्यम से भविष्य में होने वाले भ्रस्टाचार को रोकने मात्र तक सिमित हे, तो क्या अन्ना उन  कोंग्रेशिओं को बचाना चाहते हे तथायह कहते कि अब तक  देश को लुटने वाले देश का धन अपने पास रखे, उसके मालिक बन जाएँ. 
      अन्ना हजारे जी को यह भय भी हो सकता कि बाबा के पीछे जो जन शक्ति हे उसके मुकाबले वो कंही नहीं ठहरते, जेसा कि उनके मुकाबले  बाबा के आन्दोलन में जनता कि विशाल उपस्थिति, जो बाबा के बुलावे पर पुरे देश से आई थी. बाबा के आन्दोलन में जनता का जुडाव उनकी कड़ी मेहनत, देश भर में भ्रमण कि वजह से थी,अन्ना जानते हे उनके आन्दोलन में लोगो से ज्यादा मीडिया का प्रचार ज्यादा था, जो फुले गुब्बारे से ज्यादा नहीं हे, बाबा के बुलावे पर देश भर से लोग आते हे उनके बुलावे पर नहीं, इसलिए वो यह कहते ही नहीं हे कि देश भर के लोग सम्मिलित हो, केवल टी.वी. पर चेहरा दिखाने को लालायित कुछ हजारो कि भीड़ तथा मीडिया का अति प्रचार ही अन्ना जी कि उपलब्धि हे, हो सकता हे बाबा के शामिल होने से बाबा ज्यादा श्रेय ले जाएँ ,अन्ना देखते रह जाएँ, क्यों कि बाबा ने कुछ किया तो हे, सरकार ने बर्बरता पूर्ण कार्यवाही कर उनके आन्दोलन को कुचला हे जबकि अन्ना तो बिना कुछ किये ही सरकार के सामने घुटने टेकते  प्रतीत हो रहें हे, 
        अन्ना तथा उनके सहयोगी संघ तथा भाजपा के सहयोगी होने कि सरकारी आलोचना से बिना डरे बाबा रामदेव तथा सभी का बिना कोई शर्ते लगाये सहयोग लेकर स्वामी अग्निवेश जेसे लोगो से छुटकारा पाकर  व्यापक आन्दोलन करेंगे तभी सफल होंगे तथा उनकी विश्वसनीयता बनेगी और देश में सन्मान मिलेगा.