गुरुवार, 12 नवंबर 2009

फूट डालों राज करो की निति में कांग्रेश सफल.

भारत देश हजारो वर्षों तक अलग अलग लोगो का गुलाम रहा, मुट्ठी भर लोग देश के बाहर से आते करोडों की आबादी वाले देश को आसानी से गुलाम बना लेते, मनमाने तरीकों से जनता को प्रताडित करते , देश की सम्पदा को लूटते , लूटेरो की तरह आते, मालिक बन कर शाही ठाट से रहते. इसका सबसे प्रमुख कारण था, अभी भी हे, देश के शाशक वर्ग का अंहकार, जनता की मुर्खता व कायरता, अपने भले बुरे का खुद की बुधि से निर्णय करने की बजाय शाशक वर्ग के बहकावे में आकर अपना नुकसान करके भी उनके लिए जीना मरना जेसी नासमझ मानसिकता. सदियों से देश के राजे महराजे अपने अंहकार व स्वार्थ के कारण आपस में लड़ते रहते थे. अपने देश के शत्रुओं को हराने, निचा दिखाने विदेशी शत्रुओं को मित्र बनाकर उनको भी नस्ट करते तथा विदेशिओं का अहसान चुकाने अपने राज्य में मनमाने अधिकार देकर अपने को कमजोर बनाते, तथा उनकी कुटिल चालों में आकर खुद भी समाप्त हो जाते. फूट डालो और राज करो , एक को समाप्त करने दुसरे को भड़काने की निति का सबसे अधिक व सबसे सफल इस्तेमाल अंग्रेजों ने किया. भारत के राजाओं के अंहकार कुटिल लोगों को पहचान सकने की असमर्थता , अपनो पर भरोसा करने की बजाय आसानी से परायों के बह्कावें में आने की मुर्खता, देश की जनता का राजाओं को अंध समर्थन, अपनी रक्षा खुद करने के संकल्प की बजाय छोटी- छोटी तकलीफों में भी कर्म करने की जगह भगवान से चमत्कार की आशा में प्रार्थना करते रहना जेसी कमजोरियों का अंग्रेजों ने भरपूर फायदा उठाया, राजाओं को एक दुसरे से लड़कर पुरे देश पर राज जमा लिया. ---देश की आजादी के समय सबसे प्रभावसाली कांग्रेश पार्टी ही थी. पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी तो शारीर से तो हिन्दुस्तानी पर मानसिकता से अंग्रेज थे, इसीलिए तो अंग्रेजों के जाने के बाद भी देश से अंग्रेजियत को नहीं जाने दिया, शिक्षा पदति , कानून व्यवस्था, शाशन व्यवस्था, के अंग्रेजों के तरीकों में कोई परिवर्तन नहीं करने दिया, झूटे तर्क देकर देश की आजादी के शहीदों के भारत माता की वंदना के महान गीत वन्दे मातरम की बजाय अंग्रेज सम्राट की स्तुति के गीत जन गन मन को देश का रास्ट्र गीत बनाकर आजादी के वर्षों बाद तक भी भारतियो को अंग्रेजो के सम्राट की स्तुति गाते रहने को मजबूर कर दिया. अन्य कई नीतियों की तरह कांग्रेश पार्टी ने फूट डालो, एक को दुसरे के खिलाफ भड़काओ और सत्ता प्राप्त करो की अंग्रेजी निति को कही न केवल अपनाया बल्कि कई जगह बखूबी इस्तेमाल भी किया और सफलता भी प्राप्त की. अपने स्वार्थ व अंहकार में अंधे एसे लोगो को पहचान कर उनको बहकाकर , खुद तो सत्ता पा ली कुछ को अपनाया कुछ को इस्तेमाल कर छोड़ दिया. अपने अंहकार और लालच वस कांग्रेश के जाल में फंसे लोगो ने अपने घर को तो नुकसान पहुँचाया ही , खुद भी कुछ नहीं पा सके, कांग्रेश की कुटिल चालों में आकार अपनो का तो नुकसान किया ही खुद भी कुछ हासिल नहीं कर पाए. आजादी के बाद से ऐसे कई उदहारण मिलेंगे परन्तु हम वर्तमान के कुछ उदहारण की चर्चा ही करंगे, कुछ समय पहले हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में कांग्रेश ने कई राज्यों में विपक्ष के कुछ अहंकारी या लालची नेताओं का उपयोग विपक्ष को बांटने में बखूबी किया, और सत्ता हासिल की. आँध्रप्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल तेलगु देशम के वोट काटने चिरंजीवी का इस्तेमाल किया, शायद उनको इसलिए ही बढ़ावा दिया ताकि टीडीपी को नुकसान हो, --हो सकता हे चिरंजीवी का इसमें कोई व्यतिगत फायदा हुवा हो, परन्तु अपने स्वार्थ और लालच से उन्होंने प्रदेश को उसी पार्टी के हवाले कर दिया जिसने देश और प्रदेश को मंहगाई , भ्रस्ताचार, आतंकवाद के अलावा कुछ नहीं दिया. टीडीपी के शाशन में प्रदेश का जो विकाश हुवा था कांग्रेश के समय में वो चोपट हो गया, आज प्रदेश में रिश्वत देकर आसानी से कोई भी कानून तोडा जा सकता हे. आज हमारे देश का दुर्भाग्य हे की धरमनिर्पेक्षता के नाम पर मुस्लिमपरस्ती करने वाले टीडीपी सहित कई दलों को देश में मंहगाई आतंकवाद बम विस्पोतों व आतंकी हमलों से आम जनता,पुलिस व सैनिकों की मोत, किसानो व गरीबों की आत्महत्या मंजूर हे, परन्तु हिन्दू हितों की भी सोचने वाली बीजेपी मंजूर नहीं हे, वो जानते हे की रास्ट्रीय स्तर पर केवल भाजपा ही कांग्रेश के मुकाबले हे, मुस्लिम परस्ती के कारण बिखरे विपक्ष के नेताओं की नासमझी का कांग्रेश भरपूर फायदा ले रही हे, वो जानती हे मुस्लिम वोटो के लालची न भाजपा का साथ देंगे, आपस में लड़कर , एक दुसरे की टांग खींचकर न खुद सत्ता में आयेंगे, न किसी को आने देंगे, कई अंधों को लड़ाकर काणा तो राज करेगा ही. ------- महारास्ट्र के चुनाव में भी कांग्रेश ने भाजपा शिवसेना को कमजोर करने राज ठाकरे जेसे व्यक्ति का भापुर इस्तेमाल किया , क्षेत्रवाद व भाषावाद का जहर फेला कर अपनी राजनीती फेलाने के लिए राज ठाकरे कि पार्टी को गुंडागर्दी करने कि खुली आजादी व शाह देकर तथा राज ठाकरे के अंहकार सत्ता लोलुपता का कांग्रेश ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया, अहंकार व सत्ता का लालची राज कांग्रेश कि फूट डालने कि निति का शिकार होकर न तो अपने लिए कुछ हासिल कर पाया बल्कि अपने घर का सत्या नाश कर दिया. कांग्रेश को इसमें मिडिया के हिंदूवादी संगठनों व दलों कि बुराई करने वाली दोगली मानसिकता का लाभ भी मिला, जो बारबार यह तो प्रचारित करते रहे कि राज अपने चाचा बालठाकरे के तरीको पर चाल रहे हे, जिस पर वो चालीस साल पहले चले थे पर मिडिया ने यह उदहारण नहीं दिया कि कभी कांग्रेश ने पंजाब में अकालियों को कमजोर करने भिन्दरावाले जेसे आतंकवादी को पैदा कर पंजाब को आतंकवाद कि आग में झोंक दिया था, अब शिवसेना को कमजोर करने नया भिन्दरावाले पैदा कर रही हे. ------- विपक्षी दलों कि सरकारों को गिराने में भी कांग्रेश पार्टी सत्ता के लालची स्वार्थी लोगो को बहकाकर अपना मतलब निकालने में लगी रहती हे, चाहे राज्य में अफरातफरी मचे,चाहे सरकारों को गिराने , बनाने, में विधायकों कि घोड़ा मण्डी लगे, देश का कितना भी नुकसान हो यह तो कांग्रेश कि नियत हे. इसमें भ्रष्टाचारियों के मजे हें, भ्रस्ताचार कि जनक कांग्रेश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह मधु कोडा जेसे निर्दलीय को सीएम बना रही हे जो चंद दिनों में अथाह सरकारी खजाने को उसके सहयोग, या उसकी भागीदारी से हड़प कर गया. कर्नाटक में भी भाजपा की सरकार को अस्थिर करने में कांग्रेश की सक्रीय भूमिका थी, आन्ध्रा के पूर्व मुख्यमंत्री राज्सेखर रेड्डी, तथा उनके पुत्र की कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं से व्यापारिक व अन्य रिश्तेदारी जग जाहिर हे, कर्नाटक के असंतुस्ट विधायक भी हैदराबाद में रह कर ही सरकार को गिराने के अपने कम में लगे थे. लगता तो ऐसा हे की अगर कांग्रेश पार्टी ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बना दिया होता तो कर्णाटक के रेड्डी बंधू सरकार को जरुर गिरा देते, क्योंकि विधायकों को सरकार गिराने के लिए प्ररित करने में पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा था. ------भगवान जाने वो दिन कब आएगा जब जनता में यह समझ आएगी जब वो अपना प्रतिनिधि जाति, संप्रदाय , किसे बड़े नेता की मोत पर सहानुभूति वस उसके अयोग्य रिश्तेदार , परिवार वाद, आदि के आधार पर नहीं , बल्कि व्यक्ति या पार्टी की कार्यक्षमता के आधार पर चुनेगी. तभी वास्तव में प्रजातंत्र आएगा.