रविवार, 22 नवंबर 2009

राहुल भट्ट खुशकिस्मत हे , वह हिंदूवादी संगठन का सदस्य नही हे.

वाकई राहुल भट्ट खुशकिस्मत हे , आतंकवादी हेडली के साथ दोस्ती की बात सामने आने के बाद भी समाचार चेनलों के दुष्प्रचार का शिकार होकर अपराधी साबित होने से पहले ही अपराधी घोषित होने से बच गया. राहुल भट्ट की खुस किस्मती यह हे, की वह किसी हिंदूवादी संगठन का सदस्य नहीं हे, वो महेश भट्ट का बेटा हे, जो हिंदूवादी संगठनों को कोसने को अपना प्रमुख कार्य मानते हें, जो खाते भारत का हे, गाते पाकिस्तान की हे, हिंदूवादी संगठनों को बदनाम करने के समाचार चेनलों द्वारा बनाये गए लगभग सभी कार्यक्रमों, समाचारों में प्रतिक्रिया लेने में समाचार चेनलों की पहली पसंद हे, मुंबई हमलों के समय , हमलों पर एक चेनल द्वारा प्रतिक्रिया पूछने पर महेश भट्ट साहब ने बजाय हमलों की आलोचना करने के, क्योंकि हमलावर पाकिस्तानी थे, भट्ट साहब ने फरमाया , "दिलों को बदलने की जरुरत हे", इस शर्मनाक टिपण्णी से ज्यादा यह शर्मनाक था, की अपने आप को अति ग्यानी समझने वाले, चेनल के किसी सवांद दाता ने महेश भट्ट साहब यह सलाह नहीं दी कि वो भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस जाएँ और वंहा के लोगों , नेताओं, और सेना के दिलों को बदलने का कार्य करे तो शायद दोनों देशो का भला होगा, भारत का इतना ही भला काफी हे कि उनसे छुटकारा मिलेगा. पर शायद चेनल वालों ने इसलिए यह सलाह नहीं दी होगी, कि हिंदूवादी संगठनों को गाली देने वाला ऐसा आदमी दूसरा तलासना होगा, या फिर वहां पर बहुसंख्यक पाकिस्तानियो को कुछ कहने कि हिमाकत कि तो बजाय उनका दिल बदलने, वो लोग भट्ट साहब का हुलिया बदल देंगे, वेसे भारत में भी बहुत कम संख्या में होने पर भी कोई गलत बात हो तो भी मुस्लिमों को कुछ भी कहने कि हिमाकत भट्ट साहब क्या उनके जेसे लों या चेनल वाले भी नहीं करते. ------अब अगर राहुल भट्ट किसी हिंदूवादी संगठन के सदस्य होते तो?.समाचार चेनलो के लिए कई दिनों तक दिनभर देश के तमाम हिंदूवादी संगठनो के विरुद्ध जहरीला प्रचार करने माध्यम बनाते, चाहे वो अनाम से किसी छोटे से संगठन के सदस्य ही होते, समाचार चेनल( आर अस अस, वि अच् पि , बजरंग दल, )जेसे संगठनो से उनके मनघडंत समन्ध बना देते, इन संगठनों व भा जा पा को बदनाम करने के अपने प्रमुख कार्य तहत नए नए क्रायक्रम बनाते, जिसमे खुद तो भरपूर जहर उगलते ही, हिंदूवादी संगठनों को कोसने को हरदम तैयार खड़े रहने वाले लोगो , धरमनिर्पेक्षता के नाम पर मुस्लिम परस्ती करने वाले नेताओं को बुलाकर इन संगठनों के विरुद्ध जम कर दुष्प्रचार करते, पता नहीं कंहा से उनके बारे में ऐसी ऐसी भूतकाल कि बातें दुंड कर लाते जिनके बारें शायद उनको भी मालूम न हो, ------- भले ही मामला प्रारंभिक स्तर पर हो, अदालत में सच झूठ कुछ तय होने या वो व्यक्ति दोषी साबित हो या नहीं हो, ये अति अहंकारी अपने को जज से बड़ा समझने वाले खोफनाक , व बेशर्म समाचार चेनल वाले राहुल भट्ट को अपराधी साबित होने से पहले ही अपराधी घोषित कर देते. ---- पर राहुल भट्ट महेश भट्ट के बेटे हे, समाचार चेनलो के मनपसंद कार्य मुस्लिम परस्ती, व हिंदूवादी संगठनों, को गाली देने के विसेशग्य हे, इसलिए आतंकवादी के दोस्त होने पर भी समाचार चेनलों कि आलोचना से बच गए, . समाचार चेनलों का दोगलापन भी यंहा नजर आया जब एक चेनल ने यह कहा कि यह सिर्फ आरोप हे , जब तक आरोप साबित नहीं हो जाता उन्हें अपराधी नहीं कह सकते, जबकि येही चेनल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और उनके साथियों को बिना सबूतों के मात्र गिरफ्तार होने भर से, बड़े बड़े मुस्लिम आतंकवादियों से भी बड़ा आतंकवादी घोषित कर दिया, इतने दिनों के बाद भी पुलिश उनके खिलाफ को सबूत नहीं ला सकी, यहाँ तक कि अदालत ने उन पर से मकोका भी हटा लिया . गुजरात दंगो पर भाजपा व नरेन्द्र मोदी, तथा बाबरी मस्जिद ताडने पर तमाम हिंदूवादी संगठनो से बार बार माफ़ी मांगने कि मांग करने वाले इन चेनलों को साध्वी प्रज्ञा व उनके साथियों से उनके खिलाफ अत्यंत जहरीला दुष्प्रचार करने , तथा आरुशी हत्याकांड में दोसी साबित हुए बिना एक मृत लड़की व उसके दुखी माता पिता का अत्यंत घटिया स्तर पर आकर चरित्र हनन करने पर माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए. ---- यही समाचार चेनलों का दोगला , अहंकारी, अपने को कुछ भी झूठा प्रचार करने पर भी सभी आलोचनाओ से परे समझने वाला चरित्र हे,------ क्यांकि इनके पास इकतरफा दुष्प्रचार करने का शशक्त माध्यम हे, जिसपर वो सामने वाले को कोई सफाई का मोका दिए बिना चीख चीख कर बेहद घटिया तरीके से उसकी आलोचना करते रहते हे, जिससे दुखी होकर शिवसेना जेसे दल के कार्यकर्ता उस चेनल पर हमला करते हे तो चेनल वाले एक विशेष चेनल पर किये हमले को बड़ी बेशर्मी से पुरे मिडिया पर हमला कहकर चिल्ला चिल्ला कर प्रचारित करने , उस दल को गुंडों का दल , तालिबानी जेसी उपमाएं देने में जीजान से जुट जाते हे जबकि ये सबसे बड़े वैचारिक गुंडे हें, अपने पर मामूली से हमले पर हायतोबा मचाने व उसकी शियाकत मुख्य मंत्री से करने वाले , देश कि आवाज होने का झूठा दंभ भरने वाले ये अहंकारी चेनल वाले तब मुख्य मंत्री से नहीं मिलते जब राजठाकरे के लोग आम लोगों पर हमला करते हें, और पत्रकारों पर हमले को गैर जमानती बनाने कि बात करने वाले मुख्य मंत्री भी आमलोगों पर हमले को गैर जमानती अपराध बनाने कि बात नहीं करते, क्योंकि राज ठाकरे के लोगों द्वारा दुसरे प्रान्त के लोगों पर हमलों का मुख्य मंत्री साहब अपनी पार्टी के राजनेतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते हें. अत राज को बचाने में सहयोग भी करते हें. ----- हमें इन समाचार चेनलों कि विकृत मानसिकता को समझना होगा तभी हम इनके खतरनाक इरादों से हिंदुत्व तथा भारतीय सभ्यता व संस्कृति कि रक्षा कर सकेंगे.

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

फूट डालों राज करो की निति में कांग्रेश सफल.

भारत देश हजारो वर्षों तक अलग अलग लोगो का गुलाम रहा, मुट्ठी भर लोग देश के बाहर से आते करोडों की आबादी वाले देश को आसानी से गुलाम बना लेते, मनमाने तरीकों से जनता को प्रताडित करते , देश की सम्पदा को लूटते , लूटेरो की तरह आते, मालिक बन कर शाही ठाट से रहते. इसका सबसे प्रमुख कारण था, अभी भी हे, देश के शाशक वर्ग का अंहकार, जनता की मुर्खता व कायरता, अपने भले बुरे का खुद की बुधि से निर्णय करने की बजाय शाशक वर्ग के बहकावे में आकर अपना नुकसान करके भी उनके लिए जीना मरना जेसी नासमझ मानसिकता. सदियों से देश के राजे महराजे अपने अंहकार व स्वार्थ के कारण आपस में लड़ते रहते थे. अपने देश के शत्रुओं को हराने, निचा दिखाने विदेशी शत्रुओं को मित्र बनाकर उनको भी नस्ट करते तथा विदेशिओं का अहसान चुकाने अपने राज्य में मनमाने अधिकार देकर अपने को कमजोर बनाते, तथा उनकी कुटिल चालों में आकर खुद भी समाप्त हो जाते. फूट डालो और राज करो , एक को समाप्त करने दुसरे को भड़काने की निति का सबसे अधिक व सबसे सफल इस्तेमाल अंग्रेजों ने किया. भारत के राजाओं के अंहकार कुटिल लोगों को पहचान सकने की असमर्थता , अपनो पर भरोसा करने की बजाय आसानी से परायों के बह्कावें में आने की मुर्खता, देश की जनता का राजाओं को अंध समर्थन, अपनी रक्षा खुद करने के संकल्प की बजाय छोटी- छोटी तकलीफों में भी कर्म करने की जगह भगवान से चमत्कार की आशा में प्रार्थना करते रहना जेसी कमजोरियों का अंग्रेजों ने भरपूर फायदा उठाया, राजाओं को एक दुसरे से लड़कर पुरे देश पर राज जमा लिया. ---देश की आजादी के समय सबसे प्रभावसाली कांग्रेश पार्टी ही थी. पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी तो शारीर से तो हिन्दुस्तानी पर मानसिकता से अंग्रेज थे, इसीलिए तो अंग्रेजों के जाने के बाद भी देश से अंग्रेजियत को नहीं जाने दिया, शिक्षा पदति , कानून व्यवस्था, शाशन व्यवस्था, के अंग्रेजों के तरीकों में कोई परिवर्तन नहीं करने दिया, झूटे तर्क देकर देश की आजादी के शहीदों के भारत माता की वंदना के महान गीत वन्दे मातरम की बजाय अंग्रेज सम्राट की स्तुति के गीत जन गन मन को देश का रास्ट्र गीत बनाकर आजादी के वर्षों बाद तक भी भारतियो को अंग्रेजो के सम्राट की स्तुति गाते रहने को मजबूर कर दिया. अन्य कई नीतियों की तरह कांग्रेश पार्टी ने फूट डालो, एक को दुसरे के खिलाफ भड़काओ और सत्ता प्राप्त करो की अंग्रेजी निति को कही न केवल अपनाया बल्कि कई जगह बखूबी इस्तेमाल भी किया और सफलता भी प्राप्त की. अपने स्वार्थ व अंहकार में अंधे एसे लोगो को पहचान कर उनको बहकाकर , खुद तो सत्ता पा ली कुछ को अपनाया कुछ को इस्तेमाल कर छोड़ दिया. अपने अंहकार और लालच वस कांग्रेश के जाल में फंसे लोगो ने अपने घर को तो नुकसान पहुँचाया ही , खुद भी कुछ नहीं पा सके, कांग्रेश की कुटिल चालों में आकार अपनो का तो नुकसान किया ही खुद भी कुछ हासिल नहीं कर पाए. आजादी के बाद से ऐसे कई उदहारण मिलेंगे परन्तु हम वर्तमान के कुछ उदहारण की चर्चा ही करंगे, कुछ समय पहले हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में कांग्रेश ने कई राज्यों में विपक्ष के कुछ अहंकारी या लालची नेताओं का उपयोग विपक्ष को बांटने में बखूबी किया, और सत्ता हासिल की. आँध्रप्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल तेलगु देशम के वोट काटने चिरंजीवी का इस्तेमाल किया, शायद उनको इसलिए ही बढ़ावा दिया ताकि टीडीपी को नुकसान हो, --हो सकता हे चिरंजीवी का इसमें कोई व्यतिगत फायदा हुवा हो, परन्तु अपने स्वार्थ और लालच से उन्होंने प्रदेश को उसी पार्टी के हवाले कर दिया जिसने देश और प्रदेश को मंहगाई , भ्रस्ताचार, आतंकवाद के अलावा कुछ नहीं दिया. टीडीपी के शाशन में प्रदेश का जो विकाश हुवा था कांग्रेश के समय में वो चोपट हो गया, आज प्रदेश में रिश्वत देकर आसानी से कोई भी कानून तोडा जा सकता हे. आज हमारे देश का दुर्भाग्य हे की धरमनिर्पेक्षता के नाम पर मुस्लिमपरस्ती करने वाले टीडीपी सहित कई दलों को देश में मंहगाई आतंकवाद बम विस्पोतों व आतंकी हमलों से आम जनता,पुलिस व सैनिकों की मोत, किसानो व गरीबों की आत्महत्या मंजूर हे, परन्तु हिन्दू हितों की भी सोचने वाली बीजेपी मंजूर नहीं हे, वो जानते हे की रास्ट्रीय स्तर पर केवल भाजपा ही कांग्रेश के मुकाबले हे, मुस्लिम परस्ती के कारण बिखरे विपक्ष के नेताओं की नासमझी का कांग्रेश भरपूर फायदा ले रही हे, वो जानती हे मुस्लिम वोटो के लालची न भाजपा का साथ देंगे, आपस में लड़कर , एक दुसरे की टांग खींचकर न खुद सत्ता में आयेंगे, न किसी को आने देंगे, कई अंधों को लड़ाकर काणा तो राज करेगा ही. ------- महारास्ट्र के चुनाव में भी कांग्रेश ने भाजपा शिवसेना को कमजोर करने राज ठाकरे जेसे व्यक्ति का भापुर इस्तेमाल किया , क्षेत्रवाद व भाषावाद का जहर फेला कर अपनी राजनीती फेलाने के लिए राज ठाकरे कि पार्टी को गुंडागर्दी करने कि खुली आजादी व शाह देकर तथा राज ठाकरे के अंहकार सत्ता लोलुपता का कांग्रेश ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया, अहंकार व सत्ता का लालची राज कांग्रेश कि फूट डालने कि निति का शिकार होकर न तो अपने लिए कुछ हासिल कर पाया बल्कि अपने घर का सत्या नाश कर दिया. कांग्रेश को इसमें मिडिया के हिंदूवादी संगठनों व दलों कि बुराई करने वाली दोगली मानसिकता का लाभ भी मिला, जो बारबार यह तो प्रचारित करते रहे कि राज अपने चाचा बालठाकरे के तरीको पर चाल रहे हे, जिस पर वो चालीस साल पहले चले थे पर मिडिया ने यह उदहारण नहीं दिया कि कभी कांग्रेश ने पंजाब में अकालियों को कमजोर करने भिन्दरावाले जेसे आतंकवादी को पैदा कर पंजाब को आतंकवाद कि आग में झोंक दिया था, अब शिवसेना को कमजोर करने नया भिन्दरावाले पैदा कर रही हे. ------- विपक्षी दलों कि सरकारों को गिराने में भी कांग्रेश पार्टी सत्ता के लालची स्वार्थी लोगो को बहकाकर अपना मतलब निकालने में लगी रहती हे, चाहे राज्य में अफरातफरी मचे,चाहे सरकारों को गिराने , बनाने, में विधायकों कि घोड़ा मण्डी लगे, देश का कितना भी नुकसान हो यह तो कांग्रेश कि नियत हे. इसमें भ्रष्टाचारियों के मजे हें, भ्रस्ताचार कि जनक कांग्रेश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह मधु कोडा जेसे निर्दलीय को सीएम बना रही हे जो चंद दिनों में अथाह सरकारी खजाने को उसके सहयोग, या उसकी भागीदारी से हड़प कर गया. कर्नाटक में भी भाजपा की सरकार को अस्थिर करने में कांग्रेश की सक्रीय भूमिका थी, आन्ध्रा के पूर्व मुख्यमंत्री राज्सेखर रेड्डी, तथा उनके पुत्र की कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं से व्यापारिक व अन्य रिश्तेदारी जग जाहिर हे, कर्नाटक के असंतुस्ट विधायक भी हैदराबाद में रह कर ही सरकार को गिराने के अपने कम में लगे थे. लगता तो ऐसा हे की अगर कांग्रेश पार्टी ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बना दिया होता तो कर्णाटक के रेड्डी बंधू सरकार को जरुर गिरा देते, क्योंकि विधायकों को सरकार गिराने के लिए प्ररित करने में पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा था. ------भगवान जाने वो दिन कब आएगा जब जनता में यह समझ आएगी जब वो अपना प्रतिनिधि जाति, संप्रदाय , किसे बड़े नेता की मोत पर सहानुभूति वस उसके अयोग्य रिश्तेदार , परिवार वाद, आदि के आधार पर नहीं , बल्कि व्यक्ति या पार्टी की कार्यक्षमता के आधार पर चुनेगी. तभी वास्तव में प्रजातंत्र आएगा.

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

नरेन्द्रमोदी-अंगद के पैर की तरह अडिग विकाश पुरूष.

सुनते हे की रावण की सभा में अपना पैर जमाकर अंगद ने वंहा उपस्तिथ राक्षसों को अपना पैर हिला भर देने की चुनोती दी. परन्तु अपूर्व बलशाली, महा बलवान, मायावी शक्तिओं से भरपूर राक्षसों में कोई भी अंगद के पांव को जरासा भी हिला नहीं सका. वर्तमान समय में ऐसा उदहारण हमारे सामने नरेंद्र मोदी का हे. गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तेजी से उन्होंने जिस तेजी से गुजरात को विकाश की रह पर चलाया हे, वह अपनेआप में अभूतपूर्व हे. गोधरा कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप हुवे दंगों के बाद अनेक स्वार्थी तत्वों नरेन्द्रमोदी को हटाने की घटिया व् निम्नस्तर की कोशिसो को मोदीजी ने अपूर्व धेर्य, कर्मठता व बिना किसी भेदभाव गुजरात की जनता की प्रगति का संकल्प जेसे जनहित कार्यों से विफल कर दिया. दंगों के बाद देश के समाचार माध्यमों विशेषकर समाचार चेनलों ने जिस तरह नरेन्द्रमोदी के खिलाफ जहरीला प्रचार किया जेसे ऐसे दंगे देश में पहले कभी हुए ही नहीं हों, यह देश के समाचार माध्यमों का अत्यंत घिनोना, दोगला व मुस्लिमपरस्त चेहरा प्रस्तुत करता हे. श्रीमती इन्द्रागांधी की हत्या के बाद देशभर में कराये गए सिखों के कत्लेआम (जिसमे गुजरात दंगों से कंही ज्यादा लोग मरे गए थे) की देश के समाचार चेनलों ने २५ वर्षों में जितनी आलोचना की होगी उससे कई गुना ज्यादा केवल ७ वर्षों में गुजरात दंगों कि कि होगी, जब भी गुजरात में कोई चुनाव होता हे समाचार चेनल नरेन्द्रमोदी के खिलाफ जहरीला प्रचार करने पहुच जातें हे, बारबार दंगों के द्रश्य दिखाये जाते हें, गडे मुर्दे उखाड़कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का भरपूर प्रयास होता हे, तीस्ता सितालवार जेसों को बुलाकर मोदीजी की आलोचनाओं से भरपूर प्रोग्राम बनायें जातें हें. जिन आँखों को गुजरात की शानदार प्रगति दिखाई दे सके उनपर तो इन समाचार चेनलों ने स्वार्थ व अंहकार की पट्टी बांध रखी हे, पर गुजरात की जनता अपने प्रदेश के विकाश को आधार मान कर मोदीजी को विजयी बनाती हे. समाचार चेनल गुजरात की जनता के तमाचे खाकर भी बेशर्म बने रहतें हें , फिरसे मोदीजी की आलोचना का राइजितना विषय तलासतें हे, ताकि पहाड़ जितना बनाकर मोदीजी की कई दिनों तक दिन भर की आलोचना का माध्यम बना सकें जेसा उन्होंने सोहराबुदीन तथा इशरत जहाँ मुठभेड़ को बनाया. देश के समाचार चेनलों ने सोहराबुदीन जेसे अपराधी
को मुठभेड़ में (चाहे फर्जी हो या असली )मरने को नरेन्द्रमोदी की आलोचना का महीनों भर मुद्दा बनाया , अभी भी मोदीजी की आलोचना के किसी भी छोटे से मुद्दे को बहुत बढा चढा कर पेश करने को सोहराबुदीन मुद्दे को घसीट लाते हें. अभी कुछ महीनों पहले आँध्रप्रदेश में तीन लड़कों ने एक लड़की को तेजाब डाल कर जला दिया था, वो लडके अपराधी प्रवर्ती के नहीं थे, जेसा की सोहराबुदीन था, अतः आसानी से पुलिस की पकड़ में आगये, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सवंदाताओं के सामने पेश किया , अगले दिन वो सभी लडके पुलिस मुठभेड़ में मार दिए गए, पुलिस ने कहानी बताई की वो तेजाब व् पिस्टल से पुलिस पर हमला कर के भाग रहे थे, पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और उन्हें मुठभेड़ में मर गिराया. ताज्जुब की बात थी कि पुलिस कि गिरफ्त में आये लड़को के पास तेजाब और पिस्टल कंहा से आगये, ऐसा नहीं हे अन्होने अपराध नहीं किया , उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए थी, में यंहा पर सिर्फ समाचार चेनलों के दोगलेपन को उजागर करना चाहता हूँ, अपनेआप को महाज्ञानी समझने का भरम पाले समाचार चेनलों के संवाददाता, व एंकर जिन्होंने सोहराबुदीन जेसे अपराधी के मरने पर नरेन्द्रमोदी व् गुजरात कि बीजेपी सरकार कि आलोचना के लिए कई कई दिनों तक बड़े बड़े प्रोग्राम बनाये थे, आँध्रप्रदेश कि पुलिस द्वारा तीन लड़को को मुठभेड़ मर गिराने को एक मामूली घटना कि तरह बहुत छोटे से समाचार कि तरह बताकर हमेशा के लिए समाप्त कर दिया, कई चेनलो ने तो यह खबर दिखाने कि भी जरुरत नहीं समझी , किसी ने भी पुलिस या सरकार से यह नहीं पूछा कि गिरफ्तार लड़को के पास तेजाब और पिस्टल कंहा से आगये कि उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया. शायद समाचार चेनलों के लिए यह कोई खबर नहीं थी , क्यों कि न तो मरने वाले मुस्लिम थे, और न ही वंहा नरेन्द्रमोदी या अन्य कोई भाजपा कि सरकार. यही हे समाचार चेनलों का दोगला व घिनोना चेहरा. नरेंद्र मोदी कि ए़सी ही जहरीली आलोचना चेनलों ने इशरत जन्हा मुठभेड़ के लिए (एक जाँच आयोग द्वारा जिसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जल्दीबाजी में रिपोर्ट देकर मुठभेड़ को फर्जी बताया )की. सही या गलत मोदी की आलोचना के एकमात्र कार्य के लिए जीने वाले लोगो को बुलाकर नए नए प्रोग्राम बनाकर तबतक मोदीजी की आलोचना करते रहे जब तक गुजरात हाइकोर्ट ने रिपोर्ट देने वाले को फटकार नहीं लगाकर रिपोर्ट पर रोक नहीं लगादी तथा गुजरात सरकार ने भारत सरकार की वह रिपोर्ट नहीं पेश कर दी जिसमे इशरत को आतंकी संगठन का सदस्य बताया था. झूठी आलोचना की पोल खुलने पर तथा मोदीजी को बदनाम करने की चाल उपचुनाओं में मोदीजी की जीत से नाकाम होने पर इशरत जन्हा समाचारों से गायब हो गई '
नरेन्द्रमोदी का पैर उखाड़ने की कोसिस में कांग्रेश पार्टी भी पूरी ताकत से लगी हे. कभी वह उनको मोत का सोदागर बताती हे, कभी उनकी सरकार को आदमखोर सरकार._ सिख्नो के नरसंहार तथा अपने शासन में हुए अनेकों दंगों में अपने हाथ लाल करने वाली कांग्रेश पार्टी सोचती हे कि वह गुजरात दंगो के लिए मोदीजी कि आलोचना कर मिडिया वालो , अपनेआप को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले मुस्लिम परस्त नेताओं , मानवाधिकार के नाम पर आतंकियों कि आवाज बने कार्य कर्ताओं कि तरह गुजरात कि जनता को भी बेवकूफ बना देगी , तथा गुजरात कि जनता चुनाव में उन्हें जीता देगी. गुजरात कि ज्यादातर जनता पढीलिखी समझदार हे, वह सच्चाई तथा झूठ व मक्कारी में फर्क करना जानती हें, गुजरात में जमीनी रूप में हुए वास्तविक विकाश तथा कांग्रेश के शासन में विकाश के झूटे दावो , नेताओं के बड़बोले पन , आम जनता के धन से शाही मजे, कमरतोड़ मंहगाई से पिसती जनता को राहत तथा किसानों को आत्महत्या करने से रोक पाने में नाकामी, गुजरात कि जनता आसानी से देख भी सकती हे, समझ भी सकती हे. गुजरात कि जनता ने समाचार चेनलों कि तरह अपनी आँखों पर ए़सी पट्टी नहीं बांध रखी जिससे गुजरात का विकाश दिखाई ही न दे, और न ही उन्ही कि तरह इतनी मुर्ख हे, न ही चाटुकार कि देश कि जनता को किसी भी तरह कि राहत देने , जनता से किये वादों को पूरा करने में नाकाम रहने से जनता का ध्यान हटाने के लिए हाथी के बराबर खर्चों से चूहे के बराबर खर्चे घटाने कि नोटंकी को कांग्रेश कि महारानी के अथाह महान त्याग कि तरह बार बार पेश करने से प्रभावित हो. हाँ समाचार चेनलों के लिए यह अपनेआप को महारानी के उनकी पार्टी के नेताओं से बड़ा चाटुकार साबित करने का जरिए हो सकता हें. तभी तो समाचार चेनल मोदीजी के विकाश कार्यों को भारत कीजनता को बताने के लिए कोई समाचार या प्रोग्राम बनाने के बजाय कांग्रेस के युवराज के चार,छह महीनो में कभी कभार किसी गरीब आदमी जो बेचारा बहुत मुश्किल से दो टाइम के खाने का जुगाड़ कर पाता हे , के घर रात बिताने तथा खाना खाने को इतने महान त्याग की तरह प्रस्तुत करता हे मानो महात्मा गाँधी का देश के लिए किया त्याग भी बोना लगे. या मानो भगवान ने गरीब की झोंपडी में रात बिताकर, खाना खा कर उस गरीब की जीवन भर की गरीबी दूर कर दी हो. कोई सवाददाता उन्हें यह नहीं पूछता की किसी भूखे गरीब का भला उसकी भूख मिटाने का उपाय करने से होगा न कि मुस्किल से हासिल कि गयी उसकी रोटी खा जाने से. कोई उनसे यह भी नहीं पूछता कि उनको रात बिताने के अलावा कभी बढती मंहगाई पर नियंत्रण के भी कोई उपाय करने का विचार भी उनके मन में आता हे. ---- मोदीजी कि आलोचना में अपनेआप को धर्मनिरपेक्ष (धरम विहीन ) कहने वाले सभी दल व नेता भी बढ़ चढ़ कर बोलते रहते हे, जनता को राहत व प्रदेश के विकाश में भले पूरी तरह नाकाम हो, गुजरात के मुकाबले उनका प्रदेश भले पिछड़ता जाये, पर मोदी की आलोचना व साम्प्रदायिकता का बेसुरा राग अलापना नहीं छोडेंगे, अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए, जनता की भूख, व गरीबी मिटाने से ज्यादा बड़ा मुद्दा साम्प्रदायिकता (मुस्लिमपरस्ती) मानने वाले नेता अपने सभी हथकंडो का प्रयोग करके भी कर्मठता, असीम धर्य, अपने ऊपर चिल्लाते रहने वालों को चुपचाप रह अपने विकाश कार्यों से जबाब देने वाले नरेंदर मोदी का कुछ बिगाड़ नहीं पाए. क्योंकि सच्चाई बनावटी बातों से नहीं मिटाई जासकती. ----

शुक्रवार, 22 मई 2009

समाचार चेनल - महारानी के नए चाटुकार

महारानीजी आज हेरान से ज्यादा आश्चर्यचकित हे देश में मिली अपूर्व विजय से हेरान हे, तथा समाचार चेनलों के संवाददाताओं , एंकरों के रूप में मिली चाटुकारों की नयी जमात देखकर आश्चर्य चकित हे. सही भी हे पहले महारानी के गुणगान करने वालो में ज्यादातर उनकी पार्टी के लोग या कुछ हद तक सहयोगी पार्टी के लोग होते थे. परन्तु इन चुनाओ में समाचार चेनलों के रूप में नए चाटुकारों की बहुत बड़ी फोज मिली जिन्होंने महारानी, युवराज तथा युवरानी के गुणगान में दिनरात एक कर दिए , पुरे चुनाव प्रचार के दोरान महारानी की शान में कसीदे पढने वाले नए नए टी.वि. कार्यक्रम बनाये , युवराज तथा युवरानी को तो ऐसे प्रचारित किया मानो वो ही देश के भाग्य विधाता हों. देश के बुजुर्ग, अनुभवी नेता, महारानी की पार्टी तथा विरोधी पार्टी के बाकी सभी योग्य लोग देश को गर्त में ले जा रहें हों. तथा कम उम्र तथा कम अनुभवी युवराज तथा युवरानी ने इन लोगों से देश की रक्षा करने भगवान के रूप में अवतार लिया हो. पहले महारानी का सोचना था की उनके चाटुकारों की फोज उनके पार्टी कार्यकर्ताओं , नेताओं तक ही हे, परन्तु समाचार चेनलों रूपी नए चाटुकारों की फोज देखकर महारानी गदगद हे. इस फोज ने महारानी की पार्टी के लोगों का अपने विरोधिओं को जबाब देने उनकी आलोचना करने का कम बेहद आसान कर दिया हे, यह लोग न केवल महारानी युवराज,युवरानी का न केवल चारणों की तरह गुणगान करते हे, बल्कि महारानी की विरोधी पार्टी के लोगों की बेहद घटिया तरीके से अपमानित करने वाले अंदाज में आलोचना करते हे. ओछे , व शर्मनाक शब्दों का प्रयोग, तथा चीख चीख कर बोलते ये एंकर तथा संवाद दाता मिडिया का जहरीला तथा घिनोना चेहरा प्रस्तुत करते हे. इनका तरीका बेहद निम्न स्तर का होता हे, जब कोई विरोधी नेता इनकी गलत बात का जबाब देता ह या अपनी सही बात रखता हे तब ये तुंरत या तो उसकी बात के बीच में ही चीख चीख कर बोलना शुरू कर देतें हे, या ब्रेक के नाम पर उसको रोक कर वह बात वहीँ समाप्त कर देते हे, उसकी बात काटने तथा ब्रेक के बीच में २-३ मिनट जरुर होते हे ताकि उसकी बात को अपने तरीके से गलत बता सकें. चुनाओ में महारानी की पार्टी की अनसोची विजय से इन समाचार चेनलों में महारानी, युवराज तथा युवरानी के गुणगान की बिरदावली गाने की होड़ सी मच गयी हे, लगभग सभी चेनल नए नए कार्यक्रमों से गुणगान कर चारणगिरी के नए कीर्तिमान बना रहें हे, कोई महारानी को कृष्ण की तरह पेश कर रहा हे. (एसा कोई बीजेपी के नेता को करते तो उसे सांप्रदायिक साबित करने में कई दिन तक समय तथा श्रम लगाते) कोई युवराज के गुणगान में उनके जन्म से आजतक की घटनाओं को महान उपलब्धि तथा देश पर अहसान के रूप में प्रस्तुत कर रहा हे. पुराने ज़माने के चारण केवल राजाओ के गुणगान करते थे, बदले में इनाम पातें थे, परन्तु समाचार चैनल रूपी आधुनिक चारण महारानी, युवराज के गुणगान गाने के अलावा विरोधियों को अपमानित करने घटिया शब्दों, अपमानजनक टिप्पणियो से भरपूर कार्यक्रम बनाते हे. बदले में क्या इनाम पाते हे इसका रहस्य बरक़रार हे, परन्तु खोज का विषय जरुर हे. अंग्रेजों के ज़माने में ऐसे भारतियो की फोज थी जो उनको खुस रखने अपने ही देशवासियों पर अत्याचार करते थे, अंग्रेजों की नजरों में आने तथा कोई पद या इनाम पाने खुद बा खुद बिना किसे के कहे देशवासियों को प्रताडित करना, तथा अंग्रेजों का गुणगान उनका प्रमुख कार्य था, कहीं आज के चेनलों के संवाद दाताओं , एंकरों में ऐसे भारतियो की आत्मा तो नहीं प्रवेश कर गयी हे, जो निष्पक्षता का दावा करने के बावजूद महारानी की पार्टी के लोगों से ज्यादा महारानी, युवराज का गुणगान तथा विरोधियो का अपमान करते हे. देश का दुर्भाग्य हे, समाचार चेनलों ने पत्रकारिता का स्तर बहुत नीचा किया हे. हमें इनके इरादों को समझने की जरुरत हे, इनकी हर बात देश की आवाज मानने का भरम नहीं रखना चाहिए.

रविवार, 26 अप्रैल 2009

कोनहे असली सांप्रदायिक ताकतें.

आजकल बीजेपी तथा शिवसेना को छोड़कर लगभग सभी पार्टिया अपने आप को धर्मनिरपेक्ष तथा बीजेपी, शिवसेना, तथा दुसरे हिंदूवादी संगठनो को सांप्रदायिक बताने में जोरशोर से लगी हे। उनकी परिभासा में हिन्दुओ के हित की बात करने वाले सभी दल, संगठन,तथा लोग सांप्रदायिक हे, इनके इस कार्य में हिंदुत्व तथा भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति विरोधी मानसिकता वाले कई समाचार चेनल भी पुरी तरह से लगे हुवें हे। देश के ८५% हिंदू समाज को इनकी खतरनाक इरादों को समझाना होगा तथा रोकना भी होगा। क्या गोधरा में ट्रेन में जला कर मारदेने की घटना को सिर्फ़ दुर्घटना बताने वाले सांप्रदायिक नहीं हे,गोधरा घटना की निंदा नहीं करके उसकी प्रतिक्रिया में हुवे गुजरात दंगों की अत्यंत खतरनाक निंदा करने वाले दल धर्मनिरपेक्ष हें क्योंकि वहां मरने वालों में अधिकतर मुस्लिम थे, दंगों को रोकने में पुलिस की गोली से हिंदू भी मरे थे। परन्तु इंदिरा गाँधी की हत्या पर पुरे देश में ज्यादातर दिल्ली में हजारों सिखों का नरसंहार करवाने वाली कोंग्रेस पार्टी धर्मनिरपेक्ष हे क्योंकि मरने वाले सिख थे, मुस्लिम नहीं , बीजेपी जब अपने ही देश में शरणार्थी बने कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने की बात करती हे तो वो सांप्रदायिक , परन्तु कश्मीर की पीडीपी तथा उनके साथ सत्ता सुख भोग रही कोंग्रेस मुस्लिम आतंकवादियों को पैसा तथा जगह देकर बसने की बात करे तो धर्मनिरपेक्ष । बंगलादेशी घुस्पेतियेआज देश की बड़ी समस्या हे जिनसे देश में खाने तथा रोजगार की समस्या बढ़ी हे तथा ये बंगलादेशी देश में आतंकवादी घटनाओ में शामिल हे, उनको देश से बाहर निकालने की बात करने वाली बीजेपी सांप्रदायिक, परन्तु उनको देश में बसाने वाले, उनको राशनकार्ड, तथा अन्य पहचानपत्र देने वाले, उनको देश की नागरिकता देने की बात करने वाले कोंग्रेस, कमुनिस्ट,लालू, पासवान जेसे लोग धर्मनिरपेक्ष , सिर्फ़ इसलिए की वो मुस्लिम हे, तथा इनको बंग्लादेसियों के बम विस्पोतों में मरने वाले हिन्दुओं से ज्यादा चिंता उनसे वोट लेने की हे, देश जाए खड़े में , हिंदू मरे तो मरे। शर्मनाक यह भी हे की गुजरात दंगो का खतरनाक ढंग से प्रचार करने वाला, देश में कहीं भी चुनाव हो गुजरात दंगो के समाचार चित्रों सहित बार बार दिखाने वाले समाचार चेनल बाकि उपरोक्त मुद्दों पर चुप रहता हे,या बहुत मामूली सी बात की तरह पेश करता हे। कंधार में विमान में बंधक सेंकडों यात्रिओं के बदले आतंकवादिओं को छोड़ने के कारन बीजेपी अपराधी व संप्रादियक परन्तु अपनी एक बेटी के लिए पाँच आतंकवादियो को छोड़ने का काम में कोई गलती नहीं, उनके साथ सत्ता का मजा लूटने वाली कोंग्रेस धर्मनिरपेक्ष। आस्ट्रेलिया में आतंकी होने के शक में एक मुस्लिम के पकड़े जाने पर नींद नही आने की बात परमलेशिया में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार , हत्याएं होने पर भी चेन की नींद सोने वाले मनमोहन सिंघजी धर्मनिरपेक्ष। केरल विधानसभा में बम विस्पोट के आरोप में सजा भुगत रहे मुस्लिम आरोपी को विसेस प्रस्ताव पास कर मुस्लिमो को खुस करने के छुडाने वाले कांग्रेसी तथा कोमुनिस्ट ही असली सांप्रदायिक हे,न की प्रज्ञा ठाकुर आदि को बिना साबित हुए केवल शक के आधार पर आरोपी नही मानने की बात कहने वाले हिंदू वादी संगठन। देश के संसाधनों पर मुस्लिमो का पहला अधिकार बताने वाले प्रधानमंत्री तथा धर्म के आधार पर मुस्लिमों को आरक्षण देने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा उनकी कांग्रेस पार्टी , ये असली सांप्रदायिक हे,नाकि देश के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देने की बात करने वाली बीजेपी। राम जन्म भूमि पर विवादित मस्जिद का ढांचा जहाँ नमाज नहीं पढ़ी जाती थी के गिरने पर बीजेपी तथा हिंदू संगठन सांप्रदायिक हे , तो मन्दिर को तोड़ कर फिरसे मस्जिद बनाने की बात करने वाले तथा राम सेतु को तोड़ने के लिए भगवान् राम के होने को ही नकारने वाले क्या सांप्रदायिक नहीं हें, हाँ वोही असली सांप्रदायिक ताकतें हे जिन्हें हमें पहचानना हे। सिमी जेसे आतंकवादी संगठन को मुस्लिम वोट के लिए सामाजिक संगठन मानने वाले,तथा आतंकवादियो से मुकाबला करके उनको मारने तथा शहीद होनेवाले महेश चंद्र शर्मा की सहादत पर शर्मनाक रूप से सवाल उठाने वाले मुलायम सिंहः, तथा अमरसिंगजी जेसे लोग ही असली सांप्रदायिक ताकतें हें। अभी तक पकड़े ज्यादातर आतंकी मुस्लिम होने के कारन मुस्लिमो को खुस कर वोट के लालच में आतंक विरोधी कानून हटाकर आतंकवादियो के हाथो देश के नागरिको की जान की जोखिम बढ़ाने वाले दल ही असली सांप्रदायिक हें। संसद पर हमले के , सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पाए आतंकी को केवल मुस्लिम होने के कारन बचाने वाले ही असली सांप्रदायिक हें। इसके लिए कांग्रेस बेहद शर्मनाक तर्क देते हें की रास्त्रपति के पास क्षमा याचना में उसका २८ नंबर हे, क्या संसद हमले जेसे आरोपी के लिए नंबर का इंतजार जरुरी हे , इस हिसाब तो कांग्रेस पार्टी उसे २०-२५ वर्षः तक तो बचा ही लेगी। ऐसे कई और भी वाकिये हे जिनसे लगता हे इन लोगो ने मुस्लिम परस्ती को ही धर्मनिरपेक्षता माना हे, मुस्लिम वोट के लालच में इन दलों की नजर में हिन्दुओं की जान की कोई कीमत नहीं हे, आपकी सुरक्षा आपके हाथ में हे, इन असली सांप्रदायिक ताकतों को पहचाने तथा संगठित होकर इन्हें दूर करें, देश के सभी नागरिकों को सामान अधिकार देने की बात करने वालो , तथा कश्मीर सहित सभी प्रदेशों को एक रूप में लाने की बात करने वालों कोही देस चलाने का हक़ दे।

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

महारानीजी को राम याद आए

कल समाचार चेनलो तथा आज समाचार पत्रों में सबसे चटपटी ख़बर थी, सोनिया गाँधी को भगवान राम की याद आई , मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, यह चमत्कार केसे हुवा; मुझे वो कहावत याद आ गई , सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। महारानीजी जी की पार्टी तो राम जन्म भूमि पर एक भव्य मन्दिर बनानेके लिए बाबरी मस्जिद गिराने की घटना को सबसे शर्मनाक घटना बताती हे ; इसके लिए वो बीजेपी, वि अच् पि, आर अस अस , आदि की जम कर आलोचना करती हे, । महारानीजी की पार्टी के कई सदस्य तो वहां निर्मित अस्थाई मन्दिर को तोड़कर फ़िर से मस्जिद बनाने की बात करतें हें। सत्ता का लालच क्या क्या नहीं करवाता , वो सत्ता का लालच ही तो था, जब महारानीजी,तथा उनकी पार्टी ने अपनी सरकार बचाने ऐसे लोगो का साथ दिया जो राम सेतु तोड़ना चाहते थे, अदालत में कहा कि राम तो कभी हुए ही नहीं। क्यों कांग्रेस पार्टी को सत्ता का लालच आ गया कि सत्ता के लिये तो उसे राम याद आगये , सत्ता मिलते ही वो राम को भूल राम मन्दिर तथा राम सेतु को तोड़ने कि बात करेगी। वेसे इसमें समाचार चेनलों के दोहरे मापदंड भी सामने आतें हे , जब बीजेपी राम मन्दिर कि बात करती हे तब पत्रकार कुटिलता से सवाल करतें हे कि बीजेपी को चुनाव के वक्त ही राम क्यों याद आते हें, वो कहते हे "बीजेपी ने फ़िर अलापा राम मन्दिर का राग। परन्तु किसी ने कांग्रेस कि महारानी से नही पूछा कि राम के होने को ही नकारने वालों को चुनाव के समय राम कि याद कसें आई। समाचार चेनलों ने तो इस बात को ऐसे प्रसारित किया जेसे राम को याद कर सोनिया गांधीजी ने देश पर अहसान किया हो। हो सकता हे वो पत्रकारों कि भी महारानी हो। पर हमें तो हमारे विवेक से असली तथा मज़बूरी के राम भक्तों का निर्णय करना हे, तथा ऐसे लोगों को इतना समर्थन देना होगा जो वास्तव में राम जन्मभूमि पर भगवान राम मन्दिर बनाना चाहतें हों, तथा उनको किसी पर निर्भर न रहना पड़े।

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

कब जागेगा हिंदू स्वाभिमान

आजकल जबसे मालेगांव बम विस्पोटो में कुछ हिंदू लोगों पर आरोप लगे हे , देश के सभी धर्मनिरपेक्ष (सही मतलब धर्मविहीन) दलोंतथा अपने को निष्पक्ष माननेकी गलतफहमी पले मिडिया ने एकनया शब्द बनाया "हिंदू आतंकवाद "। पहले हुए ज्यादातर विस्पोटों में मुस्लिम लोग ही आरोपी साबित हुए थे तब इन्हीं दलों तथा समाचार चेनलो मुस्लिम आतंकवाद शब्द पर आपति थी , उनका कहना था की आतंकवादी का कोई धर्म नही होता , आतंकवादी केवल आतंकवादी हे , यह बेहद शर्मनाक हे मात्र एक घटना जिसमें कुछ साबित होने से पहले ही अपने को धर्मनिरपेक्ष मानने वाले दलों तथा पत्रकारों ने हिंदू आतंकवाद जेसे शब्द को न केवल उछाला, बल्कि हिंदू संगठनो , हिंदू समाज को बदनाम करनी का बेहद आक्रामक घटिया स्तरका लंबा अभियान चलाया जो आजतक जारी हें। हिंदू शंकराचार्य की केवल मात्र गिरफतारी पर,कुछ भी साबित होने से पहले ही बेहद निम्न स्तर अभियान शंकराचार्य बहुत बड़े अपराधी हों। एक समानित और बुजुर्ग सन्यासी के अपमान पर भी हिंदू समाज चुप रहा जबकि हैदराबाद में बम विस्पोतों के आरोपी को छुडाने मुस्लिम पुरसों तथा महिलाओं ने पुलिस आयुक्त के कार्यालय पर हमला बोल दिया। मिडिया के लिए यह बहुत मामूली घटना थी। हिंदू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने वाले बदमिजाज चित्रकार को मिडिया महान कहता हे, परन्तु अपने भगवान् के अपमान से नाराज कोई हिंदू व्यक्ति या संगठन इसके विरोध में कोई प्रदर्शन या तोड़फोड़ करता हे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कहकर उन्हें तालिबानी, हुद्रंगी ; आदि शब्दों के संबोधन से बदनाम करने का आक्रामक अभियान चलाता हे , देश का बाकि हिंदू समाज चुप रहता हे, वहीं डेनमार्क में खुदा का कार्टून बनने पर देश का मुस्लिम समाज देशभर में हिंसात्मक आन्दोलन करते हें , पुरे देश में भय का वातावरण बनते हे, तथाकथित बुद्धिजीवी, निष्पक्षता का दावा करने वाले पत्रकारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के झूठे दावे मुस्लिमों के भय, या सांप्रदायिक कहे जाने के भय से गायब हो जातें हे बल्कि वो हुद्रंग की आलोचना करने की बजाय धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कहकर कार्टून बनाने वाले की अलोचाने करतें हें। मेंगलोर में शराबखाने में युवा लडके लड़कियों को शराब पिने से रोकने में हुयी मारपीट मेंएक हिंदू संगठन के शामिल होने से मिडिया व कांग्रेस सहित धर्मनिरपेक्ष मानानेवाले दलों ने इस तरह प्रचारित किया मानो इसमें बीजेपी , तथा आर, अस, अस, - जेसे सभी हिंदूवादी संगठनों की साजिस हो , हमला कराने वालों को, हिन्दुओ को अपमानित करने में इस्तेमाल करने वाले अपने मनपसंद शब्दों जेसे तालिबानी, हुद्रंगी, खोफानक , तथा हिंदू संस्कृति की रक्षा के ठेकेदार बता कर अपमानित किया । एसा लगा जेसे समाचार चेनलों वाले हिंदू संस्कृति को समाप्त करने वालों को बचाने वाले ठेकदार हों। या शिक्षा पानें की उमर की लड़के, लड़कियों में शराब का जहर फैलाने वालों के एजेंट। बाबरी मस्जिद गिराने को जिसमे एक भी मुस्लिम नही मरा परन्तु उसकी प्रतिक्रिया में मुंबई में कराये गए बम विस्पोतों में सेंकडों हिंदू मरे परन्तु हमारे धर्मनिरपेक्ष दल तथा मिडिया वाले बम कांड से ज्यादा डरावनी घटना बाबरी मस्जिद गिराने को बताकर हिन्दुओं को बदनाम कराने में पुरा श्रम करते हें। इसके विपरीत गोधरा में ट्रेन में हिन्दुओ को जलने की साजिस को मात्र एक दुर्घटना , उसकी प्रतिक्रिया में हुए गुजरात दंगो को अत्यंत खतरनाक तथा आक्रामक तरीके से वर्षों बीतने पर भी धर्मनिरपेक्ष दल मुस्लिम समाज को भयभीत रख वोट के लिए देश को भुलाने नहीं देते तथा मिडिया वाले हिंदू संगठनों को बदनाम करने के अपने खास पसंदीदा कार्य के तहत बार बार विसेस रूप से चुनाव के वक्त चित्रों सहित दंगों की खबरें प्रसारित करतें हें कंधमाल में एक वृद्ध सन्यासी की हत्या पर मिडिया तथा धर्मनिरपेक्ष दल खामोस रहतें हें परन्तु उसकी प्रतिक्रिया में को हुवा उसे रास्ट्रीय शर्म कहते हें केवल इसलिए की हत्या का शिकार साधू हिंदू था तथा मारने का आरोप इसाइयों पर था, जबकि बाद के दंगों में इसाइयों के मरने की बात थी। हिंदू समाज फ़िर भी सोता रहा। हमें अपने पवित्रतम तीर्थ तक जाने के लिए थोडी सी जमीं के लिए महीनो संघर्ष करना पड़ता हे, चंद हिंदू विरोधियो के सामने धर्मनिरपेक्ष दल घुटने टेक देतें हें, यह आन्दोलन केवल जम्मू के लोगों का नहीं बल्कि नब्बे करोड़ हिन्दुओ का था परन्तु अफ़सोस की बात हे देश के हिन्दुओ का स्वाभिमान नहीं जगा जम्मू के हिन्दुओ के समर्थन में कहीं पदर्शन नहीं हुए जबकि इसी देश में मुस्लिमो को हज के लिए धन दिया जाता हें। देश के धर्मनिरपेक्ष दल सिमी को तो सामाजिक संगठन कहते हें, जबकि आर -अस-अस-तथा वि -एच -पि को आतंकवादी संगठन कहते हें, बार बार सुनते हे किसी कंपनी ने चप्पलों पर, किसीने अधोवस्त्रों पर हिंदू देवताओं के चित्र बना दिए,मुठ्ठी भर लोग विदेशों में रहने वाले भारतीय विरोध करतें हें। देश में कहीं चर्चा नहीं होती। क्या आपने सोचा हे हिन्दुओ पर ही बार बार हमला क्यों होता हें, क्यों बार बार हिन्दुओ को अपमानित किया जाता हें, सदियों से हिंदू मारा जाता रहा हा, हमारे पर होने वाले हर हमले के बाद हमसे शांत रहने की अपील की जाती हें। कहतें हे हिंदू सहनशील हे , क्या यह वाकई में सहनशीलता हे, एक दो बार के हमलों पर चुप रहना तो सहनशीलता हो सकती हे,पर बार बार हमले होने पर भी चुप रहना केवल कायरता हे। हम क्यों कायर हुवे, क्यों हम हमारे हर अपमान पर चुप रहते हें, कहने को तो हम देश की कुल जनसँख्या का ८५% हें परन्तु फिर भी उपेक्षित हें क्योंकि हम संगठित नही हे। हमारे हित की बात करने वाहे दलों, तथा संगठनों को सांप्रदायिक कह कर अपमानित किया जाता हें, अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों ने हमें जाती, संप्रदाय, क्षेत्र अदि के आधार पर न केवल बांटा बल्कि लड़ाया भी। आज हम बिखरे हुए लकडी के उन टुकडों की तरह हें , जिन्हें कोई भी तोड़ सकता हें, पर हमें वो लकडियों का गठ्ठर बनना हे जिसे कोई तोड़ने की सोच भी नहीं सके बल्कि अगर किसी तोरने वाले के ऊपर गिरे तो उसका कचूमर निकल दे। आज हमें राम कथा सुनाने वाले ज्यादातर संत, महात्मा हमें राम के बाल रूप,पिता के वचन के लिए सब कुछ त्याग करने, लक्षमण भरत के भात्र प्रेम कीकथा सुना कर भावविभोर तो करतें परन्तु हमें राम का वह रूप भी आपनना हे जहाँ राम ने माता सीता के अपमान का बदला लेने के लिए वानरों और भालुओं को संगठित कर उनकी सेना बनाकर रावन को नेस्तनाबूद कर दिया था, आज देश में चारों और अनगिनत रावन फेलें हुवें हें,क्या उन्हें मिटाने आप फ़िर किसी राम के अवतार लेने का इंतजार करेंगे, नही अब आपके ख़ुद के राम बनने का समय हें , हमें ख़ुद ही रावनो का संहार करना हें। ,में एक कविता से अपनी बात कहना चाहूँगा. , ख़ुद बन जायें राम __ नही करें इंतजार और अब, फिर से होंगे प्रकट राम , देश में फेले अनगिनत रावन , उन्हें मिटाने ख़ुद बन जायें राम १। । राम ने लिया अवतार धरा पर , पर रहें नहीं भगवान् बनकर , कर्म किए कष्टों को झेला , रहे हमेशां मानव बनकर। २। दुःख - सुख तो आते जाते हे , दुख्नो से क्यूँ घबरातें हें , दुख्नों से लरे अपने बल पर, भगवन को क्यूँ बुलाते हें। ३। सहते हें सब जुल्म अत्याचार, नहीं करते सामना बने रहते लाचार , नहीं करते कर्म , बस करते इंतजार , कभी तो लेंगे भगवन अवतार। ४। राम तो थे विष्णु के अवतार , उनकी शक्ति थी अपरम्पार , रावन को मार सकतें थे अयोध्या से, नहीं थी लंका जाने की दार कार। ५। हमको कर्म करना सिखाना था, वीरो की तरह लड़ना सिखाना था, नहीं करें इंतजार चमत्कार का, ख़ुद अपनी रक्षा का संकल्प जगाना था। ६। क्रूर अपूर्व बलशाली राक्षाशों को , मायावी शक्तिधारी , वरदानी असुरों को, साधारण वानरों भालुओ ने जीता, आत्मबल , संगठन, सहयोग से जीता। ७। आज हम हें स्वार्थी व कायर, अपनें लिए ही जीते मरते हें, एकता और संगठन नहीं बनातें , छोटे छोटे राक्षसों से डरतें हें। ८। संगठन में शक्ति हें, बल हें, संगठन से पैदा होता आत्मबल हें, मर सकतें हें भ्रष्टों अप्राधिओं को, हम सब में इतना दमख़म हें। ९। राम को न खोजो मंदिरों में , राम तो कण कण में हे, अपने मन के रावन को निकालों , राम हम सब के मन में हें। १०। -_________। अपनी शक्ति को पहचाने जो हमारी एकता में हें हिंदू एकता में हमारा स्वभिमान्हें, किसीभी अन्याय व अपमान पर पुरे देश में संगठित होकर खड़े हों।

मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

कमजोर प्रधानमंत्री की विसेस्ताए

आजकल हमारे प्रधानमंत्रीजी देश को यह बताने में अपना पुरा श्रम लगा रहे हे किवो कमजोर प्रधानमंत्री नही हें ,तथा विपक्षी नेता को कमजोर साबित कराने में जी जानसे जुटे हे, ऐसालगता हे जेसे किसीने उनकी दुखती रगपर हाथ रख दिया हो , या कोई उनकी पोल खोल रहा हो । इस काममें उनकी पार्टी कि महारानी व् युवराज भी अपने हर भासन में उनके कमजोर न होने कि दुहाई दे रहें हे। यंहा हम उनकी शारीरिक कमजोरी कि नही बल्कि उनकी निर्णय लेने कि स्वतंत्रता , तथा अपनी बात मनवाने कि क्षमता , पार्टी में उनकी कितनी चलती हे इसके बारे में बात कर रहे हे । सबसे पहले भारत कि जनता के बारे में उनकी सोच के बारे में बात करेंगे । अंग्रेंजों के राज में जो लोग अंग्रेजो कि चापलूसी करते थे अंग्रेज उन्हें सर,रायबहादुर आदि उपधिया दिया करते थे ,एसतरह के लोग बाकि भारतियो को जाहिल , गंवार मानते थे, मनमोहन सिंघजी हे उस ज़माने के ,। कुछ साल पहले इंग्लैंड गए तब अंग्रेजों के राज कि तारीफ कि भारतीय जनता को जाहिल गंवार बताया , बदले में सर कि उपाधि पाई । विदेश में भारत कि इज्जत धूल में मिला दी , शायद कमजोर दिमाक के कारन यह भूल गए होंगे कि वो अंग्रेंजों के नोकर नहीं बल्कि आजाद भारत के प्रधानमंत्री हें। इस बारें में पत्रकारों कि खामोसी बेहद शर्मनाक हें , जो बीजेपी तथा हिंदुत्व वादी संगठनो के बरसो पुराने मामूली मामलों को आक्रामक तरीके से प्रचारित करता हें। मनमोहन सिंघजी कहतें हे में चुप रहता हूँ , ज्यादा बोलना या जोर से बोलना ही बहादुरी नहीं हे। बिल्कुल सही, आपके सिख बंधुओं के नरसंहार के आरोपी लोगों को आपकी पार्टी ने लोकसभा का टिकेट दिया ,आप चुप रहे , क्योंकि निर्णय आपकी महारानी का था , यही तो आपकी बहादुरी का सबूत हें। इन आरोपियों को सीबीआई से क्लीन चित दिलाई गई,आप चुप रहे,आप के सिख बंधुओं नेजिन्होने कांग्रेसियो द्वारा किए गए नरसंहार में अपनों को मरते देखा था, उन्होंने प्रदर्शन किए आप चुप रहे, ये सब आपके कमजोर होने के सबूत हें या नहीं आप जानते हें। आपके राज के दोरान सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएँ हुई , आपके गृहमंत्री शिवराज पाटिल लापरवाह और कमजोर गृहमंत्री कहे जाने लगे ,अपनी हर आलोचना,तथा हटाये जानें कि मांग पर उनका एक ही जबाब होता कि जब तक उन्हें सोनियाजी का आशीर्वाद हे उन्हें कोई नहीं हटा सकता , अनगिनत देशवासियों कि जान जाने पर भी सोनिया जी के आशीर्वाद के कारन आप उन्हें नहीं हटा सके यह आपके कमजोर होने का सबूत हें। आप प्रधानमंत्री हें फ़िर भी आपके मंत्रिमंडल में कुछ भी संकट हो , कोई मंत्री शामिल करना हो, हटाना हो, कोई मुख्यमंत्री बदलना हो , हमने तो आजतक यही सुना हें कि सारा फेसला सोनिया गाँधी पर छोड़ दिया , कभी नही सुना कि कोई फेसला प्रधानमंत्री पर छोड़ा गया हो। यह भी आपकी कमजोरी ही दर्शाता हें। अमेरिका से परमाणु समझोते के समय आपकी सोच देस हित से ज्यादा अमेरिका हित कि ज्यादा लग रही थी , हो सकता हे मेरी यह बात पुरी सही न हो, परन्तु अपनी सरकार तथा कुर्सी बचाने में आपकी जोड़तोड़, किसीको मंत्री ,किसीको मुख्यमंत्री बनाने का लालच देना, अपराधियो आदि से समर्थन कि जी तोड़ कोसिस , कंही पेसे का लालच भी हो सकता हें, आश्चर्य तो तब हुवा कि आपने लोकसभा के स्पीकर को ऐसा क्या दिया कि जीवनभर कम्न्युसत रहे सोमनाथ भी आपकी भासा बोलने लगे,केवल आपके पुरे कार्यकाल में यही एक घटना लगती हें जिसमे आप कमजोर नहीं लगते, पर इसमे लोकसभा शर्मसार हुयी । आप कमजोर हें या सक्षम , आप आदेश देने वालें हें या मानने वाले यह निर्णय देश कि जनता पर।

रविवार, 12 अप्रैल 2009

मेरे विचार

आजकल कांग्रेस पार्टी बीजेपी पर आतंकवाद पर जो आरोप लगा रही हें उसमें कंधार विमान अपहरण कांड प्रमुख हँ, उस विमान में सेंकरोंयात्री थे तथा विमान अफगानिस्थान में था तालिबानी आतंकवादियों का राज था । विमानयात्रियोंके परिवार वालों तथा कांग्रेस सहित अन्य लोगों के दबाव तथा समाचार chenalokiजबरदस्त आलोचना से सरकार ने देस वासियों की जानबचाने के लिए जसवंत सिंघजी को आतंकवादियों के साथ भेजा ताकि यात्रियों की सकुशल वापसी होसके क्योंकि तालिबानियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था की वो आतंकवादियों के मिलनेपर भी यात्रिओं को कुछ नुकसान नहीं पहुंचाएंगे ।

यह सरकार का उचित निर्णय था । कितने शर्म की बात हें की कांग्रेस पार्टी आज इसके लिए बीजेपी की आलोचना कर रही हें .शायद यह उसकी मुस्लिम परस्त सोच हें क्योंकि विमान में ज्यादातर यात्री हिंदू थें ,क्या उस विमान में सारेयात्री मुस्लिम होते तोभी कांग्रेस पार्टी इस निर्णय की आलोचना करती ,कभी नही क्योंकि हमारे प्रधानमंत्रीजी को नींद तभी नहीं आती जब कोई मुस्लिम तकलीफ में होता हें ,जब हिन्दुओं को तकलीफ हो तो हमारे प्रधानमंत्रीजी आराम की नींद सोते हें । जिस मुफ्ती मोहम्मद सायेदकी बेटी के लिए पॉँचआतंकवादियों को छोरा गया था उनके साथ मिलकर सत्तासुख भोगने में कांग्रेस को शर्म नहीं आई ,क्या यंहा आतंकवादियों को छोरना गलत नहीं था .वो भी उस आदमी के साथ जो आतंकवादियों के साथ नरम् रुख अपनाना चाहता था। यह कांग्रेस की बेईमान आलोचना हें॥ दूसरी आलोचना बाबरी मस्जिद गिराने की हें ,इसमें कांग्रेस की मुस्लिमपरस्त तथा हिंदू विरोधी मानसिकता साफ झलकती हें ,अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली यह मुस्लिमपरस्त पार्टी महात्मागांधी के आदर्शों पर चलने की बात तो करती हें परन्तु उन्ही गांधीजी के आदर्श पुरूष भगवान राम का अपमान करती हें ,वह राममंदिर को तोरकर मस्जिद बनाना चाहती हें रामसेतु तोरने वालों का साथ देने के लिए राम के होने को ही नकारती हें ताकि अपनी सरकार बची रहे । धरमनिर्पेक्षता का अर्थ हें धरम विहीनता ,यानि बिना धर्म की पार्टी ,इस हिसाब से कांग्रेस को अपने आप को धर्म निरपेक्ष कहना ठीक हें ,अपने कार्यों से इसे मुस्लिम परस्त पार्टी कहना चाहिए ,क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पाए आतंकवादी को केवल इसलिए बचाती हें क्योंकि वह मुस्लिम हें । क्या यह सांप्रदायिक या मुस्लिम परस्त होना नहीं हें ,सोचें ,विचार करें ,क्या आपको ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमों को दे फ़िर जो बचे वो हिन्दुओं के लिए हो ,यानि देश का पानी पहले मुस्लिमों को मिलने के बाद हिन्दुओं को मिलेगा ,राशन का अनाज ,गैस ,केरोसिन पहले मुस्लिमों को मिलने के बाद बचा हुवाहिन्दुओं में वितरित किया जाएगा ,ज्यादातर कांग्रेस शाशित प्रदेशों में बिजली की बहुत कमी हें ,क्या कांग्रेस की सरकार बनी तो हिंदू तथा मुस्लिम के अलग मोहले बनाकर मुस्लिमों को पुरी बिजली देने के बाद बचने पर हिंदू मोहलों में बिजली देगी .गंभीरता से सोचें ,अपनीं तथा अपने आत्मा सन्मान के लिए सही सरकार का चुनाव करें।

रविवार, 5 अप्रैल 2009


आजकल देश में बीजेपी तथा कुछ हिंदूवादी दलों के अलावा लगभग सभी दल धर्मनिरपेक्षता की बहुत बातें कर रहें हँ। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ हें धर्म विहीनता क्यों ये सभी दल देश को धर्म विहीन बनाना चाहतें हें ताजुब की तथा बेहद शर्म की बात की जिन महात्मा गाँधी ने भारत में रामराज्य लानें का सपना देखा था उनके आदर्शों पर चलने की बातें करनें वाली कांग्रेस पार्टी भी देश को धर्मविहीन बनाना चाहती हें .चुनाओं में ही कांग्रेस को गाँधी यादआतेहें परन्तुं जीवनभर राम को अपना आदर्श मानने वाले राम से कांग्रेस नफरत करतीहें वह राम मन्दिर का विरोध करती हें ,राम जन्मभूमि पर मन्दिर की जगह मस्जिद बनाना चाहती हें ,रामसेतु को टूटने से बचाने की बजाय तोरने वालों का साथ देने के लिए राम के होने को ही नकारती हें यह देश का केसा दुर्भाग्य की सत्ता के लालच में कांग्रेस तथा दुसरे कुछ दल एक एसे देश को धर्म विहीन बना देना चाहतें हें जो सर्व धर्म सदभाव की मिशाल हें यह देश के लिए बहुत घातकहें क्या ये दल देश का मुस्लिमिकरण करना चाहतें हें .ये दल चीख चीख कर बीजेपी को सांप्रदायिक दल तथा अपने को धर्मनिरपेक्ष कहतें हें .इन दलों ने देश में ऐसा माहोल बना दिया हें जेसे कोई भी व्यक्ति ,दल ,संस्था अगर हिंदू हितों की बात करतें हें ये दल हिंदू विरोधी मानसिकता वाले कुछ समाचार पत्रों तथा चैनल बहुत सहयोग से कुछ एक भी करने में अपनी पुरी ताकत लगा देतें हें क्या मुस्लिम परस्ती ही धरमनिर्पेक्षता हें । kya kya