रविवार, 22 नवंबर 2009

राहुल भट्ट खुशकिस्मत हे , वह हिंदूवादी संगठन का सदस्य नही हे.

वाकई राहुल भट्ट खुशकिस्मत हे , आतंकवादी हेडली के साथ दोस्ती की बात सामने आने के बाद भी समाचार चेनलों के दुष्प्रचार का शिकार होकर अपराधी साबित होने से पहले ही अपराधी घोषित होने से बच गया. राहुल भट्ट की खुस किस्मती यह हे, की वह किसी हिंदूवादी संगठन का सदस्य नहीं हे, वो महेश भट्ट का बेटा हे, जो हिंदूवादी संगठनों को कोसने को अपना प्रमुख कार्य मानते हें, जो खाते भारत का हे, गाते पाकिस्तान की हे, हिंदूवादी संगठनों को बदनाम करने के समाचार चेनलों द्वारा बनाये गए लगभग सभी कार्यक्रमों, समाचारों में प्रतिक्रिया लेने में समाचार चेनलों की पहली पसंद हे, मुंबई हमलों के समय , हमलों पर एक चेनल द्वारा प्रतिक्रिया पूछने पर महेश भट्ट साहब ने बजाय हमलों की आलोचना करने के, क्योंकि हमलावर पाकिस्तानी थे, भट्ट साहब ने फरमाया , "दिलों को बदलने की जरुरत हे", इस शर्मनाक टिपण्णी से ज्यादा यह शर्मनाक था, की अपने आप को अति ग्यानी समझने वाले, चेनल के किसी सवांद दाता ने महेश भट्ट साहब यह सलाह नहीं दी कि वो भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस जाएँ और वंहा के लोगों , नेताओं, और सेना के दिलों को बदलने का कार्य करे तो शायद दोनों देशो का भला होगा, भारत का इतना ही भला काफी हे कि उनसे छुटकारा मिलेगा. पर शायद चेनल वालों ने इसलिए यह सलाह नहीं दी होगी, कि हिंदूवादी संगठनों को गाली देने वाला ऐसा आदमी दूसरा तलासना होगा, या फिर वहां पर बहुसंख्यक पाकिस्तानियो को कुछ कहने कि हिमाकत कि तो बजाय उनका दिल बदलने, वो लोग भट्ट साहब का हुलिया बदल देंगे, वेसे भारत में भी बहुत कम संख्या में होने पर भी कोई गलत बात हो तो भी मुस्लिमों को कुछ भी कहने कि हिमाकत भट्ट साहब क्या उनके जेसे लों या चेनल वाले भी नहीं करते. ------अब अगर राहुल भट्ट किसी हिंदूवादी संगठन के सदस्य होते तो?.समाचार चेनलो के लिए कई दिनों तक दिनभर देश के तमाम हिंदूवादी संगठनो के विरुद्ध जहरीला प्रचार करने माध्यम बनाते, चाहे वो अनाम से किसी छोटे से संगठन के सदस्य ही होते, समाचार चेनल( आर अस अस, वि अच् पि , बजरंग दल, )जेसे संगठनो से उनके मनघडंत समन्ध बना देते, इन संगठनों व भा जा पा को बदनाम करने के अपने प्रमुख कार्य तहत नए नए क्रायक्रम बनाते, जिसमे खुद तो भरपूर जहर उगलते ही, हिंदूवादी संगठनों को कोसने को हरदम तैयार खड़े रहने वाले लोगो , धरमनिर्पेक्षता के नाम पर मुस्लिम परस्ती करने वाले नेताओं को बुलाकर इन संगठनों के विरुद्ध जम कर दुष्प्रचार करते, पता नहीं कंहा से उनके बारे में ऐसी ऐसी भूतकाल कि बातें दुंड कर लाते जिनके बारें शायद उनको भी मालूम न हो, ------- भले ही मामला प्रारंभिक स्तर पर हो, अदालत में सच झूठ कुछ तय होने या वो व्यक्ति दोषी साबित हो या नहीं हो, ये अति अहंकारी अपने को जज से बड़ा समझने वाले खोफनाक , व बेशर्म समाचार चेनल वाले राहुल भट्ट को अपराधी साबित होने से पहले ही अपराधी घोषित कर देते. ---- पर राहुल भट्ट महेश भट्ट के बेटे हे, समाचार चेनलो के मनपसंद कार्य मुस्लिम परस्ती, व हिंदूवादी संगठनों, को गाली देने के विसेशग्य हे, इसलिए आतंकवादी के दोस्त होने पर भी समाचार चेनलों कि आलोचना से बच गए, . समाचार चेनलों का दोगलापन भी यंहा नजर आया जब एक चेनल ने यह कहा कि यह सिर्फ आरोप हे , जब तक आरोप साबित नहीं हो जाता उन्हें अपराधी नहीं कह सकते, जबकि येही चेनल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और उनके साथियों को बिना सबूतों के मात्र गिरफ्तार होने भर से, बड़े बड़े मुस्लिम आतंकवादियों से भी बड़ा आतंकवादी घोषित कर दिया, इतने दिनों के बाद भी पुलिश उनके खिलाफ को सबूत नहीं ला सकी, यहाँ तक कि अदालत ने उन पर से मकोका भी हटा लिया . गुजरात दंगो पर भाजपा व नरेन्द्र मोदी, तथा बाबरी मस्जिद ताडने पर तमाम हिंदूवादी संगठनो से बार बार माफ़ी मांगने कि मांग करने वाले इन चेनलों को साध्वी प्रज्ञा व उनके साथियों से उनके खिलाफ अत्यंत जहरीला दुष्प्रचार करने , तथा आरुशी हत्याकांड में दोसी साबित हुए बिना एक मृत लड़की व उसके दुखी माता पिता का अत्यंत घटिया स्तर पर आकर चरित्र हनन करने पर माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए. ---- यही समाचार चेनलों का दोगला , अहंकारी, अपने को कुछ भी झूठा प्रचार करने पर भी सभी आलोचनाओ से परे समझने वाला चरित्र हे,------ क्यांकि इनके पास इकतरफा दुष्प्रचार करने का शशक्त माध्यम हे, जिसपर वो सामने वाले को कोई सफाई का मोका दिए बिना चीख चीख कर बेहद घटिया तरीके से उसकी आलोचना करते रहते हे, जिससे दुखी होकर शिवसेना जेसे दल के कार्यकर्ता उस चेनल पर हमला करते हे तो चेनल वाले एक विशेष चेनल पर किये हमले को बड़ी बेशर्मी से पुरे मिडिया पर हमला कहकर चिल्ला चिल्ला कर प्रचारित करने , उस दल को गुंडों का दल , तालिबानी जेसी उपमाएं देने में जीजान से जुट जाते हे जबकि ये सबसे बड़े वैचारिक गुंडे हें, अपने पर मामूली से हमले पर हायतोबा मचाने व उसकी शियाकत मुख्य मंत्री से करने वाले , देश कि आवाज होने का झूठा दंभ भरने वाले ये अहंकारी चेनल वाले तब मुख्य मंत्री से नहीं मिलते जब राजठाकरे के लोग आम लोगों पर हमला करते हें, और पत्रकारों पर हमले को गैर जमानती बनाने कि बात करने वाले मुख्य मंत्री भी आमलोगों पर हमले को गैर जमानती अपराध बनाने कि बात नहीं करते, क्योंकि राज ठाकरे के लोगों द्वारा दुसरे प्रान्त के लोगों पर हमलों का मुख्य मंत्री साहब अपनी पार्टी के राजनेतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते हें. अत राज को बचाने में सहयोग भी करते हें. ----- हमें इन समाचार चेनलों कि विकृत मानसिकता को समझना होगा तभी हम इनके खतरनाक इरादों से हिंदुत्व तथा भारतीय सभ्यता व संस्कृति कि रक्षा कर सकेंगे.

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चाई कडवी होती है, लेकिन कहने वाले कह ही देते है!
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    जिन्दा लोगों की तलाश!
    मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!


    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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    सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

    (सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
    राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666

    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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