रविवार, 26 जून 2011

देश हित के कार्यों में शर्तें नहीं-- सबका सहयोग हो.



किसी  भी आन्दोलन कि सफलता के लिए जरुरी हे कि उसमे   देश कि सारी जनता कि भागीदारी हो, ऐसा प्रतीत हो कि इस आन्दोलन में आन्दोलन कर्ता  समाज के हर वर्ग, संगठन, राजनेतिक दल जो भी उस आन्दोलन कि मूल भावना से सहमती रखते हुए सहयोग करे उनका सबका का समर्थन व् सहयोग बिना किसी शर्त स्वीकार करे, और उनके सहयोग का सन्मान करे. अन्ना हजारे का आन्दोलन उनके तथा उनके साथिओं के अहंकार, व दोगले पन के कारण अपने लक्ष्य से भटकता प्रतीत हो रहा हे. इसी वजह से वो सरकार से हार रहें हे, या अन्य किसी कारण या उद्देश्य के हारना  पूर्व निर्धारित था कह नहीं सकते, यह कारण कोंग्रेश के इशारे पर  बाबा रामदेव के आन्दोलन को कमजोर करना भी हो सकता हे,. 
      लोकपाल मुद्दे पर अंतिम असफल मीटिंग के बाद एक हिन्दी समाचार चेनल पर बोलते हुए केजरीवाल जी फरमा रहे थे कि वो इस मुद्दे पर अन्य नेताओं के साथ साथ भाजपा के अडवाणी जी, सुषमा जी व अन्य नेताओं से मिले पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, उनको इसकी तो शिकायत थी पर वो अपने दोगले पन को भूल जाते हे, कि वो हर दम  संघ को गाली देते रहते हे, जो कि भाजपा का प्रमुख सहयोगी संगठन हे, संघ लगभग 85 साल पुराना संगठन हे जिसे  अपने कई सहयोगी संगठनो के माध्यम से देश के लगभग  35 से 40 करोड़ लोगो  का समर्थन हासिल हे, धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढ़े मुस्लिम परस्त मानसिकता वाले लोगो कि जमात में खड़े केजरीवाल व उनके साथिओं को क्यों अपेक्षा हे कि भाजपा उनके  आन्दोलन में सहयोगी बने तथा वो भाजपा तथा उनके  सहयोगिओं को अछूत समझे, शर्म कि बात यह हे कि हिन्दू संगठनो को कोसते रहने वाले, अमरनाथ यात्रा को गलत कहने वाले, कश्मीर को भारत से अलग करने कि इच्छा रखने वाले अलगाव वादियो तथा नक्शली आतंकियो को गले लगाने वाले स्वामी अग्निवेश जैसे लोग उनके साथी हो सकते हे, अभी स्वामी अग्निवेश ने कहा कि अन्ना को जो मिला वो बहुत माने, अब आन्दोलन ना करे , करे तो संसद के मानसून सत्र के बाद करे, यही तो अन्ना कि नियत पर संदेह होता कि अभी तो उन्हें सरकार से सिवा धोके के मिला ही क्या हे, फिर भी अग्निवेश उन्हें आन्दोलन नहीं करने कि सलाह दे रहे हे. अगर अन्ना के दिल में सचाई हे अगर उन्होंने वाकई देश हित के लिए आन्दोलन किया हे अग्निवेश जेसे लोगो से दुरी बनाकर बाबा रामदेव तथा देश हित के काम में बिना किसी शर्तो को लगाये सभी संगठनों को साथ रखना चाहिए.    
      अन्ना हजारे एक तरफ तो कहते हे कि इस आन्दोलन में पुरे देश  कि भागीदारी हे पर बाबा रामदेव को शामिल करने को लेकर कुछ सवाल हे, जिन के स्पस्टीकरण के बाद ही उनको शामिल किया जायेगा, क्या यह अन्ना का अहंकार हे कि वो यह तय करेंगे कि हमारी शर्तों को मानने वाला ही सरकार कि गलत नीतिओ का विरोध करने का हक़दार हे, पर मुझे लगता हे बाबा रामदेव को शामिल करने में हिच किचाहट के पीछे   अन्ना और उनकी  कि टीम को दो तरह के डर हो सकते हे, पहला अगर उनका आन्दोलन केवल बाबा रामदेवजी के आन्दोलन को कमजोर करने मात्र के लिए खड़ा लिया गया था तो उनकी असलियत सामने आ जाएगी, क्यों कि यह देखा जा रहा हे कि कोंग्रेश अन्ना कि उतनी खतरनाक व  घटिया  तरीके से आलोचना नहीं करती हे जितनी बाबा रामदेव कि करती हे, दिग्विजय सिंह जेसे बकबकिए करते भी हे तो पलटी मार जाते हे, आलोचना करे तो भी कहते हे कि वो अन्ना का बहुत सन्मान करते हे, बाबा रामदेव के लिए तो सबसे नीचता पूर्ण तरीके से आलोचना करते हे, इससे मन में शंका होती हे अन्ना हजारे के आन्दोलन के मकसद पर./ फिर बाबा का आन्दोलन आजादी के बाद से देश के लुटे विदेशो में जमा धन को वापस लाने तथा लुटने वालो को कठोर सजा दिलाने, भविष्य में इसतरह कि लुट पर रोक लगाने तथा अन्य देश हित के कार्यो के लिए हे जबकि अन्ना का  आन्दोलन केवल लोकपाल के माध्यम से भविष्य में होने वाले भ्रस्टाचार को रोकने मात्र तक सिमित हे, तो क्या अन्ना उन  कोंग्रेशिओं को बचाना चाहते हे तथायह कहते कि अब तक  देश को लुटने वाले देश का धन अपने पास रखे, उसके मालिक बन जाएँ. 
      अन्ना हजारे जी को यह भय भी हो सकता कि बाबा के पीछे जो जन शक्ति हे उसके मुकाबले वो कंही नहीं ठहरते, जेसा कि उनके मुकाबले  बाबा के आन्दोलन में जनता कि विशाल उपस्थिति, जो बाबा के बुलावे पर पुरे देश से आई थी. बाबा के आन्दोलन में जनता का जुडाव उनकी कड़ी मेहनत, देश भर में भ्रमण कि वजह से थी,अन्ना जानते हे उनके आन्दोलन में लोगो से ज्यादा मीडिया का प्रचार ज्यादा था, जो फुले गुब्बारे से ज्यादा नहीं हे, बाबा के बुलावे पर देश भर से लोग आते हे उनके बुलावे पर नहीं, इसलिए वो यह कहते ही नहीं हे कि देश भर के लोग सम्मिलित हो, केवल टी.वी. पर चेहरा दिखाने को लालायित कुछ हजारो कि भीड़ तथा मीडिया का अति प्रचार ही अन्ना जी कि उपलब्धि हे, हो सकता हे बाबा के शामिल होने से बाबा ज्यादा श्रेय ले जाएँ ,अन्ना देखते रह जाएँ, क्यों कि बाबा ने कुछ किया तो हे, सरकार ने बर्बरता पूर्ण कार्यवाही कर उनके आन्दोलन को कुचला हे जबकि अन्ना तो बिना कुछ किये ही सरकार के सामने घुटने टेकते  प्रतीत हो रहें हे, 
        अन्ना तथा उनके सहयोगी संघ तथा भाजपा के सहयोगी होने कि सरकारी आलोचना से बिना डरे बाबा रामदेव तथा सभी का बिना कोई शर्ते लगाये सहयोग लेकर स्वामी अग्निवेश जेसे लोगो से छुटकारा पाकर  व्यापक आन्दोलन करेंगे तभी सफल होंगे तथा उनकी विश्वसनीयता बनेगी और देश में सन्मान मिलेगा. 

रविवार, 19 जून 2011

क्या कोंग्रेश,अन्ना हजारे तथा मीडिया का गठजोड़ हे !



जब से बाबा रामदेव ने भ्रस्टाचार, देश तथा विदेश के काले धन को रास्ट्रीय सम्पति घोषित कर सारा धन देश को वापस दिलाने, भ्रस्टा चारिओं को कठोर सजा दिलाने का अभियान छेड़ा हे, कोंग्रेश पार्टी सबसे ज्यादा परेशानी में हे,जनहित के लगभग सभी क्षेत्रों में बुरी तरह से नाकाम से जन विरोधी छवि , तथा लगातार सामने आ रहे घोटालो से, तथा घोटाले बाजो को  बचाने कि हर संभव कोशिस करने के कारण देश में  भ्रस्टाचार समर्थक छवि बनने से तिलमिलाई हुयी हे, सबसे ज्यादा परेशानी तो इन सबके कारण अपनी पूजनीय महारानी,तथा सभी तरह के  प्रेरणा दाता युवराज की मलिन होती छवि के कारण हो रही हे, क्योंकि यह तो सारा देश जनता हे, की उनकी पार्टी में इनकी सहमती,जानकारी  और आदेश के बिना कुछ होता नहीं हे. 
     बाबा रामदेव के आन्दोलन के कारण जब ये मुद्दे देश व्यापी हो गए तो जरुरत थी किसी ऐसे व्यक्ति की जो अपना कोई ऐसा आन्दोलन चलाये जिससे बाबा रामदेव के आन्दोलन को कमजोर किया जा सके तथा जनता का ध्यान जो सीधे सीधे  भ्रस्टाचार व् काले धन के मुद्दे पर केन्द्रित हो गया उससे से हटाया जा सके. 
    हालाँकि पक्के तोर पर तो नहीं कहा जा सकता पर कुछ घटनाओ तथा कारणों से ऐसी आशंका होती हे की अन्ना हजारे का आन्दोलन कोंग्रेश की बनायीं रणनीति का परिणाम हे, ताकि जनता का ध्यान बटाया जा सके.चूँकि बाबा रामदेव का आन्दोलन भाजपा के ज्यादा अनुकूल होता हे, अतः  यह धारणा तो बनी हुयी थी की इस आन्दोलन को भाजपा का समर्थन हे. इसलिए बाबाजी के आन्दोलन को कमजोर करने के लिए अन्ना का जन लोकपाल रूपी एक सूत्रीय आन्दोलन सुरु कराया गया जिसमे मीडिया को भी सक्रीय रूप से भागीदार बनाया गया जोकि जाहिर रूप से कोंग्रेश की तरफ पक्षपाती हे, 
     अन्ना हजारे का आन्दोलन उनके, कोंग्रेश तथा मीडिया का गठजोड़ हे इसकी आसंका क्यों हे यह शंका मन में क्यों होती हे i कुछ घटनाये इसका इशारा करती हे, अन्ना ने चार अप्रैल को जो पहला अनसन सुरु किया था,उसके कुछ दिन पहले दिल्ली में बाबा रामदेव की जबरदस्त भ्रस्टाचार विरोधी रैली हुयी थी, जिसमे अन्ना समेत अनेक लोग समिलित हुए थे, समाचार चेनलो का पक्षपाती रवैया तभी सामने आ गया जब दिन भर चले इस कार्यक्रम का किसी भी समाचार चेनल पर जिक्र तक नहीं था, जबकि वहां पर लगभग सारा मीडिया मोजूद था, कुछ समाचार पत्रों ने   किसी कोने में छापा होगा, क्योंकि बाबा रामदेव का आन्दोलन केवल भविष्य में होने वाले भ्रस्टाचार को रोकने मात्र के लिए नहीं था, बल्कि अब तक जिन लोगो ने देश की सम्पदा को लुटा देश का धन विदेशो में भेजा उनको भी पकड़ना तथा विदेशो से देश का धन वापस लाना जेसे व्यापक स्तर का  था, क्योंकि इस अभियान की सफलता से ज्यादातर कान्ग्रेशियो की पोल खुलने का डर था इसलिए मीडिया ने इस आन्दोलन का प्रसारण ही नहीं किया, इसके विपरीत अन्ना के आन्दोलन को जो मात्र लोकपाल बिल तक के छोटे मकसद तक सिमित था, जो केवल भविष्य में होने वाले भ्रस्टाचार को रोकने मात्र के उद्देश्य के लिए था, समाचार चेनलों ने चार- पाँच दिनों तक  दिन  भर सीधा प्रसारण किया, कई तरह की चर्चाएँ आयोजित की, जबकि वहां केवल स्थानीय लोगो की भीड़ थी, परन्तु बाबा रामदेव के प्रोग्राम में  देश भर से आई अन्ना के प्रोग्राम से कई गुना ज्यादा भीड़ थी. मीडिया ने अन्ना के आन्दोलन को देश व्यापी बनाया जबकि बाबा रामदेव के बहु उपयोगी, देश हित के महान आन्दोलन को छोटा और महत्वहीन करने का प्रयास किया, 
      यहाँ यह तो साबित होता हे की देश का ज्यादातर मीडिया स्वार्थी व कोंग्रेश का पक्षपाती हे, पर यंहा अन्ना के तरीके पर भी शंका होती हे, क्यों वो केवल लोकपाल की एक सूत्रीय  मांग के लिए आन्दोलन कर रहे हे, वो क्यों नहीं चाहते की विदेशो में जमा देश का लुटा धन देश को वापस मिले,देश का धन लुटने वालों का नाम जनता जाने तथा ऐसे भ्र्स्ताचारियो को कठोर सजा मिले, शायद सिर्फ इसलिए की वो और उनके साथी यह  अच्छी तरह से जानते हे की ऐसा आन्दोलन करने से सबसे ज्यादा फजीयत कोंग्रेश की होगी, देश हित से ज्यादा कोंग्रेश हित उनकी सोच में हे, तभी  तो शायद बाबा रामदेव के आन्दोलन से जनता का ध्यान भटकने के लिए कोंग्रेश ने मीडिया के सहयोग से अन्ना के आन्दोलन को जबरदस्त प्रचारित कराया. 
      बाबा रामदेव ने अपने आन्दोलन में अन्ना को बुलाया पर अन्ना ने बाबा को नहीं, फिर भी बाबा रामदेव अपनी तरफ से समर्थन देने अन्ना के मंच पर गए तथा अपना व्यतव्य दिया पर अन्ना ने अपने अनसन  समापन के बाद समर्थन करने वालो को धन्यवाद दिया उनको भी जो मंच पर नहीं आकर केवल समर्थन का सन्देश भिजवाया था, पर बाबा रामदेव को नहीं, यह अन्ना का अहंकार था या कोंग्रेश पार्टी का निर्देश पालन वो ही जाने, हाँ मीडिया को बाबा रामदेव की आलोचना का एक मुद्दा जरुर मिल गया जिसे उन्होंने हिंदुवादियो के लिए अपने चिरपरिचित घटिया अंदाज में भुनाया जेसे की बाबा के मंच पर नाचने के बावजूद भी अन्ना ने उन्हें समर्थन का धन्यवाद नहीं दिया, जिससे बाबा की इज्जत को मिटटी में मिलाया, हाँ सोनिया गाँधी का अन्ना हजारे को समर्थन के दिखावटी व्यक्तव्य का अन्ना ने बड़ा सा आभार माना और धन्यवाद दिया, यह किस तरफ झुकाव का संकेत हे. 
      अन्ना बार बार कहते हे, की वो सच बोलने से किसी से डरते नहीं हे, फिर क्यों नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के अभूतपूर्व विकास की सच्ची तारीफ करने के बाद हिन्दू विरोधी मानसिकता वालो तथा कोंग्रेश की आलोचना से डर कर अपने व्यतव्य पर कायरता पूर्ण सफाई देने लगे, क्यों निडरता से अपनी बात पर अडिग नहीं रहे की नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में जो विकाश किया हे वो वर्तमान की सचाई हे, बल्कि अपने को खोखले धर्मनिरपेक्षता की चादर में लपटने मोदी की आलोचना करने गुजरात चले गए, जहाँ उन्हें भ्रस्टाचार नजर आने लगा, इसकी भी जाँच की जरुरत हे की अन्ना को कोंग्रेश शासित तथा अन्य राज्यों जैसे महारास्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली,हरियाणा या यु, पी. में कहीं भ्रस्टाचार नहीं दिखा, क्या वो सच बोल रहे थे, या सोनिया को खुस करने कोंग्रेश की भाषा बोल रहे थे, शायद इसके बाद से ही कोंग्रेश ने अन्ना से दुरी बनाना सुरु किया और उनके ऊपर वास्तविक हमले सुरु किये, जो पहले जनता को भ्रम में रखने अन्ना के साथियों पर दिखावटी हमले कर रही थी. 
        यह भी विचारणीय विषय हे की अन्ना बार बार स्कूली बच्चों की तरह  सोनिया गाँधी को शिकायत   क्यों करते हे  की कोंग्रेश वाले उन्हें भाजपा या संघ का मुखोटा बता कर आलोचना करते हे. अति ज्ञानी अन्ना की टीम यह तो जरुर  ही  समझती हे  की कोंग्रेश में बिना सोनिया की सहमती व् आदेश के किसी की ओकात नहीं हे की कुछ भी बोले, फिर भी सोनिया से शिकायत, क्या यह जाहिर नहीं करता की अन्ना नोटंकी कर रहे हे. फिर अन्ना को भाजपा या संघ से परहेज क्यों हे, देश की कुल आबादी के  करोड़ों  लोग  जो भाजपा को वोट देते हे, जो संघ से जुड़ा हे क्या वो भारतीय नहीं हे, क्या अन्ना देश की उस जनता का अपमान नहीं कर रहे हे जहाँ भाजपा की या उनके सहयोगिओं की सरकारे हे, जिसमे देश का विकसित राज्य गुजरात भी हे जिसका नेतृत्व देश के सर्व श्रेष्ठ घोषित मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हे, भाजपा से दुरी का स्वांग करके लोकपाल के लिए आन्दोलन करना जाहिर करता हे की अन्ना की नियत सही नहीं हे, या अहंकारी प्रवृति हे,हो सकता हे  उनका मूल मकसद बाबा के आन्दोलन से जनता का ध्यान हटाना हे, जो भाजपा के अनुकूल तथा कोंग्रेश के लिए  उनके उजले चेहरों के पीछे की काली सचाई को सामने लाने वाला बन जाये. 
        अन्ना व उनकी टीम के लोग कहते हे कि पहले तो कोंग्रेसिओ को प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने में कोई आपति नहीं थी, अब पता नहीं क्यों मना कर रहे हे, या मनमोहन सिंघजी को लोकपाल के दायरे में आने में क्या डर हे,. पता नहीं जब भी सोनिया या राहुल गाँधी कि बात आती हे अन्ना के साथियो व मीडिया वालों कि अक्ल कंहा घास चरने चली जाती हे, जो यह नहीं समझ पाते कि पहले जब कोंग्रेशियो ने पी. एम. को लोकपाल के दायरे में लाने कि बात कही थी तब उनके दिमाक में मनमोहन सिंह जी थे , वो लोकपाल के सिकंजे में आये या नहीं उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता पर जब उनको यह याद आया कि मनमोहन सिंघजी तो कितने दिन पी एम रहेंगे उनका असली मकसद तो राहुल गाँधी को पी.एम. बनना हे, अब भला किस कोंग्रेशी में हिम्मत हे, कि वो कहे कि राहुल गाँधी को भी लोकपाल के दायरे में आना चाहिए. कोनसा कोंग्रेशी यह चाहेगा कि उनके पूर्व ह्रदय सम्राट राजीव गाँधी कि तरह का ही  वर्त्तमान ह्रदय सम्राट राहुल गाँधी  का भी हश्र हो, देश भर में बदनाम करने वाले भ्रस्टाचार के आरोपों कि जाँच का सामना करना पड़े, जो आरोप  निश्चित रूप से लगेंगे ही. अब तो मीडिया ने भी राहुल गाँधी को पी. एम. बनाने का माहोल बनाने वाले, उनकी बिरुदावली गाने के,  उनके गुणगान करने वाले प्रोग्राम बनाने शुरू कर दिए हे,मीडिया का यह करना समझ में आता हे क्योकि भारत निर्माण विज्ञापन का सरकारी बजट शायद १४०० करोड़ का हे इसका हिस्सा पाने के लिए लालची मीडिया देश हित और निष्पक्षता तो आसानी से छोड़ सकता हे, पर  अगर अन्ना के साथियो को यह नहीं समझ में आये तो यही तो माना जायेगा ना कि वो  राहुल गाँधी कि छवि जनता में ख़राब ना हो इसके लिए जनता कि नजर में असली बात लाना नहीं चाहते , वो यह नहीं कहते कि कोंग्रेश का मकसद मनमोहन जी को बचाना नहीं राहुल गाँधी को बचाना हे, 
       अन्ना कि टीम में स्वामी अग्निवेश का होना भी यह दर्शाता हे कि वो कोंग्रेश के पक्ष में हे, सब जानते हे अग्निवेश मुस्लिम परस्त मानसिकता के हे, हिंदूवादी संगठनो को गाली देना उनकी फितरत  हे, अमरनाथ यात्रा को गलत पर कश्मीर के अलगाव वादी देश तोड़ने कि भावना रखने वाले नेताओं से गले मिलना सही मानते हे, नक्शली आतंकियो के खास हिमायती हे, आतंकी के मरने पर पुलिश को जी भर कर गालियाँ देते हे, पर सामूहिक नरसंहार में पचासों पुलिश के जवान मरे तो सुतुरमुर्ग कि तरह रेत में मुंह छुपाये पड़े रहते हे,  अन्ना कि टीम का सहयोग कम, कोंग्रेस के भेदिये का रोल ज्यादा निभा रहे हे. यह भी इस बात का संकेत हे कि अन्ना का आन्दोलन का मकसद वो नहीं हे जो जनता को बताया जा रहा हे. 
        पहले तो अन्ना और कोंग्रेश द्वारा एक दुसरे कि आलोचना दिखावटी लगती थी, पर जबसे कोंग्रेश ने बाबा रामदेव के आन्दोलन को दमन पूर्वक कुचला हे, लगता हे कोंग्रेश अन्ना को भी निपटा  देना चाहती हे, ताकि भविष्य में उनका  भ्रस्टाचार बिना रूकावट चलता रहे, अन्ना कि भी प्रतिस्ठा दांव पर लग गयी हे, अगर अन्ना ने वास्तव में ही देश हित के लिए आन्दोलन शुरू किया था तो अपना अहंकार छोड़ कर, ढोंगी धर्मनिरपेक्षता को भूल रामदेव जी के साथ मिल कर अपना आन्दोलन चलाना चाहिए, स्वामी अग्निवेश तथा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर साम्प्रदायिकता का जहर घोलने वालो से छुटकारा पाना चाहिए, भाजपा हो या संघ पुरे देश को अपना परिवार मान सबका सहयोग लेकर  देश  हित में अपना आन्दोलन चलाना चाहिए ,तभी वो पुरे देश का आदर पा सकेंगे मीडिया द्वारा प्रायोजित बढा चढ़ा कर दिखाया जाने वाला आदर देश कि सच्चाई नहीं हे, मीडिया तो कोंग्रेश का इशारा मिलते ही वेसी ही घटिया तरह कि आलोचना करने लगेगा जैसी आजकल बाबा रामदेव कि करने लगा हे. 
       इसमें एक संभावना यह भी हो सकती हे कि देश को धोका देने में माहिर हो चुकी कोंग्रेश ने बाबा रामदेव के आन्दोलन को कमजोर करने अन्ना  के आन्दोलन को बढ़ावा दिया, फिर बाबा रामदेव को धोका देकर उनके आन्दोलन को दमन पूर्वक कुचल कर अपना मतलब निकाल जाने के बाद अन्ना को भी धोका दे रही हे, तभी तो पहले सारी बाते मान कर अब कुटिलता से लगभग सभी मंत्री अन्ना से कि सभी बातों से मुकरने लगें हे, हर बात में रोड़े लगा रहे हे, कभी लोकपाल बिल के दो मसोदे बना कर मंत्री परिसद को भेजने कि बात कभी सर्वदलीय बैठक में विचार, के बहाने बिल को टालना चाहती हे, जबकि सभी जानते हे, मंत्री परिषद् कोंग्रेशियो के मसोदे को ही मानेगी, और जब कोंग्रेश संख्या बल से पी.ए.सी. के रिपोर्ट को समाप्त करवा सकती हे, तो अपनी मनपसंद लोकपाल बिल के मसोदे को लागु क्यों नहीं करवा सकती,  
      कोंग्रेश का एकमात्र मकसद राहुल गाँधी तथा अपनी पार्टी के  सांसदों को भ्रस्टाचार के आरोप होने पर भी  किसी भी कार्यवाही से बचाना तथा देश का धन लुटते रहना हे, अन्ना अगर ईमानदारी से यह काम कर रहे हे तो  बाबा रामदेव के साथ मिलकर यह आन्दोलन चलाना चाहिए तथा देश हित के लिए किसी का भी समर्थन निडरता से लेना चाहिए, फिर चाहे कोई कितनी ही आलोचना करे कि वो भाजपा या संघ का मुखोटा हे. 

गुरुवार, 9 जून 2011

कोंग्रेश के अनुसार संघ (आर.अस.अस.) रास्ट्रभक्त संगठन हे



   जब से बाबा रामदेव जी तथा अन्ना हजारे ने भ्रस्टाचार मिटाने, विदेशों में जमा काला धन वापस लाने तथा एक मजबूत तथा प्रभावी लोकपाल कानून बनाने के लिए आन्दोलन चला रहे हे, सरकार कि नीन्द उडी हुयी हे, सही भी हे, अगर सरकार यह कर दे तो सबसे ज्यादा उनकी तथा उनके सहयोगी दलों के लोगो कि असलियत जनता जान जाएगी, हो सकता उनके कई महान,व त्यागी  घोषित नेताओ को देश छोड़ कर भागना पड़ जाये,.अब सरकार साफ साफ तो यह कह नहीं सकती कि वो यह काम नहीं करेगी या यह कानून नहीं बनाएगी . अब कोंग्रेश के पास अपनी हर बुराइयों , नाकामियों भ्रस्ट आचरण आदि से छुटकारा पाने का सिर्फ एक ही तरीका नजर आता हे, सब कामो के लिए आर. अस. अस. या वी.एच. पी.तथा भाजपा  पर आरोप लगा दो. कोई भी अच्छा काम जो कांग्रेश कि पोल खोलता हो उसके पीछे संग का हाथ बताओ,  पार्टी के सभी नेता चीख चीख कर हर काम के पीछे आर.अस.अस.का हाथ होने कि तोता रटंत शुरू कर देते हे, 
     बाबा रामदेव तथा अन्ना हजारे के आन्दोलन से सरकार कि भारी किरकिरी होने लगी, तथा भ्रस्टाचार, कालाधन तथा लोकपाल बिल के मुद्दे पर सरकार के नकारात्मक रवैये से जब जनता में  सरकार कि यह छवि बनने लगी कि सरकार यह काम करना ही नहीं चाहती , सरकार अपनो को बचाने के लिए इन कामो को टाल रही हे, इस बदनामी से बचने के लिए सरकार व् कांग्रेस पार्टी ने वही पुराना घिसा पिटा आरोप लगाया कि बाबा रामदेव तथा अन्ना  हजारे का आन्दोलन आर. अस. अस. कि देन हे,इसके पीछे आर.अस.अस. कि सोच हे, ये लोग संघ का मुखोटा हे, इनको भाजपा का समर्थन हे. 
      इस  पूरी बात से यह बात साबित हो जाती हे, कि संघ तथा भाजपा चाहते हे कि देश से भ्रस्टाचार मिटे, विदेशों से काला धन भारत में वापस आये, तथा एक मजबूत तथा प्रभावी लोकपाल कानून बने, ताकि देश विकसित देश बने, जनता खुशहाल हो. गरीबी ,मंहगाई तथा भूख से त्रस्त जनता को राहत मिले. देश एक आर्थिक महाशक्ति बने, भ्र्स्ताचारियो, देश का धन लूट कर विदेश भेजने वालो से ना सिर्फ लूट का धन वापस लिया जाये, बल्कि उन्हें कठोर सजा मिले ताकि ना केवल उनको बल्कि दूसरो को भी सबक मिले, तथा उन्हें डर भी बना रहे, 
    अगर संघ यह सब कर रहा तो वास्तव में संघ ही सच्चा देशभक्त संगठन हे, संघ देश को लुटने वालो से देश को बचाना चाहता  हे,देश व देश वासिओं कि खुशहाली चाहता हे, देश के लोग भ्रस्ट व बेईमान ना होकर ईमानदार और सदाचारी बने, अपने किसी काम के लिए उनको किसी नेता या अफसर के सामने गिडगिडाना या रिश्वत देना नहीं पड़े, अगर यह सब होता हे तो प्रगति पुरे देश कि होगी जिसमे हिन्दू मुस्लिम सभी होंगे, संघ ने तो यह कभी नहीं कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ हिन्दुओं का हे, यह तो हमारे धरमनिरपेक्ष (सही मतलब धरम विहीन ) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंघजी ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का हे, कोन हे असली सांप्रदायिक आप समझ सकते हे. 
    इसके विपरीत कोंग्रेस पार्टी नहीं चाहती, कि वह देश कि जनता का धन लूटे, लुटने  वालों को बचाए, विदेशो में  काला धन रखने वालो को सरंक्षण मिले, देश में बिना रिश्वत दिए जनता का कोई काम ना हो, देश में भूखे व गरीबों कि संख्या बढे, ताकि वो लोग अपने को राजा समझने वाले कान्ग्रेसिओं तथा भ्रस्ट अफसरों के सामने गिडगिडाते रहे, देश में कोई लोकपाल कानून नहीं बने ताकि उनके भ्रस्ट और काले कारनामे ढके रहे, इसके लिए वो संघ पर आरोप लगा कर हिन्दू मुस्लिमो में फुट डाल कर धरमनिर्पेक्षता का लबादा ओढ़ साम्प्रदायिकता फैला कर इन सभी आन्दोलनों को कुचलना चाहती हे, ताकि उनकी पार्टी के बड़े नेताओं का काला व घिनोना चेहरा जनता के सामने नहीं आ सके. 
     अब आप सोचिये कोन हे देश भक्त, जनता कि खुशहाली चाहने वाला संघ या जनता का धन लूटने के लिए लगातार प्रयासरत रहने  वाली कांग्रेश पार्टी, वेसे सबसे बड़े  सांप्रदायिक  वो हे जो देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमों का बताते हे, दुनिया के सबसे बड़े  आतंकी को "ओसमाजी"जेसे शब्दों से सन्मान दर्शाता हे,  क्योंकि वो मुसलमान हे, जो फांसी कि सजा पाए आतंकियों को बचाने में लगे ह, जेल में बंद सेंकडो भारतीओं के हत्यारे पाकिस्तानी आतंकी कि खातिरदारी पर करोड़ों का खर्चा करती सिर्फ इसलिए कि मुसलमान हे, ये ही असली सांप्रदायिक हे, संघ नहीं. आतंकी हमलो में जनता मरती हे तो तब घर बेठने लेकिन पुलिस कार्यवाही में आतंकी के मरने उसके घर सहानुभूति जताने जाकर देश कि पुलिस का अपमान करने वाले असली सांप्रदायिक हे, देश वासिओं को अत्याचारों से बचाने कि सोच रखने वाला संघ नहीं. 
    अदालत के फेसले ने यह साबित किया कि जिस ढांचे को गिराया गया वही जगह श्रीराम के जन्म कि सही जगह हे, इस बात ने साबित  कि वो ढांचा जिसे अपने को धरमनिरपेक्ष कहने वाले बाबरी मस्जिद कहते हे, को मंदिर तोड़ कर बनाया गया था. अतः; हिन्दुओं का उसे तोड़ना सही था, सदियों में ऐसा लगा कि हिन्दू समाज का स्वाभिमान कायरता का लबादा छोड़  कर जागा हे, पर अफ़सोस हे कि उसके बाद हिन्दू स्वाभिमान फिर से कायरता का  मोटा लबादा ओढ़ कर  सो गया हे, ए़सी बेहोसी कि नींद में कि कोई कितना ही मरो-पीटो, कुचालो ,लूटो जाग ही नहीं रहा हे.
     जनता सोचे समझे,  किसी के बहकावे में नहीं आकर अपने विवेक से निर्णय करे कोन सही हे, कोन गलत , आपको संघ द्वारा दी गयी खुशहाली चाहिए या कोंग्रेश कि लुट, संघ का दिया गया स्वाभिमान चाहिए या मुस्लिमो में नाम पर कांग्रेश का दिया अपमान , संघ व बाबा रामदेव  कि सोच वाला आर्थिक रूप से संपन्न भारत चाहिए या आजादी के बाद से ज्यादातर सत्ता में रही कोंग्रेश का दिया गरीब, सारी दुनिया में आर्थिक सहायता कि भीख मांगता भारत . क्या आप ऐसा भारत चाहते हे जिसका अथाह धन विदेशों में पड़ा रहे, सेंकडों टन अनाज सड़ता रहे, और जनता भूखी रहे, 
      आप सोचिये आप को कोंग्रेश कि धरमनिरपेक्षता(बिना धरम का ) चाहिए, या संघ कि धरम निष्ठता.  कांग्रेश ने भी यह माना हे इन सभी आन्दोलनों को  संघ का  समर्थन हे अतः वो ही रास्ट्रभक्त  संगठन हे, इन आन्दोलनों को सत्ता का दुरुपयोग कर रात में सोती हुयी निहथी जनता कि मार पिटाई कर कुचलने वाली उनकी पार्टी नहीं. 
 

सोमवार, 6 जून 2011

धरमनिरपेक्ष कांग्रेश की असली पहचान

आतंकवादिओं को ओसमाजी, रास्ट्रवादिओं को कहते ठग, 
दिग्विजय के रूप में दिखा, सोनिया कांग्रेश का असली रंग. (१)
पाकिस्तानी आतंकी कसाब का ,    करते स्वागत सत्कार
देशभक्त निर्दोष भारतीओं पर,    करते लाठी, गोली प्रहार,(२)
जो भारत पर हमला करे,    फांसी कि सजा हो बरक़रार 
उसे बचाने के जतन करे,        यह धरम निरपेक्ष सरकार.(३)
हिन्दू, सिख मरे तो चुप बेठे, मुस्लिम हो तो मातम करते, 
जनता मरे तो गयी भाड़ में,    आतंकियो के घर पर जाते.(४)
देश को लुटने वालों का यंहा ,  होता हे बहुत सन्मान, 
नहीं बताना चाहे सरकार ,    क्या हे उनकी पहचान. (५)
केसे बताएं कांग्रेश पार्टी, ज्यादातर हे उनके खास खास , 
इनका घिनोना रूप दिखे अगर, तो हो जाये पर्दाफास. (६)
अहंकार सत्ता का छाया , संविधान को दे तोड़- मरोड़, 
भ्रस्टाचरिओं को बचाने में ,   लगे हे देश को छोड़. (७)
विदेशी महारानी को दंडवत करे, होते हे नत मस्तक, 
भगवान बताओ कब देगी सदबुधि, इनके द्वार पर दस्तक. (८) 

 

रविवार, 5 जून 2011

क्या विदेशी बहु कहकहे लगा रही होगी, भारतीओं द्वारा भारतीओं पर अत्याचार करवाकर.



       आजादी के पहले के अंग्रेजो कि गुलामी के समय के बारे में सब लोग जानते हे, मुठी भर अंग्रेज भारतीओं पर भारतीओं द्वारा ही लाठी, गोली चलवाते थे, तमाम तरह के अत्याचार करवाते थे, जनता को भारतियो द्वारा ही मरवाकर कहकहे लगाते थे, कभी खुद भी अत्याचार करते थे, लेकिन भारतियो के सहयोग से, उस समय भी कई लालची और मक्कार लोग अपने स्वार्थ के लिए जनता पर क्रूर अत्याचार करते थे, अंग्रेजो को खुस करने, उनकी नजरो में रहने के लिए अपने ही देश वासिओ पर जुल्म करने में सदा तत्पर रहते थे, कांग्रेश पार्टी ऐसे  समय कि ही पैदावार हे, उस समय के कई कोंग्रेशी भी ऐसे  कामो में लगे थे जो जनता के सामने तो अंग्रेजों का विरोध करते थे, पर मन ही मन उनके समर्थक भी थे, वो विदेसिओं के राज में भी कोई बुराई नहीं समझते थे, 
       वेसी ही कुछ स्तिथि वर्तमान समय में दिख रही हे, कोंग्रेश पार्टी को विदेशी मूल कि बहु ने अपने में कब्जे में कर लिया हे, एक विदेशी मूल कि महिला को खुस करने में पूरी पार्टी वेसे ही लगी हे, जेसे अंग्रेजो को खुस करने में लालची मक्कार और देशद्रोही किस्म के लोग लगे रहते थे. अपनी विदेशी महरानी को बचाने ,उन्हें खुस करने लिए  अपने ही देश वासिओं पर अत्याचार करने के गुण शायद उन्हें अपने पूर्वजो से मिले हो,
 बाबा रामदेव के भ्रस्टाचार और कालाधन वापस लाने समन्धी आन्दोलन से शायद कोंग्रेश पार्टी के लोगो को, तथा हो सकता हे उनकी विदेशी मूल कि महरानी कि असलियत और उनका घिनोना चेहरा जनता के सामने आने का खतरा हो, तभी इस तरह का सोते हुए अनसन करते लोगो पर अचानक लाठी चार्ज करने जसी बर्बर कार्यवाही जैसा  कदम महारानी को खुस करने,  उनके इशारे पर लिया गया, इस कार्यवाही को जिसमे  भारतियो द्वारा भारतीओं पर विदेशी को खुस करने के  या बचाने के लिए अत्याचार किया गया, विदेशी महारानी कितनी  खुस हुयी होगी इसकी एक झलक तब दिखी जब विदेशी महारानी के सबसे करीबी साथी दिग्विजय सिंह जनता पर किये गए बर्बर अत्याचार के बाद बेहद कुटिल और मक्कारी से इस कार्यवाही को सही बता रहे थे. उनकी कुटिल मुस्कान से लग रहा था कि महारानी कितने कहकहे लगा रही होगी. 
    वहां कि कुछ महिलाये कह रही थी,कि जिस पार्टी कि प्रमुख  महिला हो वो पार्टी ऐसा अत्याचार केसे कर सकती हे,  पर शायद वो महिला यह नहीं जानती कि वो भारतीय  महिला नहीं विदेशी महिला हे, उस में भारतीय  संस्कृति नहीं हे, विदेशी मानसिकता वाली महिला भारतीय महिलाओं जैसी नहीं हो सकती, वो विदेसियो को खुस करने के लिए देशवासिओं पर अत्याचार करने कि मानसिकता वाले दिग्विजय सिंह जैसे लोगो द्वारा कुछ भी करवा सकती हे,  
     हमारा कर्त्तव्य हे ऐसे लोगो के खिलाफ संगठित हो कर इन्हें सबक सिखाये, फिर से देश में भारतीयता लाये, देश को लुटाने वाले चेहरों  पर से सराफत का नकाब हटायें, सोचिये. 

रविवार, 29 मई 2011

मुस्लिम वोटो के लिए गिडगिडाते चंद्रबाबू नायडू--



   आज सुबह अख़बार में इस  खबर ने बहुत दुःख पहुँचाया कि प्रगतिशील माने जाने वाले चंद्रबाबू नायडू सत्ता प्राप्तिके लिए मुस्लिमो के आगे वोटो के लिए गिडगिडा रहे हें, वेसे तो जिन लोगो को यह भरोसा नहीं होता हे, कि जनता उनके काम पर, उनके विकाश कार्यों पर विस्वास कर उन्हें वोट देगी उनके लिए जीत के लिए मुसलमानों के सामने  वोटो के लिए गिडगिडाना , मुस्लिम टोपी पहन हिन्दुओं से ज्यादा मुस्लिम हितेषी साबित करना ही एक मात्र रास्ता रह जाता हे. इसके लिए चंद्रबाबू व उन जेसे नेताओं के पास विकास के पैमाने पर अपनी असफलताओं को छुपाने तथा सत्ता पाने के लिए  वही घिसेपिटे तरीके हे भाजपा सांप्रदायिक पार्टी हे,हमने नरेन्द्र मोदी का विरोध किया. वेसे विकाश के मामले में वो नरेन्द्र मोदी के आगे कहीं नहीं टिकते, नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में जैसा अभूतपूर्व विकास किया हे चंद्रबाबू तो वेसे विकास कि कल्पना ही नहीं कर सकते, विकास करना तो बहुत दूर कि बात हे. नरेन्द्र मोदी का विकास पुरे गुजरात का विकास हे, ना कि हिन्दू या मुसलमान का. तभी तो तमाम मिडिया, ढोंगी सामाजिक तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता, पूरी कांग्रेश पार्टी, चंद्रबाबू तथा उनके जैसे धर्मनिरपेक्ष (सही अर्थ --धर्मविहीन )लोगो के तमाम दुस्प्रचार करने तथा समूची ताकत झोंकने के बावजूद नरेन्द्र मोदी को पराजित नहीं कर सके. कहते हे ना कि झूट कितना ही बड़ा क्यों हो, कितने ही लोग कितनी ही बार बोले सच के सामने टिक नहीं सकता,    
     अब बेचारे चंद्रबाबू भी क्या करे, गुजरात में जो झूट नहीं चला वो हैदराबाद में तो चला सकते हे, ना तो गुजरात के विकास कि सच्चाई जनता को बता सकते हे, ना इस सच्चाई को जानते हुए भी जनता को बता सकते हे कि गुजरात में हिन्दू के साथ साथ मुसलमान भी नरेन्द्र मोदी को वोट देते हे, चंद्रबाबू नायडू कहते हे, गोधरा कांड के बाद हुए दंगो के बाद भाजपा के साथ होते हुए भी उन्होंने ही  नरेन्द्र मोदी को हटाने कि सबसे पहले मांग कि थी, पर वो यह नहीं बताते कि उन्होंने गोधरा कांड कि आलोचना भी कि थी, शायद ऐसे लोगो के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब यही होता होगा कि मुसलिमों के द्वारा हिन्दू मरे तो चुप बेठो,पर अगर हिन्दू के द्वारा मुस्लिम मरे  तो  हिन्दू कि जम कर आलोचना करो, वेसे भला हो उस समय के भाजपा नेताओं का जिन्होंने नरेन्द्र मोदी को हटाने कि बजाय चंद्रबाबू को जाने दिया जिनके नेत्रत्व में आज गुजरात अकल्पनीय प्रगति कर रहा हे, चंद्रबाबू नायडू कि तरह प्रदेश कि जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर नहीं किया. इसलिए अब बेचारे चन्द्र बाबु नायडू को वोटो के लिए मुसलमानों के सामने गिडगिडाना पड़ रहा हे. उनके लिए धर्म आधारित आरक्षण कि असंवेधानिक मांग तथा  शादिखानो तथा मस्जिदों के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता कि मांग करनी पड़ रही हे,  वो हिन्दुओं के लिए मंदिर निर्माण, या हिन्दू तीर्थ यात्रा के लिए आर्थिक सहायता के लिए कोई मांग नहीं करते हे. 
      ऐसा कई बार सुना कि चंद्रबाबू नायडू ने धोके से पार्टी कि कमान अपने ससुर तेलगु देशम के संस्थापक श्री एन. टी. रामाराव से हथिया ली थी. लगता हे धोका देना उनकी खास विशेसता हे, अपने फायदे के लिए भाजपा के साथ जुड़े, अपने प्रदेश के लिए केंद्र से जम कर आर्थिक सहायता ली, हैदराबाद का बहुत विकाश किया, केवल हैदराबाद के विकाश को पुरे प्रदेश का विकाश मानने कि नादानी करते रहे, गाँव को, किषानो, बुनकरों को भूल गए, अपनेआप को विकाश पुरुष समझने के चंद्रबाबू के  अहंकार का राजशेखर रेड्डी ने फायदा उठाया, गावं गावं में पदयात्राएं कि. अगले चुनाव में चंद्रबाबू रास्ते पर आ गए, खुद तो डूबे ही भाजपा को भी केंद्र में ले डूबे. चंद्रबाबू कि कारगुजारिओं का नुकसान भाजपा को भी हुआ. 
ऐसे लोग  जब भाजपा के साथ   सत्ता में होते हे, या भाजपा के सहयोग से सत्ता मिलती हो तब इनके लिए  भाजपा अच्छी होती हे किसी भी कारण से सत्ता से बाहर हो जाने पर भाजपा सांप्रदायिक हो जाती हे, चंद्रबाबू तथा उन जेसे नेता ऐसे समय भाजपा को धोका देकर मुसलमानों के सामने गिडगिडाने लगते हे. कहावत हे कि मुर्खता व नादानी में आदमी अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार लेता हे, पर चंद्रबाबू नायडू तो महा नादान हे जो कुल्हाड़ी पर पैर मार रहें हे, लगातार मारते ही जा रहें,पहली बार अपनी कारगुजारिओं से खुद के साथ साथ भाजपा का भी भट्टा बैठाया, भाजपा और नरेन्द्र मोदी को हार का जिम्मेदार ठहराया,  दूसरी बार के चुनाव में सोचा भाजपा से अलग रहने से, उसे सांप्रदायिक पार्टी बताकर उसकी व् नरेन्द्र मोदी कि जमकर आलोचना करने से, मुस्लिम मतदाता पट जायेगा, मुस्लिमो को पटाने के कई जतन किये, मुस्लिम टोपी पहनकर सलाम करते हुए कई पोस्टर लगवाये, कई बड़े मुस्लिम नेताओं को अपने साथ मिलाया, पर कुछ नहीं हुवा, जो नादानी उन्होंने तब कि  वो लगातार करते जा रहे हे, मुस्लिम तो उनके  लाख गिडगिडाने पर भी ओवेस्सी कि  एम.आइ.एम. पार्टी को छोड़ने वाले नहीं हे , उलटे हिन्दुओं के काफी वोट टूट कर भाजपा में जाने से चंद्रबाबू नायडू कि हालत ना घर के ना घाट के जैसी हो गई, दुसरे विधानसभा चुनाव के बाद हुए अन्य दुसरे चुनाव इसका सबूत हे. भगवान जाने कब नायडू जी को सदबुधि आयेगी कि चुनाव में जीत नरेन्द्र मोदी कि तरह पूरी जनता के विकास पर ध्यान देने, हर गावं शहर , हर जाति,धरम के विकास पर बराबर ध्यान देकर पूरी जनता का विस्वास जितने से मिलती हे. अपने फायदे के लिए जिस पार्टी का साथ लो, मतलब निकलजाने पर पर उसके साथ धोका दे कर किसी विसेस संप्रदाय के सामने गिडगिडाने से नहीं.   जनता विकाश करने वालो तथा किसी कि भावनाएं भड़का कर वोट पाने कि लालसा रखने वालों को पहचानती हे. यह बात जब चंद्रबाबू नायडू समझेंगे तभी सफल होंगे. 
 

   

शनिवार, 14 मई 2011

मुस्लिम वोट का लालच-आतंकियो के विरुद्ध कार्यवाही करने में बाधक.




जब से ओसामा बिन लादेन को  अमेरिका ने  सेन्य कार्यवाही में मार डाला, भारत की जनता में यह सवाल चल रहा हे, कि क्या भारत भी अपने देश में आतंकी कार्यवाही करने वाले,पाकिस्तान में बेठे भारत के मोस्ट वान्टेड अपराधिओं जेसे दाउद इब्राहीम, हाफिज सईद जेसो  पर इस तरह कि कार्यवाही कर सकता हे, क्या वह वेसी ही सजा इन आतंकियो को दे सकता हे जेसी सजा अमेरिका ने उसके देश में मात्र एक आतंकी वारदात करने पर बिन लादेन को दी. लगभग सभी समाचार चेनलों पर चर्चा करने वाले विभिन्न लोगों में से किसी ने भी यह नहीं कहा कि भारत भी ए़सी कार्यवाही कर सकता हे. सभी लोग यह मानते थे कि भारत सरकार ए़सी कार्यवाही कर ही नहीं सकती. सभी लोगो ने इसके लिए अलग अलग कारण बताये, सबके अपने अलग अलग तर्क थे, किसी ने कहा कि भारत सरकार में ए़सी इच्छा शक्ति ही नहीं हे, किसी ने कहा कि कूटनीति में भारत हमेसा कमजोर ही  रहा हे,वेसे सही भी हे, छोटा से,कमजोर देश होने पर भी पाकिस्तान भारत को दुतकारता रहता हे, जबकि विशाल और शक्तिशाली सेना वाला देश भारत कायर और स्वार्थी नेताओं कि कमजोरी के कारण पाकिस्तान कि अनगिनत  आतंकी  कार्यवाहिओं  से हजारों भारतीओं के मरने के बाद भी उससे सम्बन्ध सुधारने को लालायित रहता हे और उसे पुचकारता रहता हे, कि कहीं वह नाराज ना हो जाये. समाचार चेनलों पर चर्चा में किसी ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकी भेजता हे, भारत सिर्फ सबूतों के डोसियर भेजता हे. पाकिस्तान आतंकी कार्यवाही करता हे , हजारों भारतीय मरते हे, सरकार पाकिस्तान से कड़ा विरोध प्रकट करती हे,आतंकियो की सूचि भेज कर पाकिस्तान से अनुरोध करती हे की वो इन अपराधिओं को भारत को सोंप दे.  दुनिया के दुसरे देशों से पाकिस्तान  की कारस्तानी का रोना रोती हे, इस बात पर अपनी पीठ थपथपाती हे उसने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा ला दिया हे, की पाकिस्तान ही आतंकिओं की पनाहगाह हे,  जेसे दुसरे देश जानते ही नहीं हो उनको भारत से ही पहली   बार पता चला हे, खुद तो कोई कार्यवाही नहीं करेगा, अमेरिका व दुनिया के दुसरे देशों से पाकिस्तान के विरुद्ध कार्यवाही करने का निवेदन करेगा, इस तरह अपनी असहायता तथा कमजोरी का ढिंढोरा दुनिया भर में पिटेगा.सरकार  हर आतंकी कार्यवाही के बाद आतंकियो पर कोई कार्यवाही नहीं होने तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं करने का वादा करती हे, पाकिस्तान अंगूठा दिखाता हे, कोई कार्यवाही नहीं करता, सरकार अचानक वार्ता की सुरुवात करती हे, प्रधानमंत्री जी भारत- पाक क्रिकेट मेच देखने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाते हे, जमकर उनकी खातिरदारी करते हे, यानि उन्हें खुस करने पूरी चापलूसी करते हे, सोचते हे भारत की जनता खुस होगी,शायद जनता को मुर्ख समझतें हे, पाकिस्तान को हराने पर जिस तरह भारत की जनता ने देश भर में जेसी  खुसी प्रकट की उसे देख कर भी मनमोहन सिंह जी को यह समझ नहीं आया की भारत की जनता को खुसी पाकिस्तान को हराने में मिलती हे, उनसे वार्ता करने में नहीं. 
समाचार चेनलों की चर्चाओं में शामिल ज्यादातर लोगो का मानना था की पाकिस्तान में बेठे आतंकियो पर कार्यवाही करने में सरकार में इच्छा शक्ति की कमी हे, पता नहीं क्यों किसी ने भी इसकी मूल वजह को क्यों नहीं बताया,जबकि देश की ज्यादातर जनता जानती हे की इसकी असली वजह मुस्लिम वोटों  का लालच तथा मुस्लिम परस्ती की राजनीति.तथाकथित धर्म निरपेक्ष दल या नेता मुस्लिम लोगो चाहे आतंकी ही हो के विरुद्ध अगर कार्यवाही करेंगे तो सांप्रदायिक नहीं हो जायेंगे, क्या ऐसे लोग पाकिस्तान में बेठे आतंकिओं पर कार्यवाही करेंगे जो मोत की सजा पाए देश में मोजूद आतंकी को बचाने जी जान से लगें हो, तथा इसके लिए उलजलूल तर्क देते हो, मुंबई हमले में सेंकडों भारतीओं की मोत का गुनाहगार को जेल में सभी  सुविधा दी जाती हो सिर्फ इसलिए की वो मुसलमान हे, क्या यह इच्छा शक्ति की कमी का मामला हे, नहीं इसकी वजह सिर्फ मुस्लिम वोटों का लालच हे, सरकार चलाने वाली कोंग्रेस पार्टी के नेता पुलिस कार्यवाही में मुस्लिम आतंकिओं के मरने पर हिन्दू पुलिस वाले को गलत ठहरातें हो, जिनको मुंबई  हमलों में मुस्लिम आतंकी का मुकाबला करते  हुए शहीद हुए पुलिस अधिकारिओं की मोत जिसे सारी दुनिया ने देखा  में भी हिन्दुओं का  शामिल होना नजर आता हो, जो कोंग्रेस पार्टी मुस्लिम  आतंकियो के मरने पर उनके घर सहानुभूति प्रकट करने अपने नेता को   भेजती हो, जो कोंग्रेस पार्टी ओसामा बिन लादेन जेसे मानवता के दुश्मन आतंकी के मरने पर अपने नेताओं द्वारा सन्माननीय शब्द लादेन जी का इस्तेमाल कर उनके प्रति सन्मान प्रकट कर उसे दफ़नाने में उसकी धार्मिक मान्यताओं का ख्याल नहीं रखने के लिए अमेरिका की आलोचना करवाती हो,(देश की सारी जनता जानती हे की कोंग्रेस में दिग्विजय सिंह सहित किसी भी की नेता की ओकात नहीं हे कि सोनिया गाँधी, या राहुल गाँधी कि सहमती के बिना कोई बात कह दे. )  क्या वो पाकिस्तान में बेठे आतंकियो पर सिर्फ इसलिए कार्यवाही नहीं करती की इच्छा शक्ति की कमी हे, जिस देश में धर्मनिरपेक्षता का मतलब मुस्लिम परस्ती हो, हिन्दू हित की बात करने वाले को सांप्रदायिक माना जाता हो, मुस्लिम लोग रेल डब्बे में आग लगाकर पचासों हिदुओं को जिन्दा जला दे को मामूली दुर्घटना मान कोई चर्चा नहीं, पर अपने निर्दोस साथियों को मार दिए जाने पर गुस्साए लोगो द्वारा प्रतिक्रिया स्वरुप दंगे कर मुस्लिमों को मार दे तो इतिहास  का काला दिन,उसकी आलोचना दस वर्षों से लगातार जारी, उस कोंग्रेस पार्टी द्वारा भी जो देस भर में सिखों के  नरसंहार कि दोषी हो.
में यह नहीं समझ पाया कि समाचार चेनलों पर चर्चा करने वालों में यह क्यों नहीं बताया कि देश में मोजूद जेल में बंद आतंकिओं को सजा दिलाने में भी क्या सरकार कि इच्छा शक्ति कि कमी ही कारण हे, कश्मीर में अलगाव वादी नेता खुले आम भारत कि आलोचना करते हे, भारत के झंडे जलाते हे दिल्ली कोलकता जेसे शहरों में सम्मलेन कर भारत विरोधिओं के साथ मिलकर भारत कि आलोचना कर चले जातें हे, सरकार चुपचाप देखती हे, क्या यह सिर्फ इच्छा शक्ति कि कमी कि बात हे, नहीं यह सिर्फ मुस्लिम लोगो के नाराज होने के भय से कोई कार्यवाही नहीं करना हे, मुस्लिम तुस्टीकरण कि राजनीति हे. सरकार को तो  मुसलमानों के नाराज होने का भय था पर टी. वी. पर चर्चा करने वालो को किसका भय था, जो उन्होंने असली कारण का जिक्र तक नहीं किया था. कहीं उन्हें यह तो डर नहीं था कि अगर वो कहेंगे कि  मुस्लिम आतंकियो के विरुद्ध सरकार का कार्यवाही नहीं करने कि वजह मुस्लिम वोटों का लालच हे, तो वो धर्मनिरपेक्ष से सांप्रदायिक बन जायेंगे, मुस्लिमों का जरा सा विरोध करते ही तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल, हिंदुत्व वादिओं को गाली देकर हिन्दुत्व विरोधी शक्तिओ द्वारा पलित और पोषित बुधिजीविओं,  मानवाधिकार के नाम पर जनता, सेना या पुलिस के मरने पर नहीं आतंकियो के मरने या पकडे  जाने पर उनके मानवाधिकारों में लिए चीखने चिल्लाने वालों कार्य कर्ताओं या हिन्दुओ को बदनाम करने कि राइ भर कि खबर को पहाड़ जेसे बना कर कई कई दिनों कि ब्रेकिंग न्यूज बनाकर देश के लगभग सभी हिंदुत्व वादी संघटनो को बदनाम करने को उतावले रहने वाले पत्रकारों,  इन सभी कि आलोचनाओं का शिकार बन जायेंगे. शायद वो जानते हें देश में एसे लोगो कि कमी नहीं जिनमे  मुस्लिम परस्ती के कारण  किसी भी सच्चाई को देखने या सुनने का साहस नहीं हे, जसे वो गुजरात में नरेंदर मोदी द्वारा किये गए अभूतपूर्व विकास कार्यों को देखना या सुनना नहीं चाहतें अगर कोई व्यक्ति जो उनकी नज़रों में अच्छा होता हे, या कोई सच्चाई कहने कि हिम्मत रखने वाला नरेंदर मोदी कि सच्ची तारीफ कर देता हे, तो इन लोगो के लिए वह व्यक्ति आतंकियो से भी बड़ा अपराधी बन जाता हे, फिर तो हिंदुत्व विरोधिओं का यह संगठित गिरोह उसकी आलोचना में नीचता कि हदे भी पार कर लेता हे. शायद सरकार द्वारा मुस्लिम आतंकियो पर कार्यवाही नहीं करने कि असली वजह बताने के लिए समाचार चेनलों पर चर्चा करने वालों को ऐसे लोगो कि आलोचना का भय रहा हो. या वो सोचते हो कि अगर असली कारण बताएँगे तो शायद समाचार चेनल वाले दुबारा बुलाएँगे नहीं, इससे उनको अपनी कमाई छिन जाने का भय हो. 
हमें यह सोचना हे कि डर से या अपने निजी स्वार्थ के कारण जो लोग सचाई का साथ नहीं देते क्या वो देश का भला कर रहें हे, पर हम तो समझतें हे, हमें अपने विवेक से निर्णय लेना हे कि हमें किसका साथ देना हे. हमारा सही निर्णय ही देश के लिए लाभदायक होगा . 

रविवार, 24 अप्रैल 2011

कांग्रेस का दोगला चरित्र


आजकल देश में अन्ना हजारे तथा जन लोकपाल बिल कि ही सर्वाधिक  चर्चा हो रही हें, हमें  देश में हो रही ज्यादातर चर्चाओं कि जानकारी मिलने का प्रमुख साधन हें, समाचार चेनल. पहले जब अन्ना हजारे अनसन पर बेठे थे तब अन्ना का गुणगान समाचार चेनलों कि दिनभर कि खबरें थी. पहले अन्ना के आन्दोलन को मामुली और मजाक समझ कोई महत्व नही देने वाली कांग्रेश कि सरकार,  जब अन्ना के अनसन को मिले जबर्दस्त समर्थन से घबराकर अन्ना की सारी मांगे मानकर जन लोकपाल बिल बनाने की संयुक्त समिति बनाने की घोसणा तो कर दी, पर वो जानती थी की अगर यह बिल अन्ना के बताए तरिके से आया तो सबसे ज्यादा मुसिबत का कारण कोन्ग्रेसियों के लिए ही बनेगा. तब कोंग्रेश के नेताओं ने जनता के प्रतिनिधिओं को बदनाम करने अन्ना के आन्दोलन को कमजोर करने की जबर्दस्त मुहीम छेड दी. किसी को भी बदनाम करने के लिए उट पटांग आरोप लगाने तथा गडे मुर्दे उखाड़ने के माहिर दिग्विजय सिंह, समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद टीवी पर नही दिखने की छट पटाहत लेकर दरदर भटकते,बिना पूछ के भी कोंग्रेस का सहयोग करने को लालायत रहने वाले अमरसिंह ने जन कमेटी के सदस्यों पर हमले सुरु कर दिए. कोंग्रेस का यह कैसा दोगला चरित्र हें, एक तरफ तो कोंग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गान्धी अन्ना को पत्र लिख कर कहती हें, की भ्रस्टाचार से लडने की उनकी नियत पर शंका नही करें, मैने किचड उछालाने व बदनाम करने की राजनीति पर  कभी यकिन नहीं किया, न कभी इसका समर्थन किया, दुसरी तरफ उनकी पार्टी के ही वरिस्ठ नेता जन कमेटी  के सद्स्यों पर लगातार हमले कर अन्ना की मुहीम को विफल करने की सजिश कर रहें हें, अब मिडिया वालों के अलावा सारी आम जनता जानती हें कि कोंग्रेश पार्टी में सोनिया और राहुल कि मर्जी के बिना, या उनकी सहमति के बिना प्रधानमंत्री भी कुछ नही कर सकते तो फिर बेचारे दिग्विजय सिंह कि तो ओकत ही क्या हें. हाँ अपने को अति ज्ञानी मानने वाले मिडिया का  यह पक्षपात हें  या नासमझी वो इसके लिए सोनिया के गुणगान करने कि होड मचा देते हें.
     वेसे कोंग्रेस का दोगला चरित्र इन् दिनो लगातार सामने आ रहा हें, एक तरफ प्रधानमंत्री भ्रस्टाचार को देश के विकाश में बाधक तथा गरीबों को सबसे अधिक चोट पहुँचाने वाला  बताते हुए कहते हें कि सरकार इसे मिटाने के लिए वचनबद्ध हें, वहीं अपने ही मंत्रियो के भ्रस्टाचार को जानते हुए भी आँख मुन्दकर रह्ते हें, उन्हे देश कि जनता का धन लूटने कि पुरी आजादी देते हें, जहाँ तक संभव हो सकता हें उन्हे बचाने का पुरा प्रयास करते हें, भ्रस्टाचार को रोकने के लिए बनाई गई संस्थाओं का भ्रस्टाचार करने वालों को बचाने के लिए जमकर दुरुपयोग करते हें, यहाँ तक कि भ्रस्टाचार के आरोपी व्यक्ति को ही उसके भ्रस्टाचार के बारे मे विपक्षी नेता द्वारा जानकारी देने के बावजुद भी भ्रस्टाचार रोकने के लिए बनी सर्वोच् संस्था का प्रधान बना देते हें, जबतक झुठ का पुरी तरह पर्दाफास नहीं  होता उसे बचाने कि नाकम कोसिस भी करते हें, फिर भी वो भ्रस्टाचार से लडने कि  अपनी सरकार कि वचनबद्धता दोहराते रह्ते हें, यह हें कोंग्रेस का दोगला चरित्र. एक तरफ तो प्रधानमंत्री और सोनिया गान्धी भ्रस्टाचार  को रोकने के लिए कारगार कदम उठाने  तथा कडे कानून कि बात का दिन्डोरा पिट कर समाचार चेनलों कि वाहवाही लूटते हें, वहीं उनकी पार्टी के तथा उनके सहयोगी दलों के सदस्य 2 जी घोटाले कि जांच कर रही पी.ए. सी. के काम मे लगातार बाधायें पैदा कर रहें,मानाकी इस जांच के लिए जे. पी. सी. बन गई हें, पर अगर वास्तव मे ही उनकी सबसे बडी नेता का मकसद भ्रस्टाचार से लड़ना  तथा घोटालेबाजों का पता लगाना ही हें तो फिर दोनों तरह कि जांच हो तो क्या परेशानी हें, पर यहीं पर कोंग्रेस का दोगला चरित्र झल्कता हें, उनका असली  मकसद घोटालेंबाजों को सामने लाना नहीं बल्कि उन्हें बचाना  हें,क्योंकी पी. ए. सी. के प्रमुख विपक्षी नेता हें,   कोंग्रेस पार्टी को डर हें कि  उनकी जांच सत्ता पक्ष के भ्रस्ट नेताओं के चेहरे देश के सामने ला  सकती हें, 
सोनिया गान्धी तथा मनमोहन सिंह जी का भ्रस्टाचार से लड्ने कि बात कहना कितना झुठा और जनता के साथ धोका हें कि सर्वोच् न्यायालय कि बार बार फटकार के बावजुद भी विदेशों में  कालाधन जमा करने वालों के नाम बताने को तेयार नहीं हें, जो सरकार को मालुम हें, बेबुनियाद तर्क देकर सरकार भ्रस्ट लोगों को बचाने मे लगी हें, वो इसलिए क्योंकि अगर एसा हो गया तो शायद  कोंग्रेस पार्टी के भी सफेदपोश, बडे नेताओं के भ्रस्टाचार कि कलिख पुते असली चेहरे जनता के सामने आ जाएंगे,यह हें कोंग्रेस के सर्वोच् नेतृत्व का दोगला व बेइमान चरित्र, 
अभी किसी पुर्व न्यायाधिस ने राहुल गान्धी को पुछा कि भ्रस्टाचार के मुद्दे पर आप खामोश क्यों हें, राहुल गान्धी ने फरमाया कि वो भ्रस्टाचार को रोकने के लिए चुपचाप काम कर रहें हें, उन्हे हिरो बनने का शोख नहीं हें, धन्य हें कोंग्रेसियों के युवराज, वो बेचारे भ्रस्टाचार को मिटाने का चुपचाप काम कर रहें, पर जनता हें कि समझती ही नहीं हें, अन्ना हजारे और उनके साथी भी नहीं समझते जो कहते हें कि भ्रस्टाचार तेजी से बढ़ रहा हें, अब यह बेचारे राहुल गान्धी जी कि नासमझी ही हें कि वो चुपचाप भ्रस्टाचार से लड़ते रहे, अगर जनता को बता देते तो जनता को भी मालुम पड़ता कि राहुल गान्धी कि कोसिशों से इस इस जगह भ्रस्टाचार नहीं हो सका, पर जनता को राहुल जी का धन्यवाद तो देना ही चाहिए कि उनकी चुपचाप कोसिसों से देश मे अभी नजर आ रहा भ्रस्टाचार कम हें, वरना को भ्रस्टाचार इससे कई गुना अधिक होता. जहाँ तक हीरो बनने कि बात हें उनको तो मिडिया वाले जबर्दस्ती हीरो बना देते हें, किसी गरिब  के यहाँ खाना खाना हो, किसी आदिवासी के यहाँ रात बितानी हो, या किसी कलावती कि चर्चा संसद मे करनी हो, वो तो बेचारे यह् सब  करते तो चुपचाप ही हें, पर समाचार चेनल वाले मानते ही नहीं हें, उनकी सुनते ही नहीं हें, ठिक उसी तरह से जेसे दिग्विजय सिंह जैसे नेता सोनिया गान्धी तथा मनमोहन सिंह जी का अन्ना हजारे के आन्दोलन को पुरा समर्थन देने तथा उनके काम मे कोई बाधा नहीं डालने  का धिन्डोरा पिटने के बावजुद भी नहीं सुनते हें, तथा अन्ना तथा उनके साथिओं को बदनाम कर के उनकी मुहीम को कमजोर करने कि लगातार सजिश कर रहें हें. इसी तरह समाचार चेनल वाले भी राहुल गान्धी को उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हे जबर्दस्ती का हीरो बना देते हें,इस काम मे कई समाचार चेनल तो चापलूसी का इतना जबर्दस्त प्रदर्शन करते हें कई कोंग्रेस के छुट भई नेता उनकी चापलूसी को बेहद छोटा मानने लगतें हें अब इसे आप राहुल गान्धी का कैसा चरित्र कहेंगे क्या दोगला,  आप खुद निर्णय करें तथा अपने विवेक से कोंग्रेस पार्टी तथा खासकर उसके शिर्स नेतृत्व के चरित्र का विस्लेसन करें, अन्ध समर्थन की बजाय समझ दारी से हर पहलु पर चिन्तन कर देश हित को सर्वोपरी मानकर उचित चुनाव करें.  . 

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे को सोनिया का समर्थन--सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली.

कल समाचार चेनल पर समाचार की कुछ  लाइन चलती देख ताजुब हुवा कि अन्ना हजारे को सोनिया गाँधी का समर्थन, सोनिया ने भ्रस्टाचार से निबटने के लिए कड़े कानून कि जरुरत बताई तथा कड़ा कानून बनाने कि सरकार से अपील क़ी तथा अन्ना से अनशन समाप्त करने क़ी अपील क़ी. ताजुब क़ी ही तो बात हे, जो पार्टी देश में भ्रस्टाचार क़ी जननी मानी जाती हे,आजादी के बाद पचास से ज्यादा वर्षों तक जिस पार्टी ने देश पर राज किया, जिस पार्टी के राज में भ्रस्टाचार फला फुला उस पार्टी क़ी मुखिया अब कड़े कानून क़ी जरुरत बता रही हे, तथा अपनी ही सरकार से कड़ा कानून बनाने क़ी मांग कर रही हे. सोनिया गाँधी क़ी छत्र छाया तथा उनकी आग्या अनुसार देश में अब तक क़ी भ्रस्टतम सरकार चल रही हे, भ्रस्टाचार तथा देश का पैसा लूटने के उनकी सरकार  के मंत्रिओं नेताओं के नित नए एक से बढ़कर बड़े घोटाले सामने आ रहे हे, यह बात सोनिया गाँधी को मालूम न हो यह तो असंभव ही हे. हो सकता हे उन्हें जानकारी के साथ साथ उनकी हिस्सेदारी भी शायद मिलतीहो, जब देश में किसी भी मंत्रालय का कोई भी विज्ञापन बिना किसी सरकारी पद पर होते हुए भी सोनिया गाँधी क़ी फोटो के नहीं छपता , देश के पी.एम से लेकर कोई भी मंत्री तक बिना सोनिया गाँधी के आदेश के कोई काम नहीं कर सकता , उन सोनिया गाँधी को सरकार के भ्रस्टाचार क़ी जानकारी न हो, हे न ताजुब क़ी बात. सोनिया गाँधी ने तब भ्रस्टाचार से निबटने के लिए कठोर कानून क़ी जरुरत क़ी  क्यों नहीं मांग क़ी जब कात्रोची को  देश का धन उसके बैंक खाते से रोक हटाकर ले जाने दिया गया, जो  शायद उनके आदेश का सरकार के मंत्रियों ने पालन किया होगा. सोनिया गाँधी ने कड़े कानून क़ी जब मांग क्यों नहीं क़ी, जब इराक के साथ  तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में हुए घोटाले में उनका नाम उछला, उन्होंने तब भी कठोर कानून क़ी मांग नहीं क़ी जब उनकी सरकार के मंत्रियो के लगातार हजारों करोड़ के घोटाले उजागर हो रहें हे, उन्होंने जब उनके प्रधान मंत्री, गृह  मंत्री ने एक भ्रस्टाचार के आरोपी व्यक्ति को भ्रस्टाचार रोकने क़ी जिम्मेदार संस्था का सतर्कता आयुक्त बनाया, जबकि विपक्षी नेता ने उस व्यक्ति के घोटाले क़ी जानकारी पी.एम. को दी थी तब तो सोनिया गाँधी ने भ्रस्टाचार को संरक्षण देने में पूरा सहयोग दिया ताकि उनके तथा उनकी सरकार के लोगो के घोटालों को दबाया जा सके. जब ए़सी कांग्रेश क़ी मुखिया अना हजारे का समर्थन करे, भ्रस्टाचार के लिए कठोर कानून क़ी बात करे तो हे ना सही बात "सो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली' --यहाँ समाचार चेनलों के अति ज्ञानी लोगो क़ी समझ पर शंका होती हे ,  क्या ये नासमझ हे या पक्षपाती,सोनिया गाँधी के व्यक्तव को इस तरह से पेश किया मानो देश में उन जेसा ईमानदार, बेदाग कोई हे ही  नहीं, जो वास्तव में भ्रस्टाचार क़ी समस्या से बेहद दुखी हे, तथा अन्ना हजारे के आन्दोलन का समर्थन कर देश का भला करना चाहती हे,  कांग्रेश पार्टी इस मायने में भाग्यशाली हे क़ी तमाम तरह क़ी असफलताओं, अनगिनत घोटालों, जनता क़ी बढती तकलीफों क़ी अनदेखी करने के बाद भी ज्यादातर मिडिया उनकी पार्टी क़ी मुखिया क़ी चमचागिरी वेसे ही करता हे जेसे उनकी पार्टी के बड़े नेता लेकर छोटे कार्यकर्ता करते हें. अन्ना हजारे में भी विनम्रता शायद जरुरत से ज्यादा हे, तभी तो जिसके विरुद्ध उनका आन्दोलन हे उनकी जरा सी अपील पर बड़ा बड़ा आभार व्यक्त करते हें. उन्हें समझना होगा ऐसे कामों के लिए केवल विनम्रता ही नहीं कठोरता भी जरुरी हे.