शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

पाकिस्तान परस्तों के हाथों भारत कि हार

पाकिस्तान परस्तों के हाथों भारत कि हार.
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भारत आज फिरसे पाकिस्तान परस्तों के हाथों हर गया हे, देशप्रेम नहीं मजहब प्रेम दिखाते हुए हमारे कट्टर दुश्मन देश पाकिस्तान के खिलाडियो के प्रति प्रेम के शाहरुख़


खान के प्रदर्शन का शिवसेना के विरोध का पाकिस्तान परस्त समाचार चेनलों, चंद फ़िल्मी कलाकारों , भारत का खाकर पाकिस्तान का गुणगान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बेहद घटिया स्तर के विरोध से भारत माता बेहद शर्मिंदा हुयी होगी , साथ ही प्रत्येक देशभक्त भारतवासी का सर भी शर्म से झुक गया होगा. शाहरुख़ खान हिट बाल ठाकरे प्लॉप , खान की जीत ठाकरे की हार जेसे ओछे विस्लेसनों से बाल ठाकरे को जम कर गाली देने वाले समाचार चेनलों ने बाल ठाकरे को नहीं हराया हे, बल्कि बेहद घिनोनी पाकिस्तान परस्ती से भारत देश को हराया ह, दुश्मन देश के सामने भारत को शर्मिंदा किया हे. पाकिस्तान आज बेहद खुस होगा , उसे शाहरुख़ जैसा पाकिस्तान प्रेमी तो मिला ही, इस हंगामे के बहाने समाचार चेनलों, चंद सामाजिक कार्यकर्ताओं, गिनेचुने फ़िल्मी कलाकारों, पाकिस्तान की तरफ से भारत में भेजी मुसीबत के समय चूहों की तरह बिल में छुपे रहने वाले,देश की जनता की सुरक्षा करने में असमर्थ कांग्रेसी नेताओं का पाकिस्तान प्रेम देखने को मिला. देश के समाचार चेनलों का पाकिस्तान प्रेम का बेहद खोफनाक चेहरा हमने कुछ समय पहले भी देखा था, मुंबई हमले के समय नागरिकों को बचाने की जारही कमांडो कार्यवाही का पलपल का आँखों देखा हाल दिखाकर समाचार चेनल आतंकवादियों के आकाओं की भरपूर मदद कर रहे थे, जनता मर रही थी, चेनल वाले अपने पाकिस्तान प्रेम में मस्त थे. पाकिस्तान का खुश होना सही भी हे, वो जानता हे कि वो चाहे भारत में कितना ही आतंक फेलाए, निर्दोस भारतीओं को मारे, नकली नोट भेज कर भारत की अर्थ व्यवस्था चोपट करने में लगा रहे, उसके देश में भारत समर्थक कोई न हो, वह अपने यंहा भारत के कलाकारों को पैसा कमाने न आने दे, उसे भारतीओं का विरोध नहीं झेलना पड़ेगा, क्योंकि कोई भी धरमनिर्पेक्षता नाम पर मुस्लिम परस्ती करने वाले दल तो इसका विरोध करंगे नहीं, जोभी कोई हिन्दुओं के हितों की बात भी सोचने वाले दल या संगठन इसका विरोध करेंगे तो पाकिस्तान प्रेमी राजनेतिक दल, मुस्लिम्परस्त सामाजिक संगठन और सबसे बढचढ कर बेहद पाकिस्तान प्रेमी समाचार चेनल अत्यंत घटिया स्तर पर गिर कर शब्दों की मर्यादा को भूल कर गुंडे, तालिबानी, जैसे शब्दों से भरपूर आलोचना, में दिनरात एक कर देंगे. व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसे अपनी बात कहने का मोका दिए बिना, या अगर वो व्यक्ति हे भी तो वो अगर अपनी बात से चेनल के लोगो की झूठ की पोल खोलता हे तब ये संवाददाता उसकी बात के बीच में ही चीखचीख कर अपना मनमाना भासन सुरु कर देंगे. वेसे यह भी समझ नहीं आया कि एक फिल्म को रिलीज करने के लिए, पाकिस्तान प्रेमी शाहरुख़ के लिए प्रेम दिखाने पूरी कांग्रेश कि पूरी सरकार लग गयी हो, शिवसेनिकों को रोकने जबरस्त पुलीशबल लगा दिया हो, सारे समाचार चेनलों में शाहरुख़ कि बिरुदावली गाने कि होड़ लगी हो कि कोन खान का ज्यादा से ज्यादा गुणगान कर अपने को खान से बड़ा पाकिस्तान प्रेमी साबित करता हे, कांग्रेश के मंत्री अपने समर्थकों के साथ फिल्म देखने जाने से अगर कुछ सिनेमा हाल भर जाते हे, तो यह महारास्ट्र कि जनता का बाल ठाकरे को नकारना केसे हो गया, यह तो वेसा ही जेसे कुछ टी वि पर दिखने कि लालसा पाले चंद छुटभये लोगों को इकठ्ठा कर समाचार चेनलों का अपनी मनमाफिक बात कहलवाकर उसे जनता कि आवाज होने का झूठा प्रचार करना, ' पाकिस्तान प्रेम प्रदर्शित कर देश कि जनता माफ़ी मांगने से इंकार करने वाले अहंकारी शाहरुख़ खान को सर पर चढाने वाले , उनके गुणगान कि देश के लगभग सभी समाचार चेनलों में होड़ क्यों मची, क्या इसके ये कारण हो सकते हे, क्या समाचार चेनलो कि हिंदूवादी दलों, संगठनों को गाली देते रहने कि भावना इतनी प्रबल हे, कि वो किसी विषय कि गहराई में जाये बगेर सिर्फ इनको ही हर बात का अपराधी साबित करने अपने प्रसारण साधन के एकाधिकार का जम कर दुरपयोग करते हे, या फिर अपने को अति ग्यानी समझने का भरम पाले ये समाचार चेनल वाले शाहरुख़ का अपनी फिल्म का मुफ्त प्रचार करवाने कि चाल में फंस कर उसके हाथ कि कठपुतली बन नाच रहे थे. कई बार ऐसा भी सुना हे, कि कुछ टी वि चेनल या अखबार वाले पैसे लेकर भी समाचार प्रसारित करतें हे, पुराने ज़माने में भांड होते थे, जो राजाओं या सेठों कि बिरुदावली गाकर उनसे इनाम पाते थे, समाचार चेनल वालों ने शाहरुख़ कि ऐसी बिरुदावली गायी कि मन में यह उलझन तथा शंका हो रही हे कि कहीं इनको बिरदावली का इनाम एडवांस तो नहीं मिल गया. आतंकवादियो के हातों नागरिकों कि सुरक्षा में अक्षम सरकार शाहरुख़ और उसकी फिल्म कि सुरक्षा में इतनी जबरदस्त मुस्तेद है, जितनी मुस्तेदी से वह आतंकी अफजल गुरु, व कसाब कि सुरक्षा कर रही हे, चाहे अफजल को मोत कि सजा मिली हो. कांग्रेश कि सरकार भारतीय सेना के हाथों हारे पाकिस्तान से वार्ता कि मेज तथा कुटनीतिक वार्ता में हमेशा हारती रही हे, भारत सरकार बेहद शर्मनाक तरीके से यह स्वीकार करती हे, कि पाकिस्तान में गड़बड़ी में भारत का हाथ हे, पता नहीं किस दबाव तथा लालच में जनता को धोका देकर पाकिस्तान से फिर बात शुरू करने कि कोशिश कर रही हे, तथा पाकिस्तान भागे आतंकवादिओं को भारत बुला कर उनका स्वागत करने कि बात करती हे. यह धरमनिर्पेक्षता हे या मुस्लिम परस्ती, आप निर्णय करें, यह भी गहराई से सोचें कि शाहरुख़ हंगामे में खान ने ठाकरे को हराया हे, या पाकिस्तान प्रेमी कांग्रेश सरकार, समाचार चेनलों,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत देश को ''-----