गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

नरेन्द्रमोदी-अंगद के पैर की तरह अडिग विकाश पुरूष.

सुनते हे की रावण की सभा में अपना पैर जमाकर अंगद ने वंहा उपस्तिथ राक्षसों को अपना पैर हिला भर देने की चुनोती दी. परन्तु अपूर्व बलशाली, महा बलवान, मायावी शक्तिओं से भरपूर राक्षसों में कोई भी अंगद के पांव को जरासा भी हिला नहीं सका. वर्तमान समय में ऐसा उदहारण हमारे सामने नरेंद्र मोदी का हे. गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तेजी से उन्होंने जिस तेजी से गुजरात को विकाश की रह पर चलाया हे, वह अपनेआप में अभूतपूर्व हे. गोधरा कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप हुवे दंगों के बाद अनेक स्वार्थी तत्वों नरेन्द्रमोदी को हटाने की घटिया व् निम्नस्तर की कोशिसो को मोदीजी ने अपूर्व धेर्य, कर्मठता व बिना किसी भेदभाव गुजरात की जनता की प्रगति का संकल्प जेसे जनहित कार्यों से विफल कर दिया. दंगों के बाद देश के समाचार माध्यमों विशेषकर समाचार चेनलों ने जिस तरह नरेन्द्रमोदी के खिलाफ जहरीला प्रचार किया जेसे ऐसे दंगे देश में पहले कभी हुए ही नहीं हों, यह देश के समाचार माध्यमों का अत्यंत घिनोना, दोगला व मुस्लिमपरस्त चेहरा प्रस्तुत करता हे. श्रीमती इन्द्रागांधी की हत्या के बाद देशभर में कराये गए सिखों के कत्लेआम (जिसमे गुजरात दंगों से कंही ज्यादा लोग मरे गए थे) की देश के समाचार चेनलों ने २५ वर्षों में जितनी आलोचना की होगी उससे कई गुना ज्यादा केवल ७ वर्षों में गुजरात दंगों कि कि होगी, जब भी गुजरात में कोई चुनाव होता हे समाचार चेनल नरेन्द्रमोदी के खिलाफ जहरीला प्रचार करने पहुच जातें हे, बारबार दंगों के द्रश्य दिखाये जाते हें, गडे मुर्दे उखाड़कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का भरपूर प्रयास होता हे, तीस्ता सितालवार जेसों को बुलाकर मोदीजी की आलोचनाओं से भरपूर प्रोग्राम बनायें जातें हें. जिन आँखों को गुजरात की शानदार प्रगति दिखाई दे सके उनपर तो इन समाचार चेनलों ने स्वार्थ व अंहकार की पट्टी बांध रखी हे, पर गुजरात की जनता अपने प्रदेश के विकाश को आधार मान कर मोदीजी को विजयी बनाती हे. समाचार चेनल गुजरात की जनता के तमाचे खाकर भी बेशर्म बने रहतें हें , फिरसे मोदीजी की आलोचना का राइजितना विषय तलासतें हे, ताकि पहाड़ जितना बनाकर मोदीजी की कई दिनों तक दिन भर की आलोचना का माध्यम बना सकें जेसा उन्होंने सोहराबुदीन तथा इशरत जहाँ मुठभेड़ को बनाया. देश के समाचार चेनलों ने सोहराबुदीन जेसे अपराधी
को मुठभेड़ में (चाहे फर्जी हो या असली )मरने को नरेन्द्रमोदी की आलोचना का महीनों भर मुद्दा बनाया , अभी भी मोदीजी की आलोचना के किसी भी छोटे से मुद्दे को बहुत बढा चढा कर पेश करने को सोहराबुदीन मुद्दे को घसीट लाते हें. अभी कुछ महीनों पहले आँध्रप्रदेश में तीन लड़कों ने एक लड़की को तेजाब डाल कर जला दिया था, वो लडके अपराधी प्रवर्ती के नहीं थे, जेसा की सोहराबुदीन था, अतः आसानी से पुलिस की पकड़ में आगये, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सवंदाताओं के सामने पेश किया , अगले दिन वो सभी लडके पुलिस मुठभेड़ में मार दिए गए, पुलिस ने कहानी बताई की वो तेजाब व् पिस्टल से पुलिस पर हमला कर के भाग रहे थे, पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और उन्हें मुठभेड़ में मर गिराया. ताज्जुब की बात थी कि पुलिस कि गिरफ्त में आये लड़को के पास तेजाब और पिस्टल कंहा से आगये, ऐसा नहीं हे अन्होने अपराध नहीं किया , उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए थी, में यंहा पर सिर्फ समाचार चेनलों के दोगलेपन को उजागर करना चाहता हूँ, अपनेआप को महाज्ञानी समझने का भरम पाले समाचार चेनलों के संवाददाता, व एंकर जिन्होंने सोहराबुदीन जेसे अपराधी के मरने पर नरेन्द्रमोदी व् गुजरात कि बीजेपी सरकार कि आलोचना के लिए कई कई दिनों तक बड़े बड़े प्रोग्राम बनाये थे, आँध्रप्रदेश कि पुलिस द्वारा तीन लड़को को मुठभेड़ मर गिराने को एक मामूली घटना कि तरह बहुत छोटे से समाचार कि तरह बताकर हमेशा के लिए समाप्त कर दिया, कई चेनलो ने तो यह खबर दिखाने कि भी जरुरत नहीं समझी , किसी ने भी पुलिस या सरकार से यह नहीं पूछा कि गिरफ्तार लड़को के पास तेजाब और पिस्टल कंहा से आगये कि उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया. शायद समाचार चेनलों के लिए यह कोई खबर नहीं थी , क्यों कि न तो मरने वाले मुस्लिम थे, और न ही वंहा नरेन्द्रमोदी या अन्य कोई भाजपा कि सरकार. यही हे समाचार चेनलों का दोगला व घिनोना चेहरा. नरेंद्र मोदी कि ए़सी ही जहरीली आलोचना चेनलों ने इशरत जन्हा मुठभेड़ के लिए (एक जाँच आयोग द्वारा जिसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जल्दीबाजी में रिपोर्ट देकर मुठभेड़ को फर्जी बताया )की. सही या गलत मोदी की आलोचना के एकमात्र कार्य के लिए जीने वाले लोगो को बुलाकर नए नए प्रोग्राम बनाकर तबतक मोदीजी की आलोचना करते रहे जब तक गुजरात हाइकोर्ट ने रिपोर्ट देने वाले को फटकार नहीं लगाकर रिपोर्ट पर रोक नहीं लगादी तथा गुजरात सरकार ने भारत सरकार की वह रिपोर्ट नहीं पेश कर दी जिसमे इशरत को आतंकी संगठन का सदस्य बताया था. झूठी आलोचना की पोल खुलने पर तथा मोदीजी को बदनाम करने की चाल उपचुनाओं में मोदीजी की जीत से नाकाम होने पर इशरत जन्हा समाचारों से गायब हो गई '
नरेन्द्रमोदी का पैर उखाड़ने की कोसिस में कांग्रेश पार्टी भी पूरी ताकत से लगी हे. कभी वह उनको मोत का सोदागर बताती हे, कभी उनकी सरकार को आदमखोर सरकार._ सिख्नो के नरसंहार तथा अपने शासन में हुए अनेकों दंगों में अपने हाथ लाल करने वाली कांग्रेश पार्टी सोचती हे कि वह गुजरात दंगो के लिए मोदीजी कि आलोचना कर मिडिया वालो , अपनेआप को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले मुस्लिम परस्त नेताओं , मानवाधिकार के नाम पर आतंकियों कि आवाज बने कार्य कर्ताओं कि तरह गुजरात कि जनता को भी बेवकूफ बना देगी , तथा गुजरात कि जनता चुनाव में उन्हें जीता देगी. गुजरात कि ज्यादातर जनता पढीलिखी समझदार हे, वह सच्चाई तथा झूठ व मक्कारी में फर्क करना जानती हें, गुजरात में जमीनी रूप में हुए वास्तविक विकाश तथा कांग्रेश के शासन में विकाश के झूटे दावो , नेताओं के बड़बोले पन , आम जनता के धन से शाही मजे, कमरतोड़ मंहगाई से पिसती जनता को राहत तथा किसानों को आत्महत्या करने से रोक पाने में नाकामी, गुजरात कि जनता आसानी से देख भी सकती हे, समझ भी सकती हे. गुजरात कि जनता ने समाचार चेनलों कि तरह अपनी आँखों पर ए़सी पट्टी नहीं बांध रखी जिससे गुजरात का विकाश दिखाई ही न दे, और न ही उन्ही कि तरह इतनी मुर्ख हे, न ही चाटुकार कि देश कि जनता को किसी भी तरह कि राहत देने , जनता से किये वादों को पूरा करने में नाकाम रहने से जनता का ध्यान हटाने के लिए हाथी के बराबर खर्चों से चूहे के बराबर खर्चे घटाने कि नोटंकी को कांग्रेश कि महारानी के अथाह महान त्याग कि तरह बार बार पेश करने से प्रभावित हो. हाँ समाचार चेनलों के लिए यह अपनेआप को महारानी के उनकी पार्टी के नेताओं से बड़ा चाटुकार साबित करने का जरिए हो सकता हें. तभी तो समाचार चेनल मोदीजी के विकाश कार्यों को भारत कीजनता को बताने के लिए कोई समाचार या प्रोग्राम बनाने के बजाय कांग्रेस के युवराज के चार,छह महीनो में कभी कभार किसी गरीब आदमी जो बेचारा बहुत मुश्किल से दो टाइम के खाने का जुगाड़ कर पाता हे , के घर रात बिताने तथा खाना खाने को इतने महान त्याग की तरह प्रस्तुत करता हे मानो महात्मा गाँधी का देश के लिए किया त्याग भी बोना लगे. या मानो भगवान ने गरीब की झोंपडी में रात बिताकर, खाना खा कर उस गरीब की जीवन भर की गरीबी दूर कर दी हो. कोई सवाददाता उन्हें यह नहीं पूछता की किसी भूखे गरीब का भला उसकी भूख मिटाने का उपाय करने से होगा न कि मुस्किल से हासिल कि गयी उसकी रोटी खा जाने से. कोई उनसे यह भी नहीं पूछता कि उनको रात बिताने के अलावा कभी बढती मंहगाई पर नियंत्रण के भी कोई उपाय करने का विचार भी उनके मन में आता हे. ---- मोदीजी कि आलोचना में अपनेआप को धर्मनिरपेक्ष (धरम विहीन ) कहने वाले सभी दल व नेता भी बढ़ चढ़ कर बोलते रहते हे, जनता को राहत व प्रदेश के विकाश में भले पूरी तरह नाकाम हो, गुजरात के मुकाबले उनका प्रदेश भले पिछड़ता जाये, पर मोदी की आलोचना व साम्प्रदायिकता का बेसुरा राग अलापना नहीं छोडेंगे, अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए, जनता की भूख, व गरीबी मिटाने से ज्यादा बड़ा मुद्दा साम्प्रदायिकता (मुस्लिमपरस्ती) मानने वाले नेता अपने सभी हथकंडो का प्रयोग करके भी कर्मठता, असीम धर्य, अपने ऊपर चिल्लाते रहने वालों को चुपचाप रह अपने विकाश कार्यों से जबाब देने वाले नरेंदर मोदी का कुछ बिगाड़ नहीं पाए. क्योंकि सच्चाई बनावटी बातों से नहीं मिटाई जासकती. ----