शनिवार, 25 दिसंबर 2010

कांग्रेस कि नफरत फ़ैलाने का निंदनीय प्रयास

कुछ समय पूर्व में हुए  कांग्रेस के अधिवेशन में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, तथा दिग्विजय सिंह ने जिस तरह के संबोधन किये, उनसे लगता हे कि मंहगाई, भ्रस्टाचार, आतंकवाद व् विकिलिंक्स के राहुल गाँधी कि हिन्दू विरोधी मानसिकता के खुलासे से आम जनता में उनकी हितेषी होने कि समाप्त हो रही छवि को बचाने, प्रधान मंत्री कि मिस्टर क्लीन कि बजाय भ्रस्ताचारियो को सरंक्षण देने वाले कि छवि बन जाने से बचाने, तथा राहुल गाँधी कि मुस्लिम आतंकवादी समर्थक विचारधारा विकिलिंक्स के मार्फ़त सारी दुनिया के सामने आने से हुयी शर्मिंदगी, व जनता में धूमिल होती छवि को बचाने के लिए जनता का ध्यान बटाने के लिए बीजेपी,आर अस अस , तथा वी एच पि, पर अनर्गल आरोप लगा कर हिन्दू और मुस्लिमों में बीच नफरत फ़ैलाने, कि राजनीति सुरु कर दी हे. अंधाधुन्द बढती मंहगाई को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम रहने, मुस्लिम आतंकवादियो से जनता को बचाने में असफल, बल्किमुस्लिमो के वोटो के लालच में  मोत कि सजा पाए आतंकी को बचाने , तथा भ्र्स्ताचारियो को सरंक्षण देने तथा उनको बचाने में सी बी आइ तथा अन्य जाँच एजेंसिओं के दुरपयोग से हुई बदनामी से बचने के लिए कांग्रेस को यही एकमात्र रास्ता नजर आता हे कि हिन्दू वादी संगठनो के विरुद्ध दुष्प्रचार करो, हिन्दुओ कि मामूली आतंकी घटनाओ को बढाचढा कर बताओ , मुस्लिमो में हिन्दुओ का भय पैदा करो, देश की हिन्दू-मुस्लिम जनता में    नफरत पैदा करो ,ताकि  जनता का ध्यान कांग्रेस की कमजोरियो से हट जाएँ. इस काम में कांग्रेश को मिडिया का भी भरपूर सहयोग मिलता हे, ज्यादतर समाचार चेनलों, समाचार पत्रों में हिंदूवादी संगठनो, हिन्दू हितो के लिए भी सोचने वालो को बदनाम करने की होड़ सी मची हे, राहुल गाँधी ने हिन्दू चरमपंथियो को लस्करे तोयबा से ज्यादा खतरनाक बताया था, पर कई समाचार चेनल तोहिन्दुओं द्वारा की गई  चार-पाँच मामूली बम विसपोटो की घटनाओ को ( जिस में कई  महीनों की जाँच के  बाद भी अदालत में कोई सबूत तक नहीं पेश हो सके)जिस तरह से बार बार बेहद खतरनाक तरीके से पेश करते हे , हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले लोगो को बुला कर हिंदूवादी संगठनो के विरुद्ध जहर उगलने वाली परिचर्चा कराकर इस तरह का माहोल बनाते हे मानो किसी भी तरह से वो यह साबित करना चाहते हो की हिंदूवादी संगठन लस्करे तोयबा जैसे दुसरे मुस्लिम आतंकी संगठनो से ज्यादा खतरनाक हो.  मुस्लिम परस्ती, और हिन्दुत्व विरोधी मिडिया की मानसिकता देश  के लिए बेहद खतरनाक हे, हमें इसके विरुद्ध सावधान और एकजुट रहना हे. राहुल गाँधी ने जो हिंदूवादी संगठनो के लिए जो  कहा वह उनकी हिन्दुओं के लिए उनके खानदानी सोच का प्रकटीकरण था, आखिर वो आधे मुसलमान बाप राजीव गाँधी जिनके पिता फिरोज खान (महात्मा का दिया नाम फिरोज गाँधी)तथा पूरी ईसाई माँ अनातोनिया मेइनो(सोनिया गाँधी)की संतान हे, आखिर मुस्लिम आतंकी उनके भाई बंधू ही तो हें, इसलिए वो चाहे कितने ही हिन्दुओं को मारे, देश की संसद तक पर हमला करे, हिन्दू मंदिरों पर हमला करे, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, होटल, पिकनिक की  जगहों, जेसे सार्वजनिक जगहों पर हमला कर सेंकडों लोगों की जान ले, देश की अरबों की सम्पति का नुकसान करे, राहुल गाँधी के लिए फिर भी वो हिंदूवादी संगठनो से कम खतरनाक हे, जिनके सदस्यों को  चार-पाँच मामूली बम विस्पोट में आरोपित   किया गया जो महीनों की जाँच के बाद भी आरोपी साबित नहीं किये जा सके. शायद राहुल गाँधी के लिए देश से ज्यादा अपने वो आतंकी  मुस्लिम भाई बंधू ज्यादा महत्व पूर्ण हे,  इसीलिए शायद   कांग्रेश बारी आने के बहाने से फांसी की सजा पाए मुस्लिम आतंकी अफजल गुरु को बचा रही हे,तथा उसके तथा कसाब के पालन पोसन पर बहुसंख्यक हिन्दू जनता का करोडो रूपया खर्च कर रही हे. दिग्विजय सिंह पहले भी हिंदूवादी संगठनों के विरुद्ध झूठे व बकवास बयान देकर तथा मुस्लिम आतंकवादियो के घर जाकर अपनी सहानभूति तथा समर्थन देकर अपनी मुस्लिम परस्त मानसिकता का सार्वजनिक प्रदर्सन कर चुके हे. करकरे सम्बन्धी बयान देकर पूरी तरह से झूठे साबित हो चुके,  हिंदूवादी संगठनों को बदनाम करने की घटिया मानसिकता की सच्चाई सामने आने की झेंप मिटाने,  , तथा "थोथा चना बाजे घना"की तर्ज पर अपने को खबरों में बनाये रखने के लिए, अपने आका राहुल गाँधी को खुस रखने के लिए  दिग्विजय सिंह ने संघ परिवार पर अनर्गल आरोप लगाये, दिग्विजय सिंह नहीं जानते कि सन 1925 में सिर्फ 5 लोगों से लगा संघ रूपी पौधा आज करोडो सदस्यों रूपी विशाल वाट वृक्ष बन गया हे, अपनी स्थापना के बाद से ही अपनी प्रखर रास्ट्र वादी  सोच के कारण धरमनिर्पेक्षता का आवरण लपेटे कांग्रेस तथा उस जेसे मुस्लिम परस्त दलों कि आंख कि किरकिरी रहा हे, संघ वो हाथी  हे, जिस पर बरसों से दिग्विजय सिंह जेसे  कई खुजली वाले कुते भोंकते रहें हे, कई बार उस हाथी को  झूठे  व अनर्गल आरोप लगा कर प्रतिबन्ध कि जंजीरे पहनाई गयी , पर झूठे व बेईमान लोगो कि समस्त चालों कि पोल खोलता हुवा संघ निरंतर प्रगति करता रहा. दिग्विजय सिंह कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को सलाह देते हे कि संघ और बीजेपी कागज के शेर हें इनसे डरने कि जरुरत नहीं हे, इनका मुकाबला लाठियों से करें, शायद मारकाट ही दिग्विजय सिंह, जगदीश तायेत्लर, सज्जन कुमार  जेसे कान्ग्रेसिओं कि पहचान हे, तथा पार्टी कि सोच. में तो कहता हु कि संघ से किसी को भी डरने कि जरुरत नहीं हे, न हिन्दुओं को नहीं मुसलमानों को, क्योंकि संघ  कि सोच रास्ट्र का  विकास हे, नाकि सत्ता प्राप्ति, रास्ट्र वादी सोच के संगठन डराकर नहीं समझाकर सकारात्मक तथा हितकारी परिवर्तन के प्रयास करतें हे, देश  के लोगो को डर दिग्विजय सिंह, चिंदबरम,राहुल गाँधी जेसे कान्ग्रेसिओं से हे, जो सत्ता प्राप्ति किसी भी हद तक निचे गिर सकते हे, देश में जातिवाद, साम्प्रदायिकता का जितना जहर कांग्रेस ने सत्ता प्राप्ति के लिए फेलाया हे, उतना किसी और दल ने नहीं. सरदार पटेल ने सेना भेजकर हैदराबाद को तो मुस्लिम हमलावर रजाकारों से आजाद करवा कर भारत में मिला  लिया, परन्तु नेहरू जी ने कश्मीर को भारत का पूर्ण हिस्सा बनाने के सरदार पटेल के प्रयास को सफल नहीं होने दिया, आज भी कश्मीर भारत का विवादस्पद राज्य माना जाता हे, नेहरू जी ने कश्मीर में जो मुस्लिम परस्ती का जो पोधा इसलिए लगाया था ताकि कांग्रेश पार्टी मुस्लिमो को हिंदूवादी संगठनो का भय दिखाकर उन्हें अपना वोट बैंकबना सके, जब भी कांग्रेस कि हालत ख़राब हो हिंदूवादी संगठनो पर अनर्गल आरोप लगा कर, मुस्लिमो में हिन्दुओ के प्रति नफरत का जहर भरकर उन्हें अपने वोट के लिए इस्तमाल कर सके. जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जो जहर कांग्रेस ने देश कि एकता और भाईचारे कि भावना में घोला आज वो विकराल और खतरनाक रूप ले चूका हे, तथा ज्यादातर दल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर और घोल रहे हे, आज कांग्रेस मुस्लिम वोट अपने पास बनाये रखने, तथा बीजेपी तथा शिवसेना जैसे कुछ दलों को छोड़ कर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल मुस्लिम वोट कांग्रेस से छिनने में जम कर मुस्लिम परस्ती कर रहे हे, देश के हिन्दू संगठनो विरोधी दोगली और विकृत मानसिकता वाले ज्यादातर  मिडिया,वामपंथी सोच वाले देशद्रोही जैसी विचारधारा वाले बुधिजीविओं  के सहयोग से गुजरात के दंगो कि तो जमकर आलोचना करते हे, नरेंदर  मोदी की बेहद आलोचना में  घटिया स्तर पर उतर जातें हे, क्योंकि वहां पर मरने वाले अधिकतर मुसलमान थे,पर गोधरा में लोगो को  जिन्दा जला दिये जाने की घटना की आलोचना तो दूर चर्चा तक नहीं करते , क्योंकि मारे  गए लोग हिन्दू थे, इन्दारागान्धी ने सत्ता के लालच में पंजाब में भिन्दरावाले जेसे आतंकवादी को पैदा कर जो मारकाट मचाई सारा देश जानता हे,जब उसी आतंकवाद के बाद के कारणों से इन्दारागान्धी की हत्या हुई उसके बाद तो कांग्रेस ने पुरे देश , खासकर दिल्ली में सिखों का जो  कत्लेआम मचाया वो गुजरात दंगो से कई गुना बड़ा था, कुछ दिन पहले के. सुदर्शन ने सोनिया गाँधी की आलोचना कर दी तो कांग्रेसियो ने  पुरे देश में उत्पात मचाया तथा नफरत फेलाई , यही कांग्रेस की पहचान हे, शर्मनाक यह की समाचार चेनलों ने कांग्रेसियो की गुंडागर्दी को सिर्फ विरोध प्रदर्सन कहा, जबकि अक्सर जब कोई हिंदूवादी संगठन छोटा सा विरोध प्रदर्सन भी करता हे, को समाचार चेनल उन्हें गुंडे, तालिबानी जेसे संबोधनों से जमकर आलोचना करता हे. अतः देश को दिग्विजय सिंह, चिंदम्बरम, राहुल गाँधी जेसे कांग्रेसियो से डरने,तथा सावधान रहने की जरुरत हे, जो मुस्लिम वोटो के लिए हिन्दुओ को कितना भी नुकसान पहुंचा सकते, हे, मुस्लिम आतंकवादियो को बचा सकते हे,अथाह  मुस्लिम आतंकिओं कि अनगिनत आतंकी घटनाओ  के बाद भी  यह कहते हे कि आतंकवादियो का कोई धर्म नहीं होता, हर मुसलमान आतंकी नहीं हे,  परन्तु दर्जन भर हिन्दुओ पर चार-पाँच आतंकी घटनाओ में शामिल होने के आरोपों मात्र से भगवा आतंकवाद का नाम देकर हिन्दू समाज को आतंकी घोषित करता हे, समाचार चेनल इसकी आलोचना करने कि बजाय बारबार उनके व्यक्तव्यों को प्रसारित कर देशभर में भगवा आतंकवाद शब्द को फेलाने में सहयोग करते हे, देशवासिओं को विचार करना हे कि हमें किस के सावधान रहने कि जरुरत हे, रास्ट्र वादी विचारधारा वाले संघ से, या मुस्लिम वोटो के लालच में नफरत फ़ैलाने वाले , हिन्दुओ को उनके हक़ से वंचित करने वाले कांग्रेसियो व अपने को धर्मनिरपेक्ष मानने वाले दलों से, जैसा कि मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का हे, तथा भाजपा, शिवसेना के अलावा किसी दल ने हिन्दू विरोधी इस व्यक्तव्य कि आलोचना तक नहीं कि. हमें अपनी सोच बदलनी ही होगी.   

शनिवार, 15 मई 2010

गडकरी के पीछे पड़े भोंकने वाले कुते --

आजकल गडकरी जी के पीछे बहुत से भोंकने वाले कुत्ते पड़े हे. गडकरी जी के पुरे संबोधन में एक लाइन लेकर समाचार चेनल वालों ने पहले बात का बतंगड़ बनाया , भाजपा के लिए जहर उगलने के अपने मनपसंद कार्य के तहत पहले छोटी चिंगारी को आग बनाया, फिर इस आग में कई लोगों को पेट्रोल ड़ाल ने के लिए उकसाया फिर पुरे देश में आग को भड़काया. वेसे किसी भी बात का मनमाना मतलब निकाल कर भाजपा के लिए दुष्प्रचार करने में समाचार चेनल हरदम मोके की ताक में रहतें हें, अभी के संबोधन में गडकरी ने एक उदाहरण के रूप में एक बात कही थी कि लालूजी और मुलायम सिंह जी जो मंहगाई को कम करने के लिए कांग्रेश सरकार को शेर क़ी तरह ललकार कहे थे, ज्योंही सरकार ने सी.बी.आइ. का डर दिखाया, कुते क़ी तरह कांग्रेश और सोनिया के तलवे चाटने लगे. वास्तव में गडकरी जी ने लालू और मुलायम को कुता नहीं कहा था, वो सिर्फ उस आचरण का जिक्र कर रहे थे, जो लालू और मुलायम ने किया, जैसे  कुता हड्डी के लालच में भोंकना भूल मालिक के तलवे चाटने लग जाता हे, वेसे ही लालू और मुलायम जी सरकार क़ी सी.बी.आइ. का केश कमजोर करने रूपी हड्डी को देखते ही कुते क़ी तरह सरकार और सोनिया के तलवे चाटने रूपी आचरण करने लगे. जनहित क़ी बात करने वाले लालू और मुलायम का अपने निजी स्वार्थ के लिए मंहगाई कम करने के भाजपा के प्रस्ताव का विरोध पूरी तरह से जनता से विस्वासघात था, समाचार चेनलों के लिए जनता के साथ किया गया यह विस्वासघात कोई मुद्दा नहीं था, न कोई आलोचना, सिर्फ बहुत हलके ढंग से जरासी चर्चा , लेकिन गडकरी क़ी बात का कई दिनों तक दिनभर खुद द्वारा  नए नए ओछे तथा घटिया शब्दों से आलोचना तथा ऐसे ऐसे लोगो से जो खुद बदजुबानी के लिए बदनाम हे गडकरी क़ी आलोचना करने बुलाना समाचार चेनलों का अत्यंत घटिया तथा दोगला चरित्र दिखाता हे. इसमें कांग्रेश क़ी आलोचना हास्यास्पद हे, क्या  यह जुबान मोत के सोदागर कहने वाली जुबान से ज्यादा खतरनाक हे,कांग्रेश के दिग्विजयसिंह का तो थोथा चना बाजे घना की तर्ज पर शायद भाजपा, संघ, या दुसरे हिंदूवादी संगठनो को गाली देते रहना ही राजनेतिक मकसद हे, या शायद पार्टी ने उन्हें यही काम सोपा हे, हाँ वो आतंक के आरोपी मुस्लिम लोगो के घर अपनी और पार्टी सहानुभूति शायद सहयोग हो, देने जरुर जाते हें.  वेसे गडकरी का राजनेतिक वजन सोनिया गाँधी से ज्यादा ही हे, क्योंकि सोनिया गाँधी एक पारिवारिक पार्टी क़ी अध्यक्ष हे जिसमे आतंरिक लोकतंत्र बिलकुल नहीं हे, जबकि गडकरी एसी पार्टी के अध्यक्ष हे, जिसमे कोई  भी नागरिक सर्वोच्च पद तक पहुँच सकता हे, लोकतान्त्रिक रूप से अपनी बात रख सकता हे. लालू यादव तो उलजलूल बकने के माहिर हे, भाजपा को गाली देते रहना उनका समाचार चेनलों की ही तरह प्रिय विषय हे, संसद के भीतर या बाहर होहल्ला करने, चिल्ला चिल्ला कर बोलने सांसदों में गिने जाते हे, जब भाजपा की आलोचना करनी हो तो कुटिलता से हँसते हुए, फासिस्ट आदि शब्दों का भरपूर इस्तेमाल कर अनर्गल प्रलाप करते हे. लालू यादव गडकरी को संस्कार सिखाने की की बात करते हे, कान पकड़ कर माफ़ी मांगने की बात करते हें, पर उनकी पत्नी बिहार के मुख्यमंत्री तथा उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को गालिया बकती हे, तब उसे संस्कार नहीं सिखाते, संस्कार तो वो सिखा सकता हे जो खुद संस्कारी हो, जो देश में जातिवाद का जहर फैला रहा हो, अपने स्वार्थ के लिए महंगाई जेसे मुद्दे पर देश की जनता के साथ विस्वासघात कर सकता हो , उसके मुंह से गडकरी की भाषा को लेकर पूरी भाजपा, तथा संघ परिवार की आलोचना अपने आप में दुर्भाग्य पूर्ण हे,  परन्तु समाचार चेनलों के लिए यह उनकी दिनभर दिखाने वाली मनपसंद खबर हे, लालू यादव की कभी भी, कहीं भी, किसीभी विषय पर, अमर्यादित तरीके, असंसदीय शब्दों से भी की गयी  भाजपा की आलोचना को समाचार चेनल "लालू यादव ने अपने ही अंदाज में भाजपा की आलोचना की"जैसे विस्लेसनों से रस ले ले कर दिनभर प्रसारित करते हे. समाजवादी पार्टी का तो इतिहास ही अभद्रता का रहा हे, समझ में नहीं आता गडकरी के शब्दों को अभद्र बताकर उनकी आलोचना करने, या उनका पुतला जलाने वालों को उनके मुखिया मुलायम सिंह जी द्वारा मायावती के साथ किया गया अभद्र व्यवहार याद नहीं आया, शर्म की बात हे, किसी भी बात पर भाजपा की आलोचना करने के लिए कब कब के दबे पड़े मुद्दे दूंड कर लाने के उस्ताद समाचार चेनल वालों ने भी उन्हें याद नहीं दिलाया. यह भी कैसी बेशर्मी हे की मात्र दो नेताओं की कुते के आचरण से तुलना करने को उनको कुता कहने का मतलब निकाल कर भाजपा, पुरे संघ परिवार की कई दिनों की दिनभर की आलोचना का विषय बनाकर आग लगाने वाले समाचार चेनलों ने, समाजवादी पार्टी के नेता जिसने यह व्यक्तव्य दिया की झारखण्ड में किन कुतो ने सिबू सोरेन की सरकार बचाई, इसमें एक पूरी पार्टी जो संसद का प्रमुख विपक्षी दल हे, की घटिया आलोचना की , समाचार चेनलों ने मामूली सी भी आलोचना नहीं की. यह हे देश की आवाज होने का भरम पाले हमारे समाचार चेनलो का दोगला चरित्र व चेहरा. वेसे भाजपा, संघ परिवार, या कोई दूसरा हिंदूवादी संगठन ; इनका  कोई  एक व्यक्ति भी कोई गलती करता हे  तो हमारे समाचार चेनल  पुरे संगठन को बदनाम करने में अपना भरपूर श्रम लगाते हे,  जेसे भाजपा का महासचिव बनने पर उसके समर्थकों द्वारा गोलियां चलाने पर पूरी पार्टी को भारतीय बन्दुक पार्टी , पार्टी अध्यक्ष गडकरी, तथा एक किसी प्रदेश अध्यक्ष का तेज गर्मी के कारण कुछ मिनट के लिए चकर आने से बेहोश होजाने पर पूरी पार्टी को भारतीय बेहोश पार्टी जेसे संबोधनों देना, समाचार चेनलों की बेहद घटिया सोच तो ह ही, समाचार माध्यमों को मिली स्वंतंत्रता का निंदनीय दुरपयोग हे, एक दो बम धमाकों में नाम जुड़ने मात्र से हिन्दू आतंकवादी, भगवा दहसत जैसे शब्दों से पुरे हिन्दू समाज को बदनाम करने वाले समाचार चेनल जब अनगिनत आतंकवादी घटनाओ में शामिल मुस्लिम लोगो को सिर्फ आतंकवादी न की मुस्लिम आतंकवादी कहने की बात करते हे तोक्या यह  उनका दोगला , खतरनाक चेहरा नहीं  दिखाता हे,मुझे यह देख कर आश्चर्य की एक चेनल के एंकर ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंदर मोदी को रुचिका केस के आरोपी राठोर के समकक्ष ठहराया , जिस मोदी ने गुजरात को विकाश  की नयी उन्चायिया दी, गुजरात की जनता ने समाचार चेनलों, मुस्लिम परस्त लोगों के तमाम दुष्प्रचार को तमाचा मारकर जिस मोदी को तीन बार विजयी बनाया  उस  मोदी की तुलना राठोर से करने वाला सवाददाता कितना विकृत मानसिकता वाला रहा होगा, हरकोई समझ सकता हे. हमारे लिए जरुरी हे की इन समाचार चेनलों की हर खबर को माने  या नहीं अपने विवेक से  निर्णय करें फिर किसी भी व्यक्ति, या दल, और संगठन के बारे में अपनी सोच बनाये , हिंदूवादी संगठनो के बारे में समाचार देते हुए या उनके किसी सदस्य से बात करते समय इन सवंदाताओं के चहरे की कुटिल मुस्कान व हँसी भी आपको अपना निर्णय लेने में सहयोग करेगी.   

सोमवार, 10 मई 2010

हमारी जाँच एजेंसियों के बदलते कार्य

हमारे देश में किसी अपराध, गलत कार्य, धोकाधड़ी, भ्रस्टाचार, करने वालों को पकड़ने के लिए कई तरह की जाँच एजेंसियां हे, जैसे- सी. बी. आइ. प्रवर्तन निदेशालय , आयकर विभाग तथा अन्य कई जाँच एजेंसिया . ज्यादातर अपराधों में सी. बी. आइ. जाँच की मांग प्रमुखता से की जाती हे, अधिकतर सी. बी.आइ. जाँच की मांग अपराध करने वाले के विरोधी लोग या विरोधी पार्टी के लोग करते हे, उन्हें लगता हे, सी.बी. आइ. निष्पक्षता से जाँच करके अपराध को साबित कर सकेगी. आजकल तो अगर सत्तापक्ष के किसी व्यक्ति पर किसी भी तरह का कोई आरोप लगता हे तो वह खुद आरोप की सी.बी.आइ. जाँच की मांग करता हे, ह न ताज्जुब की बात. वो जानता हे की वह सत्तापक्ष की पार्टी का या उसकी सहयोगी पार्टी का हे, उसके लिए सी.बी.आइ. जाँच का मतलब अपराध की जाँच को लम्बे समय के लिए टाल देना.फिर वो अपराधी होते हुए भी बड़े गर्वे (बेशर्मी) से कहता हे, या विपक्ष को चुनोती देता की उसके विरुद्ध कोई साबुत हे तो पेश करे, सबूतों पर तो सी.बी.आइ. कुंडली मार कर बेठ जाती हे. वर्तमान में सी.बी.आइ. के तीन प्रमुख कार्य हे, १. सत्तापक्ष के अपराधी सहयोगियों को बचाना, जैसे कात्रोची को बचाया , बईमानी से भारत की जनता की हडपी रकम जिस पर पहले की सरकार ने रोक लगादी थी,न सिर्फ  ले जाने दी, बल्कि सभी अपराधो से मुक्त भी करवाया. क्योंकि वो वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी की महारानी के खास विदेशी पारिवारिक मित्र थे. हजारों सिखों के नरसंहार के दोषी जगदीश तायेतलर को बचाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाये , असली गवाहों की गवाहियाँ नहीं होने दी, तथा अदालत में उनके अपराधी नहीं होने की रिपोर्ट दी, बेहद शर्मनाक बात यह थी की सरकार का सिख प्रधान मंत्री अपने समाज के लोगो को कत्लें आम के आरोपी  को बचाने पर भी चुप बेठा रहा,ऐसे अनगिनत उधाहरण हे जिसमे सी.बी.आइ. ने सत्तापक्ष के अपराधियों को बचाने के लिए , उनके केश को कमजोर करने का कार्य किया, सबूतों को अनदेखा किया, ताकि उन्हें अदालत से छुटकारा मिल जाये, अपराधी होने के बावजूद बरी हो जाये , जहाँ सत्तापक्ष के लोगों को बचाने  के तरीके तलासने में   सी.बी.आइ.अति सक्रियता दिखाती हे, उससे कई गुना ज्यादा अति सक्रियता विपक्षी लोगो को फ़साने, उन्हें अपराधी साबित करने के लिए नए नए सबूत तलासने में लगाती हे. यंहा सी.बी.आइ. का कार्य बदल जाता हे, अगर व्यक्ति  र्किसी हिंदूवादी संगठन का , आर .अस.अस,या गुजरात तथा नरेंदर मोदी से समन्धित हो, तब सच्चाई तलासने के नाम पर सी.बी.आइ. की सक्रियता अचानक से बढ़ जाती हे, ताबड़तोड़ छापेमारी, गिरफ्तारिया , रोज  नए नए रहस्योद्घाटन, ऐसा लगता हे जेसे सी.बी.आइ. के पास यही एकमात्र काम रह गया हे. इसमें सी.बी.आइ. एक काम जरुर करती हे, सारी खोजबीन की जानकारी मिडिया को सीधे, या लीक करके, जरुर पहुंचाती हे , ताकि हिंदूवादी संगठनो, आर.अस.अस.नरेंदर मोदी, विरोधी दोगली मानसिकता वाले समाचार पत्रों तथा समाचार चेनलों को इनको बदनाम करने , इनके विरुद्ध जहर उगलने, का मोका हाथ लगे. तब ये समाचार चेनल इन समाचारों को दिन भर नए,नए विस्लेसनों से खुद चेनलवाले तथा ए़सी मानसिकता वाले को बुला कर नए नए प्रोग्राम कर कई कई दिनों तक लगातार जहर उगलते रहेंगे. हमें ऐसा कोई मामला याद ही नहीं आता की सी.बी.आइ. ने किसी मामले को हल किया हो,किसी मामले की ईमानदारी से तहकीकात कर आरोपियों को बेनकाब कर सजा तक पहुँचाया हो, हाँ यह तो अनेकों बार सुना की किसी मामले की जाँच में ढिलाई, लापरवाही,या किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिए जाँच में देरी जेसी कई घटनाओ के लिए सी.बी.आइ. को अदालत से कई बार फटकार या आलोचना सुनानी पड़ी. आजकल सी.बी.आइ. का नया और सबसे जरुरी काम हो गया हे, कांग्रेस की अल्पमत सरकार को जो भ्रस्टाचार के आरोपी नेताओं के समर्थन से चल रही हे, सी.बी.आइ. बरसों से जिनकी जाँच कर रही हे, लेकिन किसी भी जाँच को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी हे, ऐसे भ्रस्ट नेताओं का समर्थन सरकार को लगातार मिलता रहे इसकी पूरी व्यवस्था रखना. किसी भी जन विरोधी मुद्दे पर चिल्ला चिल्ला कर सरकार का विरोध करने तथा अपने को जनता का बड़ा हितेषी होने का ढोंग करने वाले लालू, मुलायम, मायावती, सिबू सोरेन जेसे नेताओ को सरकार के पक्ष में करने का कार्य भी सी.बी.आइ. बखूबी कर रही हे. महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के नाम पर संसद तथा सडकों पर चिलाने वाले, भ्रस्टाचार में आकंठ डूबे नेताओं को संसद में सरकार के विरुद्ध नजर आते ही सी.बी.आइ. इनके विरुद्ध जाँच की प्रगति के दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत करके, या प्रस्तुत करने का ढिंढोरा पीट कर जनहित के लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए सरकार का साथ देने पर मजबूर कर देती हे. वर्तमान सरकार सी.बी.आइ. का अपने मतलब के लिए बखूबी इस्तेमाल कर रही हे,  सत्ता के नशे में चूर सरकार मंहगाई से त्रस्त जनता को राहत देने की बजाय भ्रस्ट नेताओं को सी.बी.आइ. जाँच का भय दिखा कर मंहगाई कम करने के विपक्षी प्रस्ताव को नाकाम करती हे. यहाँ सी.बी.आइ. का कार्य जाँच कार्य पूरा कर अपराधियों को बेनकाब करना, या अपराधी साबित करना नहीं, बल्कि अपराधियों के मन में जाँच का भय बनाये रखना हे, या सरकार का हर गलत  कार्य में  भी सहयोग करने के इनामस्वरूप अपराधी होने पर भी अदालतों से बरी करवाना हे. ऐसे नेताओ को जनता को पहचानना होगा तथा इनके पीछे भागने की बजाय इन्हें घर या जेल में बैठाना होगा तभी देश का भला होगा . 


शनिवार, 17 अप्रैल 2010

समाचार चेनलों का गिरता स्तर. -

-ब्रकिंग न्यूज़-ब्रकिंग न्यूज़-ब्रकिंग न्यूज़. हमारे चेनल की एक्सक्लुसिव खबर, सानिया मिर्जा आज अपने होने वाले पति के साथ आइस क्रीम खाने गयी, इसे सबसे पहले हमारे संवाददाता ने देखा, हम जानते हे, अभी सारे देश की निगाहें सानिया,शोयबकी गतिविधियों पर हे, देश की पूरी जनता अपने पुरे काम छोड़ कर सिर्फ हमारे चेनल पर सानिया की पलपल की हरकतों की जानकारी पाने को बेहद उतावली हे हमारे जेसे लगभग सभी चेनल वालो ने देश की अनेकों ज्वल्लंत समस्याओं से अपना ध्यान हटाकर सानिया- शोयब की झूट और फरेब से लिपटी प्रेम कहानी को चटपटी दिनभर दिखाने वाली खबर बनाकर आपको दिखाने के लिए सानिया के घर के पास ही अपना अड्डा बना लिया हे. दिनरात गिद्ध की सी नजर सानिया के घर पर गडाए बेठे हें. देखिये देखिये, यह सानिया के कमरे का दरवाजा जरा सा खुला उसमे शोयब नजर आरहे हें, अरे यह सानिया भी दिखी, हाँ ये दोनों तो डांस की प्रेक्टिस कर रहे हे, इनको सबसे पहले हमारे संवाददाता ने देखा,ये अति विशेष  समाचार सिर्फ हमारा चेनल आपके लिए  लाया हे. अभी हम सानिया का पिच्छा करते हुए आइसक्रीम की उस दुकान पर आगये हे, जहाँ से अभीअभी सानिया- शोयब आइसक्रीम खाकर गएँ हे, हम यहाँ के वेटर से बात करते हें, हाँ तो करीम , सानिया ने कितनी आइसक्रीम मंगाई शोयब ने कोनसा फ्लेवर लिया, उनका स्वाद केसा हे, मेडम जी सानिया ने इस और शोयब ने उस फ्लेवर की आइसक्रीम खाई, उसका स्वाद तो में नहीं बता सकता क्योंकि मेरी ताकत उतनी महँगी आइसक्रीम खाने की नहीं हे, हाँ उन्होंने थोड़ी थोड़ी छोड़ दी हे वो ये कप हे, आप खुद टेस्ट करले, हाँ तो माधवी, यह वही खुसनसीब कप हे जिसमे सानिया ने आइसक्रीम खाई , अब में खा रही हूँ, बहुत टेस्टी हे, अपंने दर्शंको को बताये की सिर्फ हमारे चेनल की सवांददाता को ही यह सोभाग्य मिला हे, अभीअभी हमें विश्वस्त सूत्रों से मालूम हुवा हे, कि सानिया और शोयब के शादि के कपडे देश के बहुत महंगे डिजाइनर तेयार कर रहे हे; शोयब कि शेरवानी इतनी कीमत कि हे, सानिया कि ड्रेस तो बहु महँगी हे, हमारा काम सानिया- शोयब कि रईसी देश कि जनता को बताना हे, हम जानते हे, देश के करोडो लोगों को एक जोड़ी ढंग का छोड़ फतापुराना कपड़ा भी नसीब में नहीं हे, देश का मध्यम वर्ग भी ऐसे कपड़ो के बारे में सोच ही नहीं सकता.  पर हम भी क्या करे, पहले शोयब का झूट,और धोकेबजी,आयसा के  साथ शादि कि सच्चाई को जानते हुए भी सानिया का अपने स्वार्थ के लिए  एक झूटे पाकिस्तानी का साथ, फिर लेनदेन करके आइसा का मन जाना तथा अब रईसी का खुले प्रदर्सन का आँखों देखा विवरण जेसी खबरों को  दिनभर स्टोरी के रूप में दिखाने का मोका हमें बारबार थोड़े मिलता हे. हाँ तो मोसमी आप हमें बताएं , सानिया के घर कि सजावट कैसी हे, शोयब जिस होटल में रुके हे, क्या आपको उस कमरे तक जाने का सोभाग्य मिला हे, क्या आप शोयब कि शेरवानी देख सकी हे, शेरवानी में शोयब कितने हसीन लग रहें हे, सानिया शादि के जोड़े में कितनी सुन्दर,और हसीन लग रही हे, उनके चहरे पर कैसी मुस्कान हे, क्या आप उनके चहरे कि मुस्कान व उनके हावभाव से यह अंदाजा लगा पा रही कि दोनों शादि से कितने खुस हें.---हाँ अरुणा सानिया का घर पर शानदार सजावट हे, पूरा घर रोशनी से जगमगा रहा हे, में आपको सिर्फ बाहर कि सजावट ही दिखा सकती हूँ, हमें घर के अन्दर नहीं घुसने दिया जा रहा हे, शोयब के होटल के कमरे तक भी हमें नहीं जाने दिया जा रहा हे, पर हमारे विश्वस्त सूत्रों से हमें मालूम हुवा हे, कि कमरा बहुत आरामदायक हे जिसमे एक डबल बेड, सोफा , दो कुर्सिया, तथा ए  सी. भी लगा हे, बाथरूम में गीजर भी हे, ऐसा होटल के वेटर ने हमें अपना नाम नहीं बताने कि शर्त पर बताया हे, हमने चूँकि शोयब -सानिया कि अबतक बहुत बदनामी की हे इसलिए हमसे खास दुरी बनाकर रखी जा रही हे, हमें एक रेखाचित्र में माध्यम से पुरे देश के लोगो को जो अपना सब काम छोड़ कर सिर्फ हमारे चेनल पर इस शादि की पलपल की जानकारी पाने को अति उत्सुक हे , बताना होगा. हाँ तो मोसमी क्या आपको शादि में कोनसे खास पकवान बन रहें हे, इसकी जानकारी मिली हे, में जानती  हु शादि में शामिल होकर स्वादिस्ट पकवानों का आनंद लेने के लिए निमंत्रण पत्र जुगाड़ने की आप भरपूर कोसिस कर रहीं हे, इसके लिए पिछले दो तीन दिनों से आप सानिया- शोयब की तारीफों के पुल बांध रही हे, हाँ अरुणा मेरी कोसिस जारी हे, वेसे मेने केटरिंग वाले का पता लगा लिया हे, उससे मीनू का पता लगा लिया हे, हम लोग जब भी सानिया के घर के बाहर से कोई अन्दर, या अन्दर से कोई बाहर आताजाता हे  उसके पीछे दोड़ भाग कर अन्दर की हलचल जानने की कोसिस करते रहते हें, इनसब से मिली जानकारी से हम शादि के मीनू  का अंदाजा लगा सकें हें, वेसे अरुणा में जानती हु मेरी जगह आप यहाँ आना चाहती थी, पर यह सोभाग्य मुझे मिला, में जानती हूँ जब भी आप किसी विषय पर किसी नेता की राय मांगती हे, खासतोर पर बीजेपी, या किसी हिंदूवादी नेता का तब आप अजीब सा टेढ़ा मुंह करती हे, तथा आपके चहरे पर एक कुटिल सी मुस्कान बनी रहती हे, पर आज में देख पा रहीं हु  आपके चहरे पर   याचना के भाव साफ दिखाई दे रहें हे, इससे साफ जाहिर हे आप यहाँ आने, और शानदार दावत का मजा लेने को कितनी  उत्सुक थी. यह सब चित्रण समाचार चेनलों के गिरते स्तर का परिचायक हे, शोयब के झूट को दिनभर दिखाने, फिर उनकी तारीफों के पुल बांधने आइसक्रीम खाने जाने, शादि की ड्रेस , सजावट,  खाने के मीनू जेसी खबरों को पुरे देश के लोगो की उत्सुकता के नाम पर दिनभर दिखाना , क्या यह रास्ट्रीय स्तर के समाचार चेनलों के प्रसारण के गिरते स्तर को नहीं दर्शाता , सानिया- शोयब शादि के बाद  पहली बार सिर्फ हमारे चेनल पर इस प्रसारण के साथ दो- तीन चेनलों पर अपनी बात रख चुके हे, कोई चेनल कह रहा हे सानिया शादि के बाद भी भारत की तरफ से खेलेगी , क्या अति ग्यानी लोग यह नहीं जानते जो सानिया से नहीं पूछते की भारत की तरफ से भारतीय खेल सकते हे, एक पाकिस्तानी से शादि करके भी वो भारतीय केसे होगी. विचार हमें करना हे, अपने मतलब के लिए मनमाने विचार बदलने वाले समाचार चेनलो पर भरोसा नहीं करना हे. 

रविवार, 4 अप्रैल 2010

समाचार चेनल आइ बी एन ७ की पाकिस्तान परस्ती.

 -- आजकल लगभग सभी समाचार चेनलों पर सानिया मिर्जा, आयसा सिदकी, तथा सोएब मल्लिक छाये हुए हें. अबतक के तथ्यों, सबूतों, तथा टीवी पर दिखये जा रहे समाचारों से तो यही जाहिर  होता हे की सोएब मल्लिक ही झूठ बोल रहा हे, तथा सानिया जेसी नाम और दोलत वाली लड़की पाने के लिए आयसा को धोका दे रहा हे, यह भी लगता हे कि सानिया भी सब जानती हे, तथा अहंकार या मुर्खता वस इस धोके में शामिल हे. इस सम्बन्ध में,समाचार चेनल आइ बी एन ७ चेनल  ने एक चर्चा आयोजित कि जिसमे एक मुस्लिम महिला, एक मुस्लिम धर्मगुरु तथा एक मुस्लिम नेता को बुलाया था. चूँकि यह चेनल अपने को धर्मनिरपेक्ष मानता हे इसलिए हिंदूवादी संगठनों और दलों को अपमानित करना तथा दूसरों से करवाना इसका पहला और मनपसंद कार्य हे, शिवसेना ने सानिया मिर्जा कि एक दुश्मन देश के खिलाडी से शादी कि आलोचना कि थी, शिवसेना कि मुख्य आलोचना इस बात पर थी कि शादी के बाद सानिया भारत कि तरफ से केसे खेल सकती हे, जबकि वो पाकिस्तानी हो जाएगी. अब सानिया और पाकिस्तान कि आलोचना वोभी एक हिंदूवादी दल द्वारा, यह इस चेनल को केसे बर्दास्त होता, सोने पर सुहागा यह कि इस चेनल को बेठे बिठाये शिवसेना कि आलोचना करने और करवाने का एक और मुद्दा हाथ लग गया. फटाफट में चर्चा आयोजित हो गई, पर शिवसेना को कोसने कि इस चेनल कि सारी योजना तब धरी कि धरी रह गयी जब केवल एक महिला जिनका यह मानना था कि प्यार और दिल का महत्व ज्यादा हे, नाकि देश का, देश के मान सन्मान का, देश के गोरव तथा प्रतिस्ठा तथा करोड़ों देश वासियों कि भावनाओं का. सिर्फ इसी महिला ने सानिया के दुसमन देश के खिलाडी से शादी के निर्णय का समर्थन किया. बाकि मुस्लिम धर्म गुरु तथा मुस्लिम नेता ने सानिया के दुश्मन देश के खिलाडी से शादी कि आलोचना की, उनका कहना था, देश पहले हे, सानिया का उस देश के खिलाडी से शादि करना अनुचित हे जिसके समर्थित आतंकवादी निर्दोष भारतीओं को मार रहें हें. इस समाचार चेनल का एंकर इन दोनों की सानिया की इस तरह की आलोचना से चकरा गया, वह बोला की मेने तो सोचा था आप शिवसेना की आलोचना करेंगे, आप तो उनकी बात का ही समर्थन कर रहे हें, यह इस चेनल और उसके एंकर का कितना घिनोना और दोगला चेहरा प्रस्तुत करते हेकी जहाँ देश के मान सन्मान और गोरव के लिए विपरीत विचारों वाले मुस्लिम लोग शिवसेना की बात का समर्थन करते हे, वहीँ हिंदूवादी दलों की सही बात को भी गलत तरीके से प्रस्तुत कर उनकी आलोचना करने को एकमात्र लक्ष्य के लिए देश की गरिमा के साथ खिलवाड़ करते हे. इस पूरी चर्चा में, इस एंकर ने उस महिला को बिना बीच में बोले पूरी तरह से उसे बोलने का मोका देकर ध्यान से सुना. अपनी मन मुताबिक बात ही सुनने के आदि हो चुके एंकर महोदय शिवसेना आलोचना के लिए बुलाई गयी चर्चा में, उसकी बात का समर्थन, और सानिया तथा पाकिस्तान की आलोचना से इतने बोखला गए की जिनको बुलाया था उनकी ही आलोचना करने लगे, तथा जनता उनकी बात नहीं सुन सके, जब भी वो बोलते ये एंकर महोदय भी उनके साथ उनके बराबर बोलना सुरु कर देते. इसके अगले दिन दुसरे कार्य क्रम मुद्दा में दुसरे एंकर भी इसी तरह की हरकतें करते नजर  आये, जब भी कोई इनके मनमुताबिक बात से विपरीत बोलता या पाकिस्तान की आलोचना करता  ये महाशय उसको अपनी बात पूरी नहीं करने देते, उसकी बात के बीच में ही जोरजोर से बोलने लगते या उसकी बात पूरी होने से पहले ही दुसरे से सवाल करने लगते. जिन धर्मगुरु को पहले बुलाया था उनको इसमें भी बुलाया तथा एक सवाल के जबाब में इन्होने पाकिस्तान की आलोचना की , एंकर जी को यह बर्दास्त नहीं हुवा. उन्होंने सियासी बात कह कर बीच में तुरंत इनसे माएक हटा लिया तथा बाद में पूरी चर्चा में दुबारा उन्हें बोलने का मोका ही नहीं दिया. हालाँकि अब टीवी के ज्यादातर दर्शक इन समाचार चेनलों की हिंदूवादी संगठनों तथा दलों की ही आलोचना की दोगली तालिबानी मानसिकता समझने लगें हे, पर अभी भी बहुतों को समझने की जरुरत हे, इसी से देश का भला होगा. 

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

पाकिस्तान परस्तों के हाथों भारत कि हार

पाकिस्तान परस्तों के हाथों भारत कि हार.
------------------------------------------
भारत आज फिरसे पाकिस्तान परस्तों के हाथों हर गया हे, देशप्रेम नहीं मजहब प्रेम दिखाते हुए हमारे कट्टर दुश्मन देश पाकिस्तान के खिलाडियो के प्रति प्रेम के शाहरुख़


खान के प्रदर्शन का शिवसेना के विरोध का पाकिस्तान परस्त समाचार चेनलों, चंद फ़िल्मी कलाकारों , भारत का खाकर पाकिस्तान का गुणगान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बेहद घटिया स्तर के विरोध से भारत माता बेहद शर्मिंदा हुयी होगी , साथ ही प्रत्येक देशभक्त भारतवासी का सर भी शर्म से झुक गया होगा. शाहरुख़ खान हिट बाल ठाकरे प्लॉप , खान की जीत ठाकरे की हार जेसे ओछे विस्लेसनों से बाल ठाकरे को जम कर गाली देने वाले समाचार चेनलों ने बाल ठाकरे को नहीं हराया हे, बल्कि बेहद घिनोनी पाकिस्तान परस्ती से भारत देश को हराया ह, दुश्मन देश के सामने भारत को शर्मिंदा किया हे. पाकिस्तान आज बेहद खुस होगा , उसे शाहरुख़ जैसा पाकिस्तान प्रेमी तो मिला ही, इस हंगामे के बहाने समाचार चेनलों, चंद सामाजिक कार्यकर्ताओं, गिनेचुने फ़िल्मी कलाकारों, पाकिस्तान की तरफ से भारत में भेजी मुसीबत के समय चूहों की तरह बिल में छुपे रहने वाले,देश की जनता की सुरक्षा करने में असमर्थ कांग्रेसी नेताओं का पाकिस्तान प्रेम देखने को मिला. देश के समाचार चेनलों का पाकिस्तान प्रेम का बेहद खोफनाक चेहरा हमने कुछ समय पहले भी देखा था, मुंबई हमले के समय नागरिकों को बचाने की जारही कमांडो कार्यवाही का पलपल का आँखों देखा हाल दिखाकर समाचार चेनल आतंकवादियों के आकाओं की भरपूर मदद कर रहे थे, जनता मर रही थी, चेनल वाले अपने पाकिस्तान प्रेम में मस्त थे. पाकिस्तान का खुश होना सही भी हे, वो जानता हे कि वो चाहे भारत में कितना ही आतंक फेलाए, निर्दोस भारतीओं को मारे, नकली नोट भेज कर भारत की अर्थ व्यवस्था चोपट करने में लगा रहे, उसके देश में भारत समर्थक कोई न हो, वह अपने यंहा भारत के कलाकारों को पैसा कमाने न आने दे, उसे भारतीओं का विरोध नहीं झेलना पड़ेगा, क्योंकि कोई भी धरमनिर्पेक्षता नाम पर मुस्लिम परस्ती करने वाले दल तो इसका विरोध करंगे नहीं, जोभी कोई हिन्दुओं के हितों की बात भी सोचने वाले दल या संगठन इसका विरोध करेंगे तो पाकिस्तान प्रेमी राजनेतिक दल, मुस्लिम्परस्त सामाजिक संगठन और सबसे बढचढ कर बेहद पाकिस्तान प्रेमी समाचार चेनल अत्यंत घटिया स्तर पर गिर कर शब्दों की मर्यादा को भूल कर गुंडे, तालिबानी, जैसे शब्दों से भरपूर आलोचना, में दिनरात एक कर देंगे. व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसे अपनी बात कहने का मोका दिए बिना, या अगर वो व्यक्ति हे भी तो वो अगर अपनी बात से चेनल के लोगो की झूठ की पोल खोलता हे तब ये संवाददाता उसकी बात के बीच में ही चीखचीख कर अपना मनमाना भासन सुरु कर देंगे. वेसे यह भी समझ नहीं आया कि एक फिल्म को रिलीज करने के लिए, पाकिस्तान प्रेमी शाहरुख़ के लिए प्रेम दिखाने पूरी कांग्रेश कि पूरी सरकार लग गयी हो, शिवसेनिकों को रोकने जबरस्त पुलीशबल लगा दिया हो, सारे समाचार चेनलों में शाहरुख़ कि बिरुदावली गाने कि होड़ लगी हो कि कोन खान का ज्यादा से ज्यादा गुणगान कर अपने को खान से बड़ा पाकिस्तान प्रेमी साबित करता हे, कांग्रेश के मंत्री अपने समर्थकों के साथ फिल्म देखने जाने से अगर कुछ सिनेमा हाल भर जाते हे, तो यह महारास्ट्र कि जनता का बाल ठाकरे को नकारना केसे हो गया, यह तो वेसा ही जेसे कुछ टी वि पर दिखने कि लालसा पाले चंद छुटभये लोगों को इकठ्ठा कर समाचार चेनलों का अपनी मनमाफिक बात कहलवाकर उसे जनता कि आवाज होने का झूठा प्रचार करना, ' पाकिस्तान प्रेम प्रदर्शित कर देश कि जनता माफ़ी मांगने से इंकार करने वाले अहंकारी शाहरुख़ खान को सर पर चढाने वाले , उनके गुणगान कि देश के लगभग सभी समाचार चेनलों में होड़ क्यों मची, क्या इसके ये कारण हो सकते हे, क्या समाचार चेनलो कि हिंदूवादी दलों, संगठनों को गाली देते रहने कि भावना इतनी प्रबल हे, कि वो किसी विषय कि गहराई में जाये बगेर सिर्फ इनको ही हर बात का अपराधी साबित करने अपने प्रसारण साधन के एकाधिकार का जम कर दुरपयोग करते हे, या फिर अपने को अति ग्यानी समझने का भरम पाले ये समाचार चेनल वाले शाहरुख़ का अपनी फिल्म का मुफ्त प्रचार करवाने कि चाल में फंस कर उसके हाथ कि कठपुतली बन नाच रहे थे. कई बार ऐसा भी सुना हे, कि कुछ टी वि चेनल या अखबार वाले पैसे लेकर भी समाचार प्रसारित करतें हे, पुराने ज़माने में भांड होते थे, जो राजाओं या सेठों कि बिरुदावली गाकर उनसे इनाम पाते थे, समाचार चेनल वालों ने शाहरुख़ कि ऐसी बिरुदावली गायी कि मन में यह उलझन तथा शंका हो रही हे कि कहीं इनको बिरदावली का इनाम एडवांस तो नहीं मिल गया. आतंकवादियो के हातों नागरिकों कि सुरक्षा में अक्षम सरकार शाहरुख़ और उसकी फिल्म कि सुरक्षा में इतनी जबरदस्त मुस्तेद है, जितनी मुस्तेदी से वह आतंकी अफजल गुरु, व कसाब कि सुरक्षा कर रही हे, चाहे अफजल को मोत कि सजा मिली हो. कांग्रेश कि सरकार भारतीय सेना के हाथों हारे पाकिस्तान से वार्ता कि मेज तथा कुटनीतिक वार्ता में हमेशा हारती रही हे, भारत सरकार बेहद शर्मनाक तरीके से यह स्वीकार करती हे, कि पाकिस्तान में गड़बड़ी में भारत का हाथ हे, पता नहीं किस दबाव तथा लालच में जनता को धोका देकर पाकिस्तान से फिर बात शुरू करने कि कोशिश कर रही हे, तथा पाकिस्तान भागे आतंकवादिओं को भारत बुला कर उनका स्वागत करने कि बात करती हे. यह धरमनिर्पेक्षता हे या मुस्लिम परस्ती, आप निर्णय करें, यह भी गहराई से सोचें कि शाहरुख़ हंगामे में खान ने ठाकरे को हराया हे, या पाकिस्तान प्रेमी कांग्रेश सरकार, समाचार चेनलों,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत देश को ''-----