सोमवार, 10 मई 2010

हमारी जाँच एजेंसियों के बदलते कार्य

हमारे देश में किसी अपराध, गलत कार्य, धोकाधड़ी, भ्रस्टाचार, करने वालों को पकड़ने के लिए कई तरह की जाँच एजेंसियां हे, जैसे- सी. बी. आइ. प्रवर्तन निदेशालय , आयकर विभाग तथा अन्य कई जाँच एजेंसिया . ज्यादातर अपराधों में सी. बी. आइ. जाँच की मांग प्रमुखता से की जाती हे, अधिकतर सी. बी.आइ. जाँच की मांग अपराध करने वाले के विरोधी लोग या विरोधी पार्टी के लोग करते हे, उन्हें लगता हे, सी.बी. आइ. निष्पक्षता से जाँच करके अपराध को साबित कर सकेगी. आजकल तो अगर सत्तापक्ष के किसी व्यक्ति पर किसी भी तरह का कोई आरोप लगता हे तो वह खुद आरोप की सी.बी.आइ. जाँच की मांग करता हे, ह न ताज्जुब की बात. वो जानता हे की वह सत्तापक्ष की पार्टी का या उसकी सहयोगी पार्टी का हे, उसके लिए सी.बी.आइ. जाँच का मतलब अपराध की जाँच को लम्बे समय के लिए टाल देना.फिर वो अपराधी होते हुए भी बड़े गर्वे (बेशर्मी) से कहता हे, या विपक्ष को चुनोती देता की उसके विरुद्ध कोई साबुत हे तो पेश करे, सबूतों पर तो सी.बी.आइ. कुंडली मार कर बेठ जाती हे. वर्तमान में सी.बी.आइ. के तीन प्रमुख कार्य हे, १. सत्तापक्ष के अपराधी सहयोगियों को बचाना, जैसे कात्रोची को बचाया , बईमानी से भारत की जनता की हडपी रकम जिस पर पहले की सरकार ने रोक लगादी थी,न सिर्फ  ले जाने दी, बल्कि सभी अपराधो से मुक्त भी करवाया. क्योंकि वो वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी की महारानी के खास विदेशी पारिवारिक मित्र थे. हजारों सिखों के नरसंहार के दोषी जगदीश तायेतलर को बचाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाये , असली गवाहों की गवाहियाँ नहीं होने दी, तथा अदालत में उनके अपराधी नहीं होने की रिपोर्ट दी, बेहद शर्मनाक बात यह थी की सरकार का सिख प्रधान मंत्री अपने समाज के लोगो को कत्लें आम के आरोपी  को बचाने पर भी चुप बेठा रहा,ऐसे अनगिनत उधाहरण हे जिसमे सी.बी.आइ. ने सत्तापक्ष के अपराधियों को बचाने के लिए , उनके केश को कमजोर करने का कार्य किया, सबूतों को अनदेखा किया, ताकि उन्हें अदालत से छुटकारा मिल जाये, अपराधी होने के बावजूद बरी हो जाये , जहाँ सत्तापक्ष के लोगों को बचाने  के तरीके तलासने में   सी.बी.आइ.अति सक्रियता दिखाती हे, उससे कई गुना ज्यादा अति सक्रियता विपक्षी लोगो को फ़साने, उन्हें अपराधी साबित करने के लिए नए नए सबूत तलासने में लगाती हे. यंहा सी.बी.आइ. का कार्य बदल जाता हे, अगर व्यक्ति  र्किसी हिंदूवादी संगठन का , आर .अस.अस,या गुजरात तथा नरेंदर मोदी से समन्धित हो, तब सच्चाई तलासने के नाम पर सी.बी.आइ. की सक्रियता अचानक से बढ़ जाती हे, ताबड़तोड़ छापेमारी, गिरफ्तारिया , रोज  नए नए रहस्योद्घाटन, ऐसा लगता हे जेसे सी.बी.आइ. के पास यही एकमात्र काम रह गया हे. इसमें सी.बी.आइ. एक काम जरुर करती हे, सारी खोजबीन की जानकारी मिडिया को सीधे, या लीक करके, जरुर पहुंचाती हे , ताकि हिंदूवादी संगठनो, आर.अस.अस.नरेंदर मोदी, विरोधी दोगली मानसिकता वाले समाचार पत्रों तथा समाचार चेनलों को इनको बदनाम करने , इनके विरुद्ध जहर उगलने, का मोका हाथ लगे. तब ये समाचार चेनल इन समाचारों को दिन भर नए,नए विस्लेसनों से खुद चेनलवाले तथा ए़सी मानसिकता वाले को बुला कर नए नए प्रोग्राम कर कई कई दिनों तक लगातार जहर उगलते रहेंगे. हमें ऐसा कोई मामला याद ही नहीं आता की सी.बी.आइ. ने किसी मामले को हल किया हो,किसी मामले की ईमानदारी से तहकीकात कर आरोपियों को बेनकाब कर सजा तक पहुँचाया हो, हाँ यह तो अनेकों बार सुना की किसी मामले की जाँच में ढिलाई, लापरवाही,या किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिए जाँच में देरी जेसी कई घटनाओ के लिए सी.बी.आइ. को अदालत से कई बार फटकार या आलोचना सुनानी पड़ी. आजकल सी.बी.आइ. का नया और सबसे जरुरी काम हो गया हे, कांग्रेस की अल्पमत सरकार को जो भ्रस्टाचार के आरोपी नेताओं के समर्थन से चल रही हे, सी.बी.आइ. बरसों से जिनकी जाँच कर रही हे, लेकिन किसी भी जाँच को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी हे, ऐसे भ्रस्ट नेताओं का समर्थन सरकार को लगातार मिलता रहे इसकी पूरी व्यवस्था रखना. किसी भी जन विरोधी मुद्दे पर चिल्ला चिल्ला कर सरकार का विरोध करने तथा अपने को जनता का बड़ा हितेषी होने का ढोंग करने वाले लालू, मुलायम, मायावती, सिबू सोरेन जेसे नेताओ को सरकार के पक्ष में करने का कार्य भी सी.बी.आइ. बखूबी कर रही हे. महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के नाम पर संसद तथा सडकों पर चिलाने वाले, भ्रस्टाचार में आकंठ डूबे नेताओं को संसद में सरकार के विरुद्ध नजर आते ही सी.बी.आइ. इनके विरुद्ध जाँच की प्रगति के दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत करके, या प्रस्तुत करने का ढिंढोरा पीट कर जनहित के लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए सरकार का साथ देने पर मजबूर कर देती हे. वर्तमान सरकार सी.बी.आइ. का अपने मतलब के लिए बखूबी इस्तेमाल कर रही हे,  सत्ता के नशे में चूर सरकार मंहगाई से त्रस्त जनता को राहत देने की बजाय भ्रस्ट नेताओं को सी.बी.आइ. जाँच का भय दिखा कर मंहगाई कम करने के विपक्षी प्रस्ताव को नाकाम करती हे. यहाँ सी.बी.आइ. का कार्य जाँच कार्य पूरा कर अपराधियों को बेनकाब करना, या अपराधी साबित करना नहीं, बल्कि अपराधियों के मन में जाँच का भय बनाये रखना हे, या सरकार का हर गलत  कार्य में  भी सहयोग करने के इनामस्वरूप अपराधी होने पर भी अदालतों से बरी करवाना हे. ऐसे नेताओ को जनता को पहचानना होगा तथा इनके पीछे भागने की बजाय इन्हें घर या जेल में बैठाना होगा तभी देश का भला होगा . 


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