बुधवार, 15 मई 2013

महारानी जी के बली के बकरे

महारानी जी बड़ी भाग्यशाली हे, उनकी व राजकुमार की  तमाम नाकामियों ,बदनामियों तथा उनपर, उनके परिवार या उनकी पार्टी  पर अनवरत लगते जा रहे  भ्रस्टाचार के आरोपों से तारतार व दागदार  होती जा रही छवि से उनको ,राजकुमार को बचाने नए बलि के बकरे ढूंढ़ कर उनकी बलि चढ़ाकर महारानी जी की छवि चमकाने के प्रयास जोर शोर से चालू हे, महारानी जी को कुछ बोलने की जरुरत ही नहीं हे, उनके चरणों में लुटने को तैयार बेठे चारण टाइप पार्टी के नेता, अयोग्य होते हुए भी उनके आशीर्वाद से मंत्री व अन्य पद पाकर अपने को धन्य समझने वाले लोग, उनकी शान में बिरुदावली गाने वाले कई समाचार चेनल व उनके एंकर रेल घोटालेमें हुयी बदनामी,  व कोयला घोटाले की रिपोर्ट में छेड़ छाड़ पर मिली सुप्रीम कोर्ट की जबरदस्त लताड़ से दागदार हुयी  उनकी छवि को धोने चमकाने में लग गए हे. इसके लिए इन यह जानते हुए भी की महारानी जी की पार्टी में उनकी मर्जी या जानकारी के बिना किसी की ओकात छोटे मोटे निर्णय करने की नहीं हे, फिर इतने बड़े कांड तो महारानी जी की जानकारी,शायद  सहमती भी,  के बिना कोई कर ही नहीं सकता, महारानी जी को बदनामी से बचाने छोटे वजीरों को बलि का बकरा बना उनके पद की बलि ले ली गयी, सारी बदनामी का ठीकरा मुख्य वजीर के सर फोड़ कर पार्टी के चापलूस नेता व महारानी की शान में कसीदे पढ़ते हुए समाचार चेनलों के सवाददाता इस तरह प्रसारित कर रहे हे, महारानी जी  अपनी पार्टी में भ्रष्टाचार बिलकुल बर्दास्त नहीं करती हे, वो खुद चलकर मुख्य वजीर के घर आई और दागी वजीरों को हटाने का अनुरोध किया , और तुरंत दागी वजीरों को हटा दिया गया , वो वजीर यह कहते रहे की वो त्यागपत्र क्यों दे,  क्या सिर्फ उनकी ही गलती हे, उन्होंने तो केवल मुख्य वजीर पर लग रहे घोटालों के आरोपों से उनकी , पार्टी की , व महारानी जी की हो सकने वाली बदनामी बचाने , उनकी व महारानी जी की जनता में ईमानदार व साफ सुथरी छवि की पोल खुलने से बचाने के लिए ही ऐसा गेर क़ानूनी कार्य किया था , फिर उनको ही बलि का बकरा क्यों बनाया जा रहा हे, यह भी प्रचारित किया गया कि  महारानी तो चाहती थी की भ्रष्ट वजीर हटे , पर मुख्य वजीर उनको बचा रहे थे, बेचारे मासूम और भोले या चापलूस व बिकाऊ संवाददाता, क्या नहीं जानते की महारानी जी आगे मुख्य वजीर की क्या ओकात की वो किसी को भी बचाए या हटाये .

       महारानी जी गदगद हे, आपसी अंतर्कलह,अपने अहंकार के लिए बचों की तरह जिद करने,  व एक दुसरे को निचा दिखाने में पार्टी की साख को दाँव पर लगा  मटियामेट करने में महारत हासिल कर चुकी, बार बार मार  खा कर भी नहीं सुधरने का रिकार्ड बना रहे प्रमुख विपक्षी पार्टी से दक्षिण के राज्य की सत्ता छीन कर अपनी सत्ता कायम करने से खुश हे,विपक्षी दल के इन्ही कारणों से मिली जीत को पार्टी के नेता चापलूसी के नए कीर्तिमान बनाने के लिए इस जीत को महारानी व युवराज का करिश्मा,उनके विचारों की जीत,जेसी नयी नयी उपमाओं से सजाकर महारानी व युवराज के गुणगान में बावले हो रहे हे, महारानी जी की बदरंग छवि को धोने का एक साबुन जो मिल गया हे. जैसे किसी भी प्रदेश में पार्टी की हार से उजागर युवराज की नाकामी से उनको बचाने के लिए हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर बलि का बकरा बनने की ,परन्तु कहीं भी किसी भी कारण , किसी की भी मेहनत से मिली जीत का श्रेय राजकुमार या महारानी को देने होड़  पार्टी नेताओं में लग जाती हे, ठीक वेसे ही देश की जनता के धन की लूट के अनगिनत आरोपों से महारानी को बचाने के लिए,महारानी को खुश कर उनके आशीर्वाद पाने की होड़ में  ये महारानी के इशारे पर हर अनेतिक, गेर क़ानूनी काम करने को तत्पर रहते हे, जहां महारानी की इच्छा तथा सहमती की बिना कोई साँस भी नहीं ले सकता, वंहा ये दरबारी किसी काम में सफलता मिले वह महारानी का करिश्मा, उनकी लोकप्रियता में वृधि के रूप में जोर शोर से प्रचारित करते हे, परन्तु जब  किसी अनेतिक काम में महारानी की इज्जत मिटटी में मिलती दिखे तो उस काम की बदनामी का पूरा ठीकरा अपने सर फोड़ने यानी  बलि का बकरा बनने की, या कोई बनने को कोई तैयार न हो उसे जबरदस्ती बनाने की   पार्टी में पुरानी परम्परा रही हे.   
        महारानी जी आजकल बहुत समझदार हो गयी हे अपने से बुजुर्ग, राजनीति में माहिर,  अधिक ज्ञानी व समझदार दरबारियो की चापलूसी, महारानी के आशीर्वाद पाने को हमेशा लालायित व उतावले लोगो , तथा विपरीत विचारो के समर्थक दलों के  लालची नेताओ के सहयोग से अपनी सरकार चलाना अच्छीतरह जान  गयी हे.   अपनी सरकार को बचाने दूसरी पार्टी की लोगो को पैसे से खरिदने का कार्य होता  हे, किसी को सरकारी जाँच एजेंसी से जाँच की धमकी दिलवा कर अपनी गिरती सरकार बचाने उनका समर्थन हासिल किया जाता  हे, परन्तु पोल खुलने पर तमाम दरबारी इसकी सारी जिम्मेदारी अपने या दुसरे पर डाल कर महारानी को पाक साफ साबित करने में पूरी उर्जा लगा देते हे, अपने सहयोगी मिडिया के सहयोग से यह प्रचारित करने में लग जाते हे, कि महारानी को इसकी कोई जानकारी नहीं थी,इस घटना से महारानी नाराज हे, इसके लिए मुख्य वजीर या सम्बंधित वजीर जिम्मेदार हे, कोई समाचार चेनल का संवाददाता यह नहीं पूछता की महारानी की जानकारी या सहमती के बिना यह सब करने की उसकी हिम्मत थी .महारानी अपने विदेशी मित्रों का भारत की जनता का बेईमानी व दलाली से लुटा विदेशी बेंको में रखा धन जिस पर पहले की सरकार ने निकालने पर क़ानूनी रोक लगा दी थी, अपने चाकर मंत्रिओं से  उसके विदेशी बेंको पर लगीं रोक हटवा कर उन्हें वो भारत का धन अपने देश ले जाने देती हे, कानून विभाग का मंत्री इसकी सारी  जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर  महारानी की छवि को दागदार होने से बचाने जी जान से लग जाता हे. महारानी देवी की तरह अपने दरबारी भक्त को आशीर्वाद देती हे, और विदेशियों से आशीर्वाद पाकर अपने को धन्य समझने वाले मंत्रीजी गदगद हो जाते हे।   
      महारानी जी की पार्टी को विदेशी तानाशाहों से तेल की दलाली से अपार धन कमाया ,तेल का यह खेल वर्षों चला,  जनता की आँखों में धूल झोंककर महारानी के आज्ञापलक दरबारी गेरकानुनी रूप से अथाह धन कमाते हे, परन्तु एक दिन बेईमानी का घड़ा फूटता हे सारा राज जनता के सामने खुल गया  हे,महारानी जी तनिक भी चिंतित नहीं हे, उनके चेहरे की रहस्यमयी मुस्कान कायम हे,महारानी जानती हे की उसके  सभी चापलूस दरबारी महारानी की चिथड़े चिथड़े होती इज्जत बचने के लिए सम्बंधित मंत्री को बलि का बकरा बना उसकी  बलि चढाने में जुट जाते हे, अपने पद की बलि चढाने से बचाने बकरा खूब उछल कूद मचाता हे, पर महारानी को बचाने  हर अनेतिक कार्य का जिम्मा अपने ऊपर लेने को तत्पर दरबारियो की भीड़ के आगे बेचारे की क्या ओकात आखिर जाना ही पडा . दरबारी अपने लिए पक्षपाती समाचार चेनलों के मार्फ़त महारानी को इस पूरी घटना से मासूम व  अनजान बता  उन्हें नेतिकता की देवी साबित करने को  अपना अहोभाग्य  समझ सुख अनुभव करते हे.कुछ दिन पूर्व  महारानी जी के दामाद पर घोटालों के दाग लगे, गेर क़ानूनी रूप से अथाह धन सम्पति हड़पने के आरोप लगे तो जेसे महारानी की पार्टी में भूचाल ही आगया,महारानी जी बिलकुल परेशान नहीं हे, लगभग पूरी की पूरी पार्टी के बड़े पद वाले वजीर से लेकर छुटभैये नेता तक सारे कामकाज छोड़ महारानी के दामाद को आरोपों से बेगुनाह साबित करने, महारानी जी की मिट्टी में मिलती इज्जत बचाने के एकमात्र कम में जोरशोर से लग गये हे,,पहले बिना जाँच के ही महारानी के हुकम के बन्दे  बड़े बड़े वजीर बिना जाँच के ही उन्हें निर्दोष घोषित कर देते हे, बलि का बकरा ढूंढने के कवायद शुरू हो गयी  हे,देश की जनता को गुमराह करने  तुरंत जाँच बेठा दी जाती हे, जिस देश में किसी भी छोटी सी जाँच में ही जहाँ महीनो, वर्षों लग जाते हे, बहुत जल्दी दामाद को निर्दोष साबित करने वाली  जाँच रिपोर्ट आ जाती हे, महारानी जी के दामाद के गेरकानुनी कार्यों की जाँच  का आदेश देने वाले ईमानदार सरकारी अफसर को पद से हटा दिया जाता हे, 
   लगातार गुणगानो से चापलूस दरबारियो ने जनता में महारानी की छवि इस तरह की बना दी हे की देश की सह्रदय व भोली जनता महारानी के ढोंग भी को भी त्याग समझ लेती हे, पहले गेरकानुनी रूप कई पदों  पर आसीन महारानी जी जब कानून के फंदे में फंसने लगी और मज़बूरी में पद त्याग करना पड़ा , उस पद त्याग को महारानी के दरबारियो ने महान त्याग के रूप में जोर शोर से प्रचारित कराया, जिसमे महारानी जी की चारण गिरी में दरबारियो को भी मात  करते हुए अपने को महाज्ञानी होने के दंभ भरने वाले चन्द समाचार चेनलों व उनके संवाददाता उन्हें त्याग की देवी साबित करने पूरा सहयोग दिया तथा हर समाचार को निष्पक्षता से दिखने के अपने पत्रकारिता धर्म के साथ गद्दारी की। 
  देश की जनता की जल्दी भूलने की बीमारी व मुखोटों के पीछे के असली घ्रणित चेहरो को पहचानने की क्षमता होने की अति आवश्यकता हे, देश को बर्बादी से बचाने गरीबी मंहगाई व भ्रस्टाचार मी महामारी से बचाने के लिए यही एक रास्ता हे , जनता जबतक ऐसे ढोंगियो को पहचान कर सत्ता से बाहर  नहीं करेगी लुटती,पिटती, मरती रहेगी, जेसे कि  किसी गलत बात का विरोध करने पर  अहंकारी सत्ता पक्ष के लोग पुलिस के सहयोग से जनता के साथ करते हे.