शनिवार, 15 मई 2010

गडकरी के पीछे पड़े भोंकने वाले कुते --

आजकल गडकरी जी के पीछे बहुत से भोंकने वाले कुत्ते पड़े हे. गडकरी जी के पुरे संबोधन में एक लाइन लेकर समाचार चेनल वालों ने पहले बात का बतंगड़ बनाया , भाजपा के लिए जहर उगलने के अपने मनपसंद कार्य के तहत पहले छोटी चिंगारी को आग बनाया, फिर इस आग में कई लोगों को पेट्रोल ड़ाल ने के लिए उकसाया फिर पुरे देश में आग को भड़काया. वेसे किसी भी बात का मनमाना मतलब निकाल कर भाजपा के लिए दुष्प्रचार करने में समाचार चेनल हरदम मोके की ताक में रहतें हें, अभी के संबोधन में गडकरी ने एक उदाहरण के रूप में एक बात कही थी कि लालूजी और मुलायम सिंह जी जो मंहगाई को कम करने के लिए कांग्रेश सरकार को शेर क़ी तरह ललकार कहे थे, ज्योंही सरकार ने सी.बी.आइ. का डर दिखाया, कुते क़ी तरह कांग्रेश और सोनिया के तलवे चाटने लगे. वास्तव में गडकरी जी ने लालू और मुलायम को कुता नहीं कहा था, वो सिर्फ उस आचरण का जिक्र कर रहे थे, जो लालू और मुलायम ने किया, जैसे  कुता हड्डी के लालच में भोंकना भूल मालिक के तलवे चाटने लग जाता हे, वेसे ही लालू और मुलायम जी सरकार क़ी सी.बी.आइ. का केश कमजोर करने रूपी हड्डी को देखते ही कुते क़ी तरह सरकार और सोनिया के तलवे चाटने रूपी आचरण करने लगे. जनहित क़ी बात करने वाले लालू और मुलायम का अपने निजी स्वार्थ के लिए मंहगाई कम करने के भाजपा के प्रस्ताव का विरोध पूरी तरह से जनता से विस्वासघात था, समाचार चेनलों के लिए जनता के साथ किया गया यह विस्वासघात कोई मुद्दा नहीं था, न कोई आलोचना, सिर्फ बहुत हलके ढंग से जरासी चर्चा , लेकिन गडकरी क़ी बात का कई दिनों तक दिनभर खुद द्वारा  नए नए ओछे तथा घटिया शब्दों से आलोचना तथा ऐसे ऐसे लोगो से जो खुद बदजुबानी के लिए बदनाम हे गडकरी क़ी आलोचना करने बुलाना समाचार चेनलों का अत्यंत घटिया तथा दोगला चरित्र दिखाता हे. इसमें कांग्रेश क़ी आलोचना हास्यास्पद हे, क्या  यह जुबान मोत के सोदागर कहने वाली जुबान से ज्यादा खतरनाक हे,कांग्रेश के दिग्विजयसिंह का तो थोथा चना बाजे घना की तर्ज पर शायद भाजपा, संघ, या दुसरे हिंदूवादी संगठनो को गाली देते रहना ही राजनेतिक मकसद हे, या शायद पार्टी ने उन्हें यही काम सोपा हे, हाँ वो आतंक के आरोपी मुस्लिम लोगो के घर अपनी और पार्टी सहानुभूति शायद सहयोग हो, देने जरुर जाते हें.  वेसे गडकरी का राजनेतिक वजन सोनिया गाँधी से ज्यादा ही हे, क्योंकि सोनिया गाँधी एक पारिवारिक पार्टी क़ी अध्यक्ष हे जिसमे आतंरिक लोकतंत्र बिलकुल नहीं हे, जबकि गडकरी एसी पार्टी के अध्यक्ष हे, जिसमे कोई  भी नागरिक सर्वोच्च पद तक पहुँच सकता हे, लोकतान्त्रिक रूप से अपनी बात रख सकता हे. लालू यादव तो उलजलूल बकने के माहिर हे, भाजपा को गाली देते रहना उनका समाचार चेनलों की ही तरह प्रिय विषय हे, संसद के भीतर या बाहर होहल्ला करने, चिल्ला चिल्ला कर बोलने सांसदों में गिने जाते हे, जब भाजपा की आलोचना करनी हो तो कुटिलता से हँसते हुए, फासिस्ट आदि शब्दों का भरपूर इस्तेमाल कर अनर्गल प्रलाप करते हे. लालू यादव गडकरी को संस्कार सिखाने की की बात करते हे, कान पकड़ कर माफ़ी मांगने की बात करते हें, पर उनकी पत्नी बिहार के मुख्यमंत्री तथा उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को गालिया बकती हे, तब उसे संस्कार नहीं सिखाते, संस्कार तो वो सिखा सकता हे जो खुद संस्कारी हो, जो देश में जातिवाद का जहर फैला रहा हो, अपने स्वार्थ के लिए महंगाई जेसे मुद्दे पर देश की जनता के साथ विस्वासघात कर सकता हो , उसके मुंह से गडकरी की भाषा को लेकर पूरी भाजपा, तथा संघ परिवार की आलोचना अपने आप में दुर्भाग्य पूर्ण हे,  परन्तु समाचार चेनलों के लिए यह उनकी दिनभर दिखाने वाली मनपसंद खबर हे, लालू यादव की कभी भी, कहीं भी, किसीभी विषय पर, अमर्यादित तरीके, असंसदीय शब्दों से भी की गयी  भाजपा की आलोचना को समाचार चेनल "लालू यादव ने अपने ही अंदाज में भाजपा की आलोचना की"जैसे विस्लेसनों से रस ले ले कर दिनभर प्रसारित करते हे. समाजवादी पार्टी का तो इतिहास ही अभद्रता का रहा हे, समझ में नहीं आता गडकरी के शब्दों को अभद्र बताकर उनकी आलोचना करने, या उनका पुतला जलाने वालों को उनके मुखिया मुलायम सिंह जी द्वारा मायावती के साथ किया गया अभद्र व्यवहार याद नहीं आया, शर्म की बात हे, किसी भी बात पर भाजपा की आलोचना करने के लिए कब कब के दबे पड़े मुद्दे दूंड कर लाने के उस्ताद समाचार चेनल वालों ने भी उन्हें याद नहीं दिलाया. यह भी कैसी बेशर्मी हे की मात्र दो नेताओं की कुते के आचरण से तुलना करने को उनको कुता कहने का मतलब निकाल कर भाजपा, पुरे संघ परिवार की कई दिनों की दिनभर की आलोचना का विषय बनाकर आग लगाने वाले समाचार चेनलों ने, समाजवादी पार्टी के नेता जिसने यह व्यक्तव्य दिया की झारखण्ड में किन कुतो ने सिबू सोरेन की सरकार बचाई, इसमें एक पूरी पार्टी जो संसद का प्रमुख विपक्षी दल हे, की घटिया आलोचना की , समाचार चेनलों ने मामूली सी भी आलोचना नहीं की. यह हे देश की आवाज होने का भरम पाले हमारे समाचार चेनलो का दोगला चरित्र व चेहरा. वेसे भाजपा, संघ परिवार, या कोई दूसरा हिंदूवादी संगठन ; इनका  कोई  एक व्यक्ति भी कोई गलती करता हे  तो हमारे समाचार चेनल  पुरे संगठन को बदनाम करने में अपना भरपूर श्रम लगाते हे,  जेसे भाजपा का महासचिव बनने पर उसके समर्थकों द्वारा गोलियां चलाने पर पूरी पार्टी को भारतीय बन्दुक पार्टी , पार्टी अध्यक्ष गडकरी, तथा एक किसी प्रदेश अध्यक्ष का तेज गर्मी के कारण कुछ मिनट के लिए चकर आने से बेहोश होजाने पर पूरी पार्टी को भारतीय बेहोश पार्टी जेसे संबोधनों देना, समाचार चेनलों की बेहद घटिया सोच तो ह ही, समाचार माध्यमों को मिली स्वंतंत्रता का निंदनीय दुरपयोग हे, एक दो बम धमाकों में नाम जुड़ने मात्र से हिन्दू आतंकवादी, भगवा दहसत जैसे शब्दों से पुरे हिन्दू समाज को बदनाम करने वाले समाचार चेनल जब अनगिनत आतंकवादी घटनाओ में शामिल मुस्लिम लोगो को सिर्फ आतंकवादी न की मुस्लिम आतंकवादी कहने की बात करते हे तोक्या यह  उनका दोगला , खतरनाक चेहरा नहीं  दिखाता हे,मुझे यह देख कर आश्चर्य की एक चेनल के एंकर ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंदर मोदी को रुचिका केस के आरोपी राठोर के समकक्ष ठहराया , जिस मोदी ने गुजरात को विकाश  की नयी उन्चायिया दी, गुजरात की जनता ने समाचार चेनलों, मुस्लिम परस्त लोगों के तमाम दुष्प्रचार को तमाचा मारकर जिस मोदी को तीन बार विजयी बनाया  उस  मोदी की तुलना राठोर से करने वाला सवाददाता कितना विकृत मानसिकता वाला रहा होगा, हरकोई समझ सकता हे. हमारे लिए जरुरी हे की इन समाचार चेनलों की हर खबर को माने  या नहीं अपने विवेक से  निर्णय करें फिर किसी भी व्यक्ति, या दल, और संगठन के बारे में अपनी सोच बनाये , हिंदूवादी संगठनो के बारे में समाचार देते हुए या उनके किसी सदस्य से बात करते समय इन सवंदाताओं के चहरे की कुटिल मुस्कान व हँसी भी आपको अपना निर्णय लेने में सहयोग करेगी.   

सोमवार, 10 मई 2010

हमारी जाँच एजेंसियों के बदलते कार्य

हमारे देश में किसी अपराध, गलत कार्य, धोकाधड़ी, भ्रस्टाचार, करने वालों को पकड़ने के लिए कई तरह की जाँच एजेंसियां हे, जैसे- सी. बी. आइ. प्रवर्तन निदेशालय , आयकर विभाग तथा अन्य कई जाँच एजेंसिया . ज्यादातर अपराधों में सी. बी. आइ. जाँच की मांग प्रमुखता से की जाती हे, अधिकतर सी. बी.आइ. जाँच की मांग अपराध करने वाले के विरोधी लोग या विरोधी पार्टी के लोग करते हे, उन्हें लगता हे, सी.बी. आइ. निष्पक्षता से जाँच करके अपराध को साबित कर सकेगी. आजकल तो अगर सत्तापक्ष के किसी व्यक्ति पर किसी भी तरह का कोई आरोप लगता हे तो वह खुद आरोप की सी.बी.आइ. जाँच की मांग करता हे, ह न ताज्जुब की बात. वो जानता हे की वह सत्तापक्ष की पार्टी का या उसकी सहयोगी पार्टी का हे, उसके लिए सी.बी.आइ. जाँच का मतलब अपराध की जाँच को लम्बे समय के लिए टाल देना.फिर वो अपराधी होते हुए भी बड़े गर्वे (बेशर्मी) से कहता हे, या विपक्ष को चुनोती देता की उसके विरुद्ध कोई साबुत हे तो पेश करे, सबूतों पर तो सी.बी.आइ. कुंडली मार कर बेठ जाती हे. वर्तमान में सी.बी.आइ. के तीन प्रमुख कार्य हे, १. सत्तापक्ष के अपराधी सहयोगियों को बचाना, जैसे कात्रोची को बचाया , बईमानी से भारत की जनता की हडपी रकम जिस पर पहले की सरकार ने रोक लगादी थी,न सिर्फ  ले जाने दी, बल्कि सभी अपराधो से मुक्त भी करवाया. क्योंकि वो वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी की महारानी के खास विदेशी पारिवारिक मित्र थे. हजारों सिखों के नरसंहार के दोषी जगदीश तायेतलर को बचाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाये , असली गवाहों की गवाहियाँ नहीं होने दी, तथा अदालत में उनके अपराधी नहीं होने की रिपोर्ट दी, बेहद शर्मनाक बात यह थी की सरकार का सिख प्रधान मंत्री अपने समाज के लोगो को कत्लें आम के आरोपी  को बचाने पर भी चुप बेठा रहा,ऐसे अनगिनत उधाहरण हे जिसमे सी.बी.आइ. ने सत्तापक्ष के अपराधियों को बचाने के लिए , उनके केश को कमजोर करने का कार्य किया, सबूतों को अनदेखा किया, ताकि उन्हें अदालत से छुटकारा मिल जाये, अपराधी होने के बावजूद बरी हो जाये , जहाँ सत्तापक्ष के लोगों को बचाने  के तरीके तलासने में   सी.बी.आइ.अति सक्रियता दिखाती हे, उससे कई गुना ज्यादा अति सक्रियता विपक्षी लोगो को फ़साने, उन्हें अपराधी साबित करने के लिए नए नए सबूत तलासने में लगाती हे. यंहा सी.बी.आइ. का कार्य बदल जाता हे, अगर व्यक्ति  र्किसी हिंदूवादी संगठन का , आर .अस.अस,या गुजरात तथा नरेंदर मोदी से समन्धित हो, तब सच्चाई तलासने के नाम पर सी.बी.आइ. की सक्रियता अचानक से बढ़ जाती हे, ताबड़तोड़ छापेमारी, गिरफ्तारिया , रोज  नए नए रहस्योद्घाटन, ऐसा लगता हे जेसे सी.बी.आइ. के पास यही एकमात्र काम रह गया हे. इसमें सी.बी.आइ. एक काम जरुर करती हे, सारी खोजबीन की जानकारी मिडिया को सीधे, या लीक करके, जरुर पहुंचाती हे , ताकि हिंदूवादी संगठनो, आर.अस.अस.नरेंदर मोदी, विरोधी दोगली मानसिकता वाले समाचार पत्रों तथा समाचार चेनलों को इनको बदनाम करने , इनके विरुद्ध जहर उगलने, का मोका हाथ लगे. तब ये समाचार चेनल इन समाचारों को दिन भर नए,नए विस्लेसनों से खुद चेनलवाले तथा ए़सी मानसिकता वाले को बुला कर नए नए प्रोग्राम कर कई कई दिनों तक लगातार जहर उगलते रहेंगे. हमें ऐसा कोई मामला याद ही नहीं आता की सी.बी.आइ. ने किसी मामले को हल किया हो,किसी मामले की ईमानदारी से तहकीकात कर आरोपियों को बेनकाब कर सजा तक पहुँचाया हो, हाँ यह तो अनेकों बार सुना की किसी मामले की जाँच में ढिलाई, लापरवाही,या किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिए जाँच में देरी जेसी कई घटनाओ के लिए सी.बी.आइ. को अदालत से कई बार फटकार या आलोचना सुनानी पड़ी. आजकल सी.बी.आइ. का नया और सबसे जरुरी काम हो गया हे, कांग्रेस की अल्पमत सरकार को जो भ्रस्टाचार के आरोपी नेताओं के समर्थन से चल रही हे, सी.बी.आइ. बरसों से जिनकी जाँच कर रही हे, लेकिन किसी भी जाँच को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी हे, ऐसे भ्रस्ट नेताओं का समर्थन सरकार को लगातार मिलता रहे इसकी पूरी व्यवस्था रखना. किसी भी जन विरोधी मुद्दे पर चिल्ला चिल्ला कर सरकार का विरोध करने तथा अपने को जनता का बड़ा हितेषी होने का ढोंग करने वाले लालू, मुलायम, मायावती, सिबू सोरेन जेसे नेताओ को सरकार के पक्ष में करने का कार्य भी सी.बी.आइ. बखूबी कर रही हे. महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के नाम पर संसद तथा सडकों पर चिलाने वाले, भ्रस्टाचार में आकंठ डूबे नेताओं को संसद में सरकार के विरुद्ध नजर आते ही सी.बी.आइ. इनके विरुद्ध जाँच की प्रगति के दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत करके, या प्रस्तुत करने का ढिंढोरा पीट कर जनहित के लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए सरकार का साथ देने पर मजबूर कर देती हे. वर्तमान सरकार सी.बी.आइ. का अपने मतलब के लिए बखूबी इस्तेमाल कर रही हे,  सत्ता के नशे में चूर सरकार मंहगाई से त्रस्त जनता को राहत देने की बजाय भ्रस्ट नेताओं को सी.बी.आइ. जाँच का भय दिखा कर मंहगाई कम करने के विपक्षी प्रस्ताव को नाकाम करती हे. यहाँ सी.बी.आइ. का कार्य जाँच कार्य पूरा कर अपराधियों को बेनकाब करना, या अपराधी साबित करना नहीं, बल्कि अपराधियों के मन में जाँच का भय बनाये रखना हे, या सरकार का हर गलत  कार्य में  भी सहयोग करने के इनामस्वरूप अपराधी होने पर भी अदालतों से बरी करवाना हे. ऐसे नेताओ को जनता को पहचानना होगा तथा इनके पीछे भागने की बजाय इन्हें घर या जेल में बैठाना होगा तभी देश का भला होगा .