मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

कमजोर प्रधानमंत्री की विसेस्ताए

आजकल हमारे प्रधानमंत्रीजी देश को यह बताने में अपना पुरा श्रम लगा रहे हे किवो कमजोर प्रधानमंत्री नही हें ,तथा विपक्षी नेता को कमजोर साबित कराने में जी जानसे जुटे हे, ऐसालगता हे जेसे किसीने उनकी दुखती रगपर हाथ रख दिया हो , या कोई उनकी पोल खोल रहा हो । इस काममें उनकी पार्टी कि महारानी व् युवराज भी अपने हर भासन में उनके कमजोर न होने कि दुहाई दे रहें हे। यंहा हम उनकी शारीरिक कमजोरी कि नही बल्कि उनकी निर्णय लेने कि स्वतंत्रता , तथा अपनी बात मनवाने कि क्षमता , पार्टी में उनकी कितनी चलती हे इसके बारे में बात कर रहे हे । सबसे पहले भारत कि जनता के बारे में उनकी सोच के बारे में बात करेंगे । अंग्रेंजों के राज में जो लोग अंग्रेजो कि चापलूसी करते थे अंग्रेज उन्हें सर,रायबहादुर आदि उपधिया दिया करते थे ,एसतरह के लोग बाकि भारतियो को जाहिल , गंवार मानते थे, मनमोहन सिंघजी हे उस ज़माने के ,। कुछ साल पहले इंग्लैंड गए तब अंग्रेजों के राज कि तारीफ कि भारतीय जनता को जाहिल गंवार बताया , बदले में सर कि उपाधि पाई । विदेश में भारत कि इज्जत धूल में मिला दी , शायद कमजोर दिमाक के कारन यह भूल गए होंगे कि वो अंग्रेंजों के नोकर नहीं बल्कि आजाद भारत के प्रधानमंत्री हें। इस बारें में पत्रकारों कि खामोसी बेहद शर्मनाक हें , जो बीजेपी तथा हिंदुत्व वादी संगठनो के बरसो पुराने मामूली मामलों को आक्रामक तरीके से प्रचारित करता हें। मनमोहन सिंघजी कहतें हे में चुप रहता हूँ , ज्यादा बोलना या जोर से बोलना ही बहादुरी नहीं हे। बिल्कुल सही, आपके सिख बंधुओं के नरसंहार के आरोपी लोगों को आपकी पार्टी ने लोकसभा का टिकेट दिया ,आप चुप रहे , क्योंकि निर्णय आपकी महारानी का था , यही तो आपकी बहादुरी का सबूत हें। इन आरोपियों को सीबीआई से क्लीन चित दिलाई गई,आप चुप रहे,आप के सिख बंधुओं नेजिन्होने कांग्रेसियो द्वारा किए गए नरसंहार में अपनों को मरते देखा था, उन्होंने प्रदर्शन किए आप चुप रहे, ये सब आपके कमजोर होने के सबूत हें या नहीं आप जानते हें। आपके राज के दोरान सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएँ हुई , आपके गृहमंत्री शिवराज पाटिल लापरवाह और कमजोर गृहमंत्री कहे जाने लगे ,अपनी हर आलोचना,तथा हटाये जानें कि मांग पर उनका एक ही जबाब होता कि जब तक उन्हें सोनियाजी का आशीर्वाद हे उन्हें कोई नहीं हटा सकता , अनगिनत देशवासियों कि जान जाने पर भी सोनिया जी के आशीर्वाद के कारन आप उन्हें नहीं हटा सके यह आपके कमजोर होने का सबूत हें। आप प्रधानमंत्री हें फ़िर भी आपके मंत्रिमंडल में कुछ भी संकट हो , कोई मंत्री शामिल करना हो, हटाना हो, कोई मुख्यमंत्री बदलना हो , हमने तो आजतक यही सुना हें कि सारा फेसला सोनिया गाँधी पर छोड़ दिया , कभी नही सुना कि कोई फेसला प्रधानमंत्री पर छोड़ा गया हो। यह भी आपकी कमजोरी ही दर्शाता हें। अमेरिका से परमाणु समझोते के समय आपकी सोच देस हित से ज्यादा अमेरिका हित कि ज्यादा लग रही थी , हो सकता हे मेरी यह बात पुरी सही न हो, परन्तु अपनी सरकार तथा कुर्सी बचाने में आपकी जोड़तोड़, किसीको मंत्री ,किसीको मुख्यमंत्री बनाने का लालच देना, अपराधियो आदि से समर्थन कि जी तोड़ कोसिस , कंही पेसे का लालच भी हो सकता हें, आश्चर्य तो तब हुवा कि आपने लोकसभा के स्पीकर को ऐसा क्या दिया कि जीवनभर कम्न्युसत रहे सोमनाथ भी आपकी भासा बोलने लगे,केवल आपके पुरे कार्यकाल में यही एक घटना लगती हें जिसमे आप कमजोर नहीं लगते, पर इसमे लोकसभा शर्मसार हुयी । आप कमजोर हें या सक्षम , आप आदेश देने वालें हें या मानने वाले यह निर्णय देश कि जनता पर।

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