शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

कब जागेगा हिंदू स्वाभिमान

आजकल जबसे मालेगांव बम विस्पोटो में कुछ हिंदू लोगों पर आरोप लगे हे , देश के सभी धर्मनिरपेक्ष (सही मतलब धर्मविहीन) दलोंतथा अपने को निष्पक्ष माननेकी गलतफहमी पले मिडिया ने एकनया शब्द बनाया "हिंदू आतंकवाद "। पहले हुए ज्यादातर विस्पोटों में मुस्लिम लोग ही आरोपी साबित हुए थे तब इन्हीं दलों तथा समाचार चेनलो मुस्लिम आतंकवाद शब्द पर आपति थी , उनका कहना था की आतंकवादी का कोई धर्म नही होता , आतंकवादी केवल आतंकवादी हे , यह बेहद शर्मनाक हे मात्र एक घटना जिसमें कुछ साबित होने से पहले ही अपने को धर्मनिरपेक्ष मानने वाले दलों तथा पत्रकारों ने हिंदू आतंकवाद जेसे शब्द को न केवल उछाला, बल्कि हिंदू संगठनो , हिंदू समाज को बदनाम करनी का बेहद आक्रामक घटिया स्तरका लंबा अभियान चलाया जो आजतक जारी हें। हिंदू शंकराचार्य की केवल मात्र गिरफतारी पर,कुछ भी साबित होने से पहले ही बेहद निम्न स्तर अभियान शंकराचार्य बहुत बड़े अपराधी हों। एक समानित और बुजुर्ग सन्यासी के अपमान पर भी हिंदू समाज चुप रहा जबकि हैदराबाद में बम विस्पोतों के आरोपी को छुडाने मुस्लिम पुरसों तथा महिलाओं ने पुलिस आयुक्त के कार्यालय पर हमला बोल दिया। मिडिया के लिए यह बहुत मामूली घटना थी। हिंदू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने वाले बदमिजाज चित्रकार को मिडिया महान कहता हे, परन्तु अपने भगवान् के अपमान से नाराज कोई हिंदू व्यक्ति या संगठन इसके विरोध में कोई प्रदर्शन या तोड़फोड़ करता हे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कहकर उन्हें तालिबानी, हुद्रंगी ; आदि शब्दों के संबोधन से बदनाम करने का आक्रामक अभियान चलाता हे , देश का बाकि हिंदू समाज चुप रहता हे, वहीं डेनमार्क में खुदा का कार्टून बनने पर देश का मुस्लिम समाज देशभर में हिंसात्मक आन्दोलन करते हें , पुरे देश में भय का वातावरण बनते हे, तथाकथित बुद्धिजीवी, निष्पक्षता का दावा करने वाले पत्रकारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के झूठे दावे मुस्लिमों के भय, या सांप्रदायिक कहे जाने के भय से गायब हो जातें हे बल्कि वो हुद्रंग की आलोचना करने की बजाय धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कहकर कार्टून बनाने वाले की अलोचाने करतें हें। मेंगलोर में शराबखाने में युवा लडके लड़कियों को शराब पिने से रोकने में हुयी मारपीट मेंएक हिंदू संगठन के शामिल होने से मिडिया व कांग्रेस सहित धर्मनिरपेक्ष मानानेवाले दलों ने इस तरह प्रचारित किया मानो इसमें बीजेपी , तथा आर, अस, अस, - जेसे सभी हिंदूवादी संगठनों की साजिस हो , हमला कराने वालों को, हिन्दुओ को अपमानित करने में इस्तेमाल करने वाले अपने मनपसंद शब्दों जेसे तालिबानी, हुद्रंगी, खोफानक , तथा हिंदू संस्कृति की रक्षा के ठेकेदार बता कर अपमानित किया । एसा लगा जेसे समाचार चेनलों वाले हिंदू संस्कृति को समाप्त करने वालों को बचाने वाले ठेकदार हों। या शिक्षा पानें की उमर की लड़के, लड़कियों में शराब का जहर फैलाने वालों के एजेंट। बाबरी मस्जिद गिराने को जिसमे एक भी मुस्लिम नही मरा परन्तु उसकी प्रतिक्रिया में मुंबई में कराये गए बम विस्पोतों में सेंकडों हिंदू मरे परन्तु हमारे धर्मनिरपेक्ष दल तथा मिडिया वाले बम कांड से ज्यादा डरावनी घटना बाबरी मस्जिद गिराने को बताकर हिन्दुओं को बदनाम कराने में पुरा श्रम करते हें। इसके विपरीत गोधरा में ट्रेन में हिन्दुओ को जलने की साजिस को मात्र एक दुर्घटना , उसकी प्रतिक्रिया में हुए गुजरात दंगो को अत्यंत खतरनाक तथा आक्रामक तरीके से वर्षों बीतने पर भी धर्मनिरपेक्ष दल मुस्लिम समाज को भयभीत रख वोट के लिए देश को भुलाने नहीं देते तथा मिडिया वाले हिंदू संगठनों को बदनाम करने के अपने खास पसंदीदा कार्य के तहत बार बार विसेस रूप से चुनाव के वक्त चित्रों सहित दंगों की खबरें प्रसारित करतें हें कंधमाल में एक वृद्ध सन्यासी की हत्या पर मिडिया तथा धर्मनिरपेक्ष दल खामोस रहतें हें परन्तु उसकी प्रतिक्रिया में को हुवा उसे रास्ट्रीय शर्म कहते हें केवल इसलिए की हत्या का शिकार साधू हिंदू था तथा मारने का आरोप इसाइयों पर था, जबकि बाद के दंगों में इसाइयों के मरने की बात थी। हिंदू समाज फ़िर भी सोता रहा। हमें अपने पवित्रतम तीर्थ तक जाने के लिए थोडी सी जमीं के लिए महीनो संघर्ष करना पड़ता हे, चंद हिंदू विरोधियो के सामने धर्मनिरपेक्ष दल घुटने टेक देतें हें, यह आन्दोलन केवल जम्मू के लोगों का नहीं बल्कि नब्बे करोड़ हिन्दुओ का था परन्तु अफ़सोस की बात हे देश के हिन्दुओ का स्वाभिमान नहीं जगा जम्मू के हिन्दुओ के समर्थन में कहीं पदर्शन नहीं हुए जबकि इसी देश में मुस्लिमो को हज के लिए धन दिया जाता हें। देश के धर्मनिरपेक्ष दल सिमी को तो सामाजिक संगठन कहते हें, जबकि आर -अस-अस-तथा वि -एच -पि को आतंकवादी संगठन कहते हें, बार बार सुनते हे किसी कंपनी ने चप्पलों पर, किसीने अधोवस्त्रों पर हिंदू देवताओं के चित्र बना दिए,मुठ्ठी भर लोग विदेशों में रहने वाले भारतीय विरोध करतें हें। देश में कहीं चर्चा नहीं होती। क्या आपने सोचा हे हिन्दुओ पर ही बार बार हमला क्यों होता हें, क्यों बार बार हिन्दुओ को अपमानित किया जाता हें, सदियों से हिंदू मारा जाता रहा हा, हमारे पर होने वाले हर हमले के बाद हमसे शांत रहने की अपील की जाती हें। कहतें हे हिंदू सहनशील हे , क्या यह वाकई में सहनशीलता हे, एक दो बार के हमलों पर चुप रहना तो सहनशीलता हो सकती हे,पर बार बार हमले होने पर भी चुप रहना केवल कायरता हे। हम क्यों कायर हुवे, क्यों हम हमारे हर अपमान पर चुप रहते हें, कहने को तो हम देश की कुल जनसँख्या का ८५% हें परन्तु फिर भी उपेक्षित हें क्योंकि हम संगठित नही हे। हमारे हित की बात करने वाहे दलों, तथा संगठनों को सांप्रदायिक कह कर अपमानित किया जाता हें, अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों ने हमें जाती, संप्रदाय, क्षेत्र अदि के आधार पर न केवल बांटा बल्कि लड़ाया भी। आज हम बिखरे हुए लकडी के उन टुकडों की तरह हें , जिन्हें कोई भी तोड़ सकता हें, पर हमें वो लकडियों का गठ्ठर बनना हे जिसे कोई तोड़ने की सोच भी नहीं सके बल्कि अगर किसी तोरने वाले के ऊपर गिरे तो उसका कचूमर निकल दे। आज हमें राम कथा सुनाने वाले ज्यादातर संत, महात्मा हमें राम के बाल रूप,पिता के वचन के लिए सब कुछ त्याग करने, लक्षमण भरत के भात्र प्रेम कीकथा सुना कर भावविभोर तो करतें परन्तु हमें राम का वह रूप भी आपनना हे जहाँ राम ने माता सीता के अपमान का बदला लेने के लिए वानरों और भालुओं को संगठित कर उनकी सेना बनाकर रावन को नेस्तनाबूद कर दिया था, आज देश में चारों और अनगिनत रावन फेलें हुवें हें,क्या उन्हें मिटाने आप फ़िर किसी राम के अवतार लेने का इंतजार करेंगे, नही अब आपके ख़ुद के राम बनने का समय हें , हमें ख़ुद ही रावनो का संहार करना हें। ,में एक कविता से अपनी बात कहना चाहूँगा. , ख़ुद बन जायें राम __ नही करें इंतजार और अब, फिर से होंगे प्रकट राम , देश में फेले अनगिनत रावन , उन्हें मिटाने ख़ुद बन जायें राम १। । राम ने लिया अवतार धरा पर , पर रहें नहीं भगवान् बनकर , कर्म किए कष्टों को झेला , रहे हमेशां मानव बनकर। २। दुःख - सुख तो आते जाते हे , दुख्नो से क्यूँ घबरातें हें , दुख्नों से लरे अपने बल पर, भगवन को क्यूँ बुलाते हें। ३। सहते हें सब जुल्म अत्याचार, नहीं करते सामना बने रहते लाचार , नहीं करते कर्म , बस करते इंतजार , कभी तो लेंगे भगवन अवतार। ४। राम तो थे विष्णु के अवतार , उनकी शक्ति थी अपरम्पार , रावन को मार सकतें थे अयोध्या से, नहीं थी लंका जाने की दार कार। ५। हमको कर्म करना सिखाना था, वीरो की तरह लड़ना सिखाना था, नहीं करें इंतजार चमत्कार का, ख़ुद अपनी रक्षा का संकल्प जगाना था। ६। क्रूर अपूर्व बलशाली राक्षाशों को , मायावी शक्तिधारी , वरदानी असुरों को, साधारण वानरों भालुओ ने जीता, आत्मबल , संगठन, सहयोग से जीता। ७। आज हम हें स्वार्थी व कायर, अपनें लिए ही जीते मरते हें, एकता और संगठन नहीं बनातें , छोटे छोटे राक्षसों से डरतें हें। ८। संगठन में शक्ति हें, बल हें, संगठन से पैदा होता आत्मबल हें, मर सकतें हें भ्रष्टों अप्राधिओं को, हम सब में इतना दमख़म हें। ९। राम को न खोजो मंदिरों में , राम तो कण कण में हे, अपने मन के रावन को निकालों , राम हम सब के मन में हें। १०। -_________। अपनी शक्ति को पहचाने जो हमारी एकता में हें हिंदू एकता में हमारा स्वभिमान्हें, किसीभी अन्याय व अपमान पर पुरे देश में संगठित होकर खड़े हों।

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