बुधवार, 6 नवंबर 2013

युवराज का गुस्सा


\आज युवराज बहुत गुस्से में है,चेहरा तमतमा रहा है,बारबार बांहें चढ़ा रहें है,बांहे हर बार फिर निचे उतर आती है,शायद युवराज भी ऐसा ही चाहतें है,चहरे में इतनी भावशुन्यता है की प्रचंड गुस्से के बाद भी किसी को समझ नहीं आरहा है कि युवराज गुस्से में है,इसलिए बारबार बाहें चढ़ाकर युवराज सबको अपने जबरदस्त गुस्से में होने का आभास दिला रहें है,युवराज के आसपास उनके वजीर बहुत सहमे हुए है,किसी के मुंह से बोल नहीं निकल रहे है,सब युवराज के गुस्से के कारण का अनुमान लगाने में अपनी पूरी समझ झोंक दे रहे है,एकबार पहले भी युवराज दुसरे पक्ष के लकिन अपने समर्थक दल के प्रमुख की किसी बात पर सार्वजनिक सभा में अपने गुस्से का प्रकटन किया था,जब जनता उनके भावशुन्य चहरे से यह समझ नहीं पाई की उनको गुस्सा आरहा है,तब उन्होंने ऐसे ही बाहे चढ़ा कर तथा जिस बात पर गुस्सा था उस पेपर को फाड़ कर जनता में यह साबित किया था कि जनता यह माने की उन्हें गुस्सा आरहा है, पर अब के गुस्से को उनके चारण रूपी वजीर समझ नहीं पा रहे थ इस बार न तो उनके किसी समर्थक दल ने तथा न विरोधी दल ने ऐसा कोई काम किया था की उनको गुस्सा आये,उनके प्रमुख वजीर तो अपनी सरकार को कमजोर मान विदेशी सरकार के मुखिया से उनकी मनमानी शर्तों पर अपनी घुटने टेकू प्रवृति के अनुसार कुछ मांगने गए थे। देश में उनके दुसरे वजीर तो यह जानते थे,की उनके दल के चाहे कोई छोटे टटपूंजीये नेता हो या बड़े वजीर उनके देश की जनता को लुटने वाले कांड हो या सरकारी धन या जमीन हड़पने की बात युवराज को कभी गुस्सा नहीं आया। उनके वजीर यह भी जानते है की युवराज को तब भी कभी गुस्सा नहीं आया जब उनकी पार्टी के लोगो ने सहयोगी पार्टी के लोगो के साथ देश के खजाने की लूट की थी,उनके प्रमुख वजीर के कार्यकाल में जब देश के प्रमुख संसाधन कोयला की जम कर लूट हुयी थी,युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया  था जब उनके जीजाजी ने बहुत कम समय में बड़े हेरान करने वाले तरीके से अरबों की दोलत जमा कर की थी, सहमे से दिख रहे युवराज के वजीर गंभीरता से चिंतन करके भी युवराज के गुस्से का कारण समझ नहीं पा  रहे थे, युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया था जब पडोसी देश के भेजे आतंकवादियों ने  हमारे देश के प्रमुख शहर में कत्लेआम मचा दिया था,युवराज को गुस्सा तब भी नहीं आया था जब उसी देश के सैनिकों ने हमारे देश के सेनिकों को मार कर उनका सर काट अपने साथ ले गए ,उसके बाद भी धोके से हमला कर हमारे सेनिकों को मार दिया ,हमारे देश में घुसपेट की तब भी युवराज को गुस्सा नहीं आया,उन्होंने न उसदेश के प्रति अपना गुस्सा दिखाया ,न अपने सेनिकों के प्रति कोई संवेदना ,न अपने प्रमुख वजीर को उनको सबक सिखाने को प्रेरित किया ,न उनसे बातचीत करने को रोका ,बल्कि तब भी गुस्सा नहीं किया जब उसदेश के वजीरो की हमारे देश के वजीर शानदार दावत देकर मेहमान नवाजी का फर्ज निभा रहे थे,देश के सेनिकों व देश की जनता के प्रति उनका क्या फर्ज है उनको मालूम न हो ऐसा तो नही होगा,पर शायद देश की जनता को धोका देना ही उनका फर्ज है सब वजीर मानते है,पर युवराज को गुस्सा नहीं आया। 
  काफी सोचने के बाद भी युवराज के गुस्से का कारण किसी को समझ नहीं आरहा था, वो जानते थे युवराज को गुस्सा तब भी नहीं आया  जब एक दूसरे पडोसी की सेना जब मन हो कई कई किलोमीटर हमारे देश की सीमा में घुस आयी थी,,अपने टेन्ट गाड कई दिनों तक पड़ी रही ,अपने बेनर लगा कर वो क्षेत्र उनका बताकर हमें वो जगह खाली कर जाने को धमकाती है, कायर रक्षा मंत्री जनता को मुर्ख मान ज्यादा चिंतित नहीं होने की बात कहते है,इस घुस्पेट को मामूली मान सेनिको को हाथ बांध लाचारी की भूमिका में लादेतें है,बेशर्मी या कायरता की हद कि उस देश का आदेश मान  अपने ही सेनिकों को अपनी सरजमीं से पीछे हटने का आदेश देते है, युवराज को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। 
  युवराज का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था,बारबार बाहें चढाने की गति बढती जा रही थी,किसी को कुछ समझ नहीं आरहा था,सब जानते थे की युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया था जब उनकी पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के सहयोग से अपराधियों को चुनाव लड़कर देश के सभी  राज्यों के सरकारी वजीर बनने का रास्ता साफ करने का कानून बनाया था,जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपराध की सजा पाए लोगो को चुनाव लड़ने से रोकने का कानून बनाया था,तब युवराज की पार्टी के लोगो ने सजायाप्ता लोगों के प्रति  अपना विशेस प्रेम दिखाते हुए उनके मंत्रिपद को बचाने,सबसे बड़ी अदालत के निर्णय को समाप्त करने,अदालत के निर्णय के ऊपर अपना मनमाना निर्णय थोपनेअध्यादेश लाया था,तब भी युवराज को गुस्सा नहीं आया।  
 तभी अचानक गुस्से में तमतमाते युवराज जब  उनकी पार्टी के लोग समाचार चेनलों के युवराज के गुणगाता अपने मित्रो को कुछ बता रहे थे अचानक प्रकट हुए ऒर लगभग पूरी बाहें चढ़ा,चहरे पर जबरदस्ती से गुस्से के भाव ला उनकी पार्टी के, उनकी जानकारी में लाये,उनके प्रमुख वजीर की अवमानना कर उस अध्यादेश को बकवास बताया ,उसे फाड़ कर कचरे के डब्बे में फेंकने को कहा, अब सबको उनके गुस्से का कारण समझ आया ,देश के राष्ट्र प्रमुख ने  उस अध्यादेश को गलत मान  दस्तख़त करने से इंकार कर युवराज के कुछ वजीरों से सवाल किये थे, युवराज का गुस्सा वाजिब था जिस राष्ट्र प्रमुख को उनकी ही पार्टी ने बनाया था,कुछ समय पहले  तक वो ही व्यक्ति युवराज के सामने नतमस्तक होकर युवराज की हर आज्ञा को मानने में गर्व महसूस करता था ,युवराज का आदेश मानना अपना सोभाग्य मानता था,आज वही व्यक्ति महारानी व युवराज की जानकारी व सहमती से बनाये अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने को मना कर रहा था,उसके वजीरों को बुला सवाल कर रहा था।  युवराज के वफादार वजीरों ने युवराज को इस बेइज्जती को अपने पक्ष में जनता का हिमायती साबित करने का रास्ता बताया ,अध्यादेश को बकवास बता कचरे में फेंकने लायक बताने की सलाह दी,युवराज ने वैसा ही किया,युवराज के वफादार कुछ समाचार चेनलों ने भी अपनी वफ़ादारी साबित करने का पूरा प्रयास किया , सरकार द्वारा अध्यादेश वापिस लेने श्रेय राष्ट्र प्रमुख या विरोधी पक्ष के विरोध को नहीं बल्कि युवराज को  होने का जबरदस्त प्रचार किया ,जनता को हमेशा की तरह फिर से  नासमझ मानने की अपनी पुरानी आदत का नमूना पेश किया।  


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