बुधवार, 7 नवंबर 2018

कब बदलेगा भारत का भाग्य
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माता लक्ष्मी के मन मे अजीब सी हलचल थी, भारत के हालात देख कर कुछ आश्चर्यचकित तथा परेशान सी थी, जिस उत्साह के साथ वो भारत भूमि पर यहां की जनता की हालत देखने आयी थी वो पूरी तरह से दुख और क्षोभ में बदल गया था, चार साल पहले नारद मुनि ने भारत भ्रमण कर यहां के नये शासक के बारे में बताया था कि किस तरह वो जनता के अपार प्यार और समर्थन से सत्ता में आया था पूरा देश सुखद आश्चर्य में था। जिस तरह के लुभावने वादे उसने भारत की जनता से किये थे उससे भारत की जनता विशेष रूप से बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय में आजादी के बाद पहली बार यह आशा बंधी थी कि यह नया शाशक जरूर ऐसा कुछ करेगा जिससे उनका मान सन्मान बढ़ाएगा।कुछ ऐसा तो करेगा जो केवल उनके लिए होगा, क्योंकि अब तक तो भारत की जनता यही समझती आयी थी कि सभी सरकारें केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लिये ही सबकुछ कर रही है, जिसमे भी केवल मुस्लिमों,ईसाई को ही विशेष महत्व देती है ऐसे अल्पसंख्यक समुदाय जो हिन्दू धर्म से वास्ता रखते हैं जैसे जैन सिख जैसे समुदाय जो वास्तव में अल्पसंख्यक है उनकी भावनाओं, उनके अधिकारों से किसी भी सरकार का अबतक कोई मतलब नहीं रहा था,वोटों के लालची नेता और पार्टियां मुस्लिमों, ईसाईयों के एकमुश्त वोट के लिये बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय की भावनाओं, उनके अधिकारों,उनके मान सन्मान से हमेशा खिलवाड़ करती रही है, उनका अपमान करती रही है,
भारत के नये शाशक के बारे में जैसे समाचार नारद मुनि से माता लक्ष्मी की मिले थे, माता लक्ष्मी को यह पक्का भरोसा था कि जिन भगवान राम के लंका विजय के उपरांत अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है,जिसमे मुख्य रूप से उनकी ही पूजा की जाती है उन भगवान श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण में अब तक कि सरकारों ने मुस्लिम परस्ती के कारण जो बाधाएं खड़ी कर रखी थी नये शाशक ने वो सभी बाधाएं दूर कर दी होगी, तथा भगवान राम की जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण शुरू हो गया होगा, तथा वो भी भगवान राम के वास्तविक जन्मस्थान के मंदिर में प्रभु राम वास्तविक में विष्णु दर्शन करेंगी।
माता लक्ष्मी को यह भी आशा थी कि नये शाशक ने हिंदुओं की पवित्र तथा मां के समकक्ष गंगा नदी को पूरी तरह साफ करवा का गंगा मां का पुराना गौरव फिर से ला दिया होगा, माता जानती थी कि गंगा किनारे के सबसे पावन तीर्थस्थल वाराणसी की जनता ने ही भरपूर प्यार तथा समर्थन देकर नये शाशक को सत्ता के शिर्ष पर बैठाया था। माता लक्ष्मी की हार्दिक इच्छा थी कि साफ सुथरी पवित्र गंगा की देवतुल्य आरती में वो भी शामिल हो अपनी मनोकामना पूरी करेगी।
माता लक्ष्मी को इसबात का भी पूरा भरोसा था कि सभी देवी देवताओं को अपने शरीर मे वास करने का स्थान देने वाली गोमाता की हत्या भारत मे बढ़ती जा रही थी, नये शाशक ने हिन्दू जनता की भावनाओं को सन्मान देते हुवे गोहत्या रोकने का कानून बना दिया होगा, माता लक्ष्मी भी गोमाता को हत्या के डर से भयभीत नही, निडर व खुशी से दमकते चेहरे में देखना चाहती थी।

माता लक्ष्मी जब स्वर्ग लोक से भारत भ्रमण के लिये निकली थी तब उनके मन मे चार वर्ष पहले नारद मुनि के भारत के नये शाशक के बारे सुनाये संस्मरण ही चल रहे थे।क्योंकि नारद जी देवताओं के अन्य कार्यों के कारण भारत भूमि का दर्शन करने नही आ पाये थे, परंतु उन्होंने माता लक्ष्मी को भरोसा दिया था कि जितना उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान नये शाशक के देश की जनता को आश्वस्त किया था उस बात के अनुसार अवश्य ही भारत मे शानदार सुधार हुये होंगे।
माता लक्ष्मी का देव विमान अदृश्य रूप से महाभारत कालीन इंद्रप्रस्थ यानी वर्तमान में भारत देश की राजधानी दिल्ली में उतरा,भारत भूमि के दर्शन की मधुर कल्पनाओं में खोई देवी लक्ष्मी को परिचारिकाओं ने जगाया, देवी ने अपने दैवीय वस्त्रों को ठीक किया और अपने देवविमान के द्वार पर पहुंची परंतु जैसे ही देवी ने बाहर कदम रखा वातावरण के जहरीली हवा के एक झोंके ने देवी के नाक में प्रवेश किया,देवी का सर चकराने लगा,शरीर मे अजीब सी झनझनाहट होने लगी,देवी पर बेहोसी सी छाने लगी, सभी परिचारिकाएँ तथा विमान चालक घबराने लगे, वो भी बाहर निकल नही पा रहे थे, इंद्रप्रस्थ की हवा में इतना जहर कहाँ से आया वो समझ नही पा रहे थे।परिचारिकाओं ने विमान में सुगंधित हवा का अतिरिक्त प्रवाह प्रारम्भ किया,जिससे देवी धीरे धीरे सामान्य होने लगी, अब समस्या थी कि बाहर कैसे निकला जाये तथा हवा के जहरीली होने के कारण तथा भारत की स्थिति की सम्पूर्ण जानकारी मालूम कि जाये। सांस रोक कर कुछ समय सामान्य रह सकने वाले परिचारक बाहर निकले तो देखा बहुत से लोग मुंह पर कुछ बांध कर आ जा रहे थे जानकारी से मालूम पड़ा धरती पर इस नये आविष्कार को मास्क कहते है, जिससे वातावरण की जहरीली हवा से राहत मिलती है और लोग इधर उधर आ जा सकते है, किसी तरह सभी के लिये मास्क की व्यवस्था कर देवी लक्ष्मी विमान से बाहर आयी,बाहर के वातावरण में हवा में धूल व जहरीली गैसों भरी थी, अपनी दिव्य दृष्टि से माता लक्ष्मी ने देखा भारत की जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है,अपनी सुख सुविधा के लिये मनुष्यों ने कई तरह के आविष्कार किये है,उनके वाहनों से निकलने वाले धुंए, वातावरण को ठंडा करने की मशीनों, अन्य साधनों से निकलने वाली जहरीली गैसों से वातावरण प्रदूषित हुवा है, किसान अपनी फसल की कटाई कर बचे अवशेषों की खेतों में ही जलाता है उस धुंए से वातावरण जहरीला हो गया है, लेकिन नये शाशक ने पिछले चार वर्षों में भी इसका कोई समाधान नही निकाला है, बल्कि इसके समाधान के लिए कोई विचार करने का सोचा भी नही है, शायद उनको यह कोई समस्या लगी ही नही हो।
देवी लक्ष्मी ने अपनी दिव्य दृष्टि से पता लगाया कि सत्ता में आने के पहले नये शाशक व उनकी पार्टी के लोग भगवान राम की कसमें खाते थे कि वो आते ही उनकी जन्मभूमि पर उनका भव्य मंदिर बनाने की दिशा में कार्य करेंगे परंतु सत्ता पाते ही मंदिर बनाने की बात को पूरी तरह से भूला दिया, मंदिर बनाने की बात तो छोड़ो नये शाशक ने इसके समाधान की कोई पहल ही नही की,कभी कोई विचार ही नही किया, मंदिर मंदिर घूमने वाले नए शाशक ने कभी भगवान राम की जन्मभूमि स्थल पर जाने का सोचा तक नही, यह उनका न सिर्फ भगवान राम बल्कि करोड़ों भक्तों के साथ बहुत बड़ा धोखा था।

पवित्र गंगा की साफ स्वच्छ अविरल बहती धारा को देखने की माता लक्ष्मी की इच्छा पर मानो गंगा का गंदगी से भरा प्रदूषित पानी गिर गया, गंगा माता के पुत्र होने की बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले नए शासक ने न केवल अपनी ही मां के साथ बल्कि उनके करोड़ो अन्य पुत्रो के साथ बड़ा विश्वासघात किया, इतने वर्षों के बाद सिर्फ़ बातें बनाने के अलावा सफाई की दिशा में कोई काम नही हुवा,
माता लक्ष्मी की दिव्य दृष्टि एक समय भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले राज्य काश्मीर पर पड़ी जहां स्वतंत्रता से पहले हिंदू राजा था तथा राजाओं तथा सामान्य जनों में पूजनीय पंडितो का निवास था,जिनको स्वतंत्रता के पश्चात की सरकारों ने अपनी हिंदू विरोधी तथा मुस्लिम परस्त नीतिओ के कारण कश्मीर से मार काट के भागने को मजबूर कर दिया तत्कालीन मुस्लिम परस्त भारत की सरकार इन निर्मम हत्याओं पर आंख मूंद कर बैठी रही तथा अपनी ही जन्म भूमि को छोड़कर कश्मीरी पंडितों को देश के दूसरे भागों में शरणार्थी बनाना पड़ा, उन पंडितों को बहुत आशा तथा भरोसा था कि यह नया शासक जो हिन्दू हृदय सम्राट का चोगा पहन कर हिंदू हितों की बात करते हुये सत्ता में आया था उनको जरूर अपनी जन्मभूमि में फिर से बसाने की राह बनायेगा, परंतु नये शासक ने तो उन काश्मीरी पंडितो की पीठ के छुरा घोंपते हुये अपनी सत्ता लोलुपता के लिए पंडितों के घर वापसी के विषय पर तो आंखे मुंद ली ओर पंडितों की बेदखली के लिये जिम्मेदार देश तोड़ने व देश विरोधी  मानसिकता के लोगों के साथ सरकार में सहयोगी बन गये, दुश्मन देश के तथा अन्य आतंकी संगठनों के हाथों की कठपुतली बने अलगाववादीयो को हरतरह की सरकारी सुविधा तथा सुरक्षा देने पर करोड़ों रुपए खर्च करते रहे तथा भारतीय सेना की कार्यवाही  तथा सैनिकों की मौत पर भी केवल बेशर्मी से कड़ी निंदा तक सीमित रहे और सैनिकों पर पत्थर फेंकने वालो को छोडते रहे।देश के शिक्षा केंद्रों में देशद्रोह के नारे लगते रहे, देश तोड़क आतंकी समर्थक लोग पनप रहे है परंतु नये शासक आंखे मुंदे बैठे है,

माता को अपार दुख हुवा जब उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा नये शासक ने  बहुसंख्यक हिन्दू जनता की माता समान पूज्य गाय की हत्या रोकने की मांग पर पूरी तरह कान ओर आंखे मूंद ली थी,गो हत्यारो ओर तस्करों पर कोई बात नही पर अगर दःखी हिन्दू अगर अपनी गाय माता को कटने से बचाने गो हत्यारों से संघर्ष करते तो उन गो प्रेमियों को गुंडा जरूर बताया.
माता लक्ष्मी की दिव्य दृष्टि में पिछले चार वर्षों का घटनाक्रम चलचित्र की तरह आने लगा, नये शासक ने भृस्टाचार मिटाने ओर देश की जनता का जो धन पुराने शासकों ओर भृस्टाचारी नेताओं,अधिकारियों बड़े व्यापारियों ने लूट कर देश के बाहर के दूसरे देशों में जमा किया था, भारत मे अभी उस धन की काला धन कहा जाता को वापस लाने के बड़े बड़े वादे किये थे, सत्ता में आते ही वो सब वादों पर चुप्पी साध ली,तथा आंखे कान बंद कर बेसुध पड़े थे, न तो कोई काला धन आ पाया था भृस्टाचार और रिश्वत खोरी तो उल्टी बढ़ गयी थी, हालात तो यह हो गयी की काले धन वाले, भ्रस्टाचारी, देशद्रोही, आतंकी समर्थक बुद्धिजीवी, देश तोड़क मानसिकता के लोग अपने पर लगे हर आरोपों पर उल्टे नयी सरकार के कर्ताओं को खुली चुनोती देते है कि सरकार उनकी, पुलिस उनकी बडी से बडी जांच एजेंसियां उनके पास है तो फिर उनके पास दम है सबूत है तो उनपर कार्यवाही करके दिखाए, उन्हें जेल में डाल कर दिखाये उन्हें सजा क्यों नही दिलाते।

 माता लक्ष्मी ने अपनी अंतर दृष्टि से चिंतन किया कि अगर वर्तमान शासक जनता की तथा बहुसंख्यक हिंदू समाज की आशाओं तथा विश्वास की तरफ से चुपी साधे है तो कौन है जो उनकी सुनवाई कर सकता है परंतु वर्तमान शासक के विरोधी लोगों में तो ओर भी भयावह स्थिति थी, वहां तो तमाम ऐसे लोगों का जमावड़ा था जिन्होने अपने शाशन के दौरान जम कर देश के संसाधनों को लूटा था तथा अपनी कई कई पीढ़ियों तक भी समाप्त नही हो इतना अकूत धन देश मे तथा विदेशो में जमा कर दिया था, भारत की बहुसंख्यक हिन्दू जनता का जम कर शोषण किया था अल्पसंख्यक मुस्लिम तथा ईसाई समुदाय को खुश रखना ही उनका एकमात्र कार्य रह गया था, इसके लिए हिन्दू समुदाय का अपमान, उनकी परंपरा तथा सांस्कृति का जम कर अनादर किया था, जब हिन्दू समाज ने अपने भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर सदियों पूर्व बने मंदिर को तोड़ कर आततायी मुगलों द्वारा बनाई मस्जिद को ढहा दिया था उस श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर फिर से मस्जिद बनाने का विचार रखते थे। कभी श्रीराम के अस्तित्व को ही नकारते थे, देश की सबसे पुरानी पार्टी के जो बीतते समय के साथ साथ पारिवारिक पार्टी बनगई थी के नए अध्यक्ष को सत्ता तक पहुंचाने की जबरदस्त होड़ के चलते उनकी पार्टी के नेता तथा दूसरी पार्टी के नेता भी अनर्गल प्रलाप, बेहूदे आरोप ओर निम्नस्तरीय आचरण से देश का माहौल खराब करने में लगे थे, परिवारिक पार्टी के अध्यक्ष पद पर जबरदस्ती कब्जा किये नये अध्यक्ष अपने अपरिपक्व आचरण, उटपटांग हरकतों तथा बिना सबूतों के लगाए जाने वाले अनर्गल आरोपों के कारण गंभीर नेता से मसखरे ज्यादा लगने लगे थे,  वो ख़ुद तथा उनके साथी नेता किसी भी तरह से सत्ता हथियाने के एकमात्र कार्य को करने के उतावले पन में भारत के वीर तथा समर्पित सेना पर भी कीचड़ उछालने, उनकेलिए हथियारों की खरीद में अड़ंगे लगाने, देशद्रोही ताकतों के साथ खड़े होकर अपने ही देश को अपमानित करने, दुश्मन देश की तारीफ करने तथा बहुसंख्यक हिन्दू समाज को हर तरह से अपमानित करने में लगे है, जहां उनके नेता जो पहले कभी जीवन मे मंदिर नही गये थे अपनी पार्टी के मुस्लिमों की पार्टी के रूप में बन चुकी पहचान तथा लगें दाग को मिटाने मंदिर मंदिर दर्शन करने का पाखंड कर रहे थे वहीं उनकी ही पार्टी के नेता हिन्दुओ को आतंकी, तथा सबसे बुरा साबित करने की होड़ में जोर शोर से लगे थे।
उनकी सहयोगी अन्य पार्टियो के नेता भी जो नये शासक के बढ़ते प्रभाव के कारण सत्ता से बेदखल हो चुके थे वो सभी भी साथ मिलकर नये शासक के विरोध के दुष्प्रचार का जबरदस्त अभियान चलाए हुये थे, क्योंकि नया शाशक भले ही हिन्दुओ की अपेक्षाओं पर ज्यादा खरे नही उतरे थे परंतु अपनी ईमानदारी से बाकी सभी के भृस्टाचार पर अंकुश लगा दिया था जो भृस्टाचार के सबसे बड़े पेड़ जो देश की सबसे पुरानी पार्टी के रूप में विशाल फलदाई वृक्ष के रूप में विकसित हो चुका था, उसके सहारे उसपर रेंगते कीड़ों, या सांपो के रूप में भृस्टाचार रूपी फल खाकर ख़ुद को,अपने कुनबे को तथा अपनी पार्टी को मालामाल कर रहे थे, परंतु नये शासक के उच्च स्तर के भृस्टाचार, कमीशनखोरी बड़े हथियार अन्य खरीददारी में दलाली खाने पर अंकुश लगाने से भृस्टाचार का यह पेड़ सूखने लगे था तथा इस पर आश्रित सभी लोग के भी कमाई के सारे साधन बंद होने से अथाह धन आने के रास्ते बंद हो गये थे, अतः सभी चोर चोर मौसेरे भाई देश को तबाह करने की कीमत पर भी नये शासक को बदनाम कर उसे सत्ता से हटाना चाहते थे।
माता लक्ष्मी यह निर्णय नही कर पा रही थी कि किसके साथ भारत का विशेष रूप से हिन्दू जनता का भाग्य सुरक्षित है, एक तरफ तो वर्तमान शासक है जो ईमानदार है, कर्मठ है, योग्य है परंतु धर्मनिरपेक्ष कहलाने या साम्प्रदायिक होने का ठप्पा न लगे इसके लियबहुसंख्यक हिन्दू समाज से विश्वासघात कर रहा था, भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर मंदिर बनाने, मां गंगा को साफ सुथरी बनाने, गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने, काश्मीरी पंडितों की घर वापसी जैसे कार्यो पर आंख मूंदकर, कान बंदकर बैठा है, तथा दूसरी तरफ देश के संसाधनों को लूटने वाले, हर चीज में कमीशन या दलाली खाने वाले हिन्दुओ की भावनाओं, उनकी संस्कृति, रीति रिवाजों का मजाक बनाने वाले, चोर लुटेरों, भृस्टाचारियो, देशद्रोहीयो के साथियो की फ़ौज है।

माता लक्ष्मी ने समझ लिया अभी भी भारत देश का यहां के मूल निवासी हिन्दुओ का भाग्य अभी भी नही बदला है, भाग्य अभी भी नही चमका है, कई शताब्दियों से दुर्भाग्य की काली छाया भारत के भाग्य से हटी नही है और ना जाने कितने वर्ष, कितने दशक या कितनी शताब्दियाँ भारत की विश्व गुरु या सोने की चिड़िया जैसी ख्याति पुनः मिलने में लग जायेगी।

माता लक्ष्मी एकबार फिर किसी निर्णय की स्थिति में नहीं थी, माता को भारत की स्थिति में सुधार का कोई रास्ता सूझ ही नही रहा था,परंतु माता लक्ष्मी के मन मे यह चिंतन अवश्य था कि भले ही नया शासक हिन्दुओ की भावनाओं के साथ वो न्याय नही कर पाया था जिसकी उनसे भारत की  जनता को अपेक्षा थी परंतु वो देश की प्रगति की दिशा में पूरी ईमानदारी से लगा हुवा था इसीलिए देवी लक्ष्मी की यही चाह थी कि वर्तमान शासक देश की सत्ता में कुछ समय और बना रहे, फिर भी अपने अनिर्णय की स्थिति में तथा भारत को अपने भाग्य भरोसे छोड़ स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गयी।


सोमवार, 24 मार्च 2014

दोगला दिग्बिजय
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भारत के सबसे बड़े दुश्मन आतंकवादी ओसामाजी के परम भक्त,मुस्लिम आतंकवादिओं के प्रबल प्रशंसक किसी मुठभेड़ में मुस्लिम आतंकी के मरने पर सेना या पुलिस को आरोपित मानने कि शंका जाहिर कर उस घटना कि जाँच करने के प्रखर मांग कर्ता श्री दिग्विजय सिंह का कोंग्रेश पिठू संत स्वामी स्वरूपानंद जी कि प्रंशसा करना कि उन्होंने हर हर मोदी-घर घर मोदी, नारे पर आपति कर हिन्दू धर्म रक्षा की है,वेसा ही लगा जेसे अपने स्वार्थ के लिए कोई राक्षस साधू का वेश धर कर राम राम जप रहा है, किसी आतंकी वारदात में हिंदुओं के मरने तथा मुठभेड़ में पुलिस या सेना के जवान के मरने पर या तो कुछ भी दुःख नहीं जताने या केवल TV चेनल के सामने कुटिल मुश्कान चेहरेपर लाकर संवेदना के शब्द बोलने का ढोंग करने के माहिर कलाकार ,परन्तु आतंकियों के मरने पर उनके घर दुःख प्रकट करने जाने वाले,सेंकडो मुस्लिम आतंकवादिओं को अनदेखा कर पांच सात हिन्दू लोगो कि आतंकी घटनाओं को हिंदू आतंकवाद,भगवा आतंकवाद जैसी उपमाओं से आलोचना कर हिन्दू धर्म का अपमानं करने वाले दोगले को हिन्दू धर्म कि रक्षा का ख्याल आया है,हिन्दू धर्म का सबसे ज्यादा अपमान करने वाला बेशर्म हिन्दू धर्म के सन्मान कि बात करता है।  
   

मंगलवार, 18 मार्च 2014

कीचड़ उछालो अभियान के नए महारथी

अदभुत बात थी,आचर्यचकित करने वाली भी,वर्षों राज करने वाले दल के युवराज कह रहे थे कि उन्हें व उनके दल को साधारण लोगो से बने  नये नये दल के लोगों से सीखने कि जरुरत है,देश कि भोली भाली  नहीं नहीं  - ना समझ,हर तकलीफ को अपनी किस्मत का लेखा मान दृढ़ता से मुकाबला करने कि बजाय तकलीफ का रोना रोते हुए सहन करने वाली जनता,अपने आप को अति ज्ञानी समझने तथा युवराज के हर छोटे से छोटे कार्य पर महानता का आवरण चढ़ा गुणगान करने में अपनी शान समझने वाले युवराज भक्त मीडिया कर्मी , महारानी तथा युवराज कि वंदना से अपने दिन कि शुरुवात करने वाले,उनकी भक्ति में चापलूसी कि हदें पार करने वाले शब्दों का निर्माण कर  अपने को महारानी तथा युवराज का सबसे बड़ा भक्त साबित करने कि होड़ में लगे पार्टी के बड़े तथा छूटभये नेता ,सभी युवराज कि  बात से हेरान,परेशान थे।  जिस दल के बड़े बड़े बुजुर्ग यहाँ तक कि  युवराज के दादा या पिता कि उम्र के नेता  ,वर्षो से उस दल को अपनी सेवाएं देते रहे नेता, उनकी सरकार में मुख्य वजीर से लेकर अनेक महत्वपूर्ण विभागों के जानकर तथा समझदार वजीर भी युवराज से कुछ न कुछ सीखने को लालायित रहते हो,किसी हो चुके कार्य को अगर युवराज को गलत लगे तो अपनी गल्ती मान उसे बदलने और युवराज के महान ज्ञान पर नतमस्तक होने वाले नेता ,सभी आश्चर्यचकित थे कि युवराज को साधारण लोगो के नए नए दल से क्या सीखना है।   
वेसे महारानी व युवराज के नेतृत्व में उनके दल ने अपने प्रमुख विरोधी दल व उनके  नेता जिनसे उन्हें अपने राजपाट छीनने का सबसे ज्यादा डर सता रहा है,के ऊपर कीछड़ उछालने का अभियान चलाया हुवा है,शायद ही कभी कोई दिन ऐसा जाता हो कि उनके दल का कोई न कोई नेता नए नए घटिया शब्दों या अभद्र भाषा में उनपर कीचड़ नहीं उछालता हो,एक तो ओछे शब्द ,व अभद्र भासा फिर चहरे पर कुटिल मुस्कान लिए,अपने मनपसंद टीवी चेनलों पर विरोधी दल व उनके बड़े नेता पर कीचड़ उछाल कर अपने आप को बेहद गौरान्वित महसूस करते है,ऐसा लगता है उनको यह भरोसा हो रहा है,कि महारानी व युवराज के दरबार में उनका रुतबा और बढ़ जायेगा,तथा उनसे  उनके दूसरे सहयोगी उनसे प्रेरित होकर जोर शोर से कीचड़ उछालने के नए नए शब्द,नए नए तरीके इजाद करेंगे तथा उनके इन प्रयासों से महारानी व राजकुमार को शांति व ख़ुशी मिलेगी।  
 वेसे युवराज आजकल चुनावी माहोल में कई ऐसे कारनामे कर जाते है जिनका उनकी पार्टी के पक्के पकाये नेता न पहले अंदाजा लगा पाते है, न बाद में पूरी तरह समझ पाते  है, युवराज भी कहाँ समझ पाते है,पता नहीं किसीके बहकावे या अपनी खुद कि दुर्लभ समझ का इस्तेमाल कर ऐसा कुछ बोल जाते है,कि खुद  उन पर तथा उनकी पार्टी पर भारी पड़ जाता है,फिर भी उनकी पार्टी के लोग उनकी बातो के नए नए अर्थ निकाल हकीकत में पार्टी को होने वाले नुकसान को सफलता दर्शाने में जीतोड़ मेहनत करते है तथा युवराज को सांत्वना देते है।  ऐसे में अगर युवराज अगर नयी नयी पार्टी के नए नए लोगो से कुछ सीखने कि जरुरत महसूस करते है तो पार्टी के  लोगो का चौंकना स्वाभाविक है, वर्ना अब तक तो वो यही मानते थे कि कीचड़ उछालने  में तो उनका कोई मुकाबला कर ही नहीं सकता,केसे कर सकता है पिछले कई कई वर्षों से ऐसा करते करते वो इतने माहिर हो गए है,कीछड़ उछालने में उन का ऐसा एकाधिकार सा होगया है कि जब भी वो कोई अच्छी बात भी बोलते है तो भी आम जनता को दूसरों पर कीछड़ उछालने जैसा ही प्रतीत होता है।  
 यहाँ  साधारण लोगो कि नयी पार्टी से सीखने कि जरुरत कि युवराज कि सोच सही थी, इस कार्य में गहरी समझ रखने वाले कुछ नेता ही युवराज कि बातो का अर्थ समझ पाये थे,पिछले कुछ वर्षों से विरोधी पक्ष तथा उनके नेताओं पर अनवरत कीछड़ उछालते रहने के बावजूद भी युवराज कि पार्टी हर चुनाव में पिछड़ती जा रही थी, दूसरे पक्ष के राज्यों पर अपना अधिकार करने कि तमाम कोशिशे तो बेकार साबित हुयी ही बल्कि अपने अधिकार वाले राज्यों में भी बुरी तरह पराजित हो बाहर होना पड़ा,युवराज कि छवि बनाने के लिए अपनी ही सरकार द्वारा पहले गलत निर्णय लेकर बाद में युवराज द्वारा  विरोध करवाकर उन निर्णयों को बदलने जेसी नोटंकी कर तथा विरोधी पक्ष के नेता पर अनवरत कीचड़ उछालने पर भी युवराज कि खुद कि छवि व जनता में उनकी साख निरंतर गिरती जा रही थी, पुरे देश में कई समाचार चेनलों द्वारा प्रस्तुत देशवासियों के विचारों के अनुशार  भी प्रमुख वजीर बनने में देश कि पसंद में प्रमुख विरोधी पार्टी के नेता से बहुत ज्यादा पिछड़ रहे थे,यानि कही उनके आसपास भी नहीं थे,  जिस पार्टी के नेताओं ने ज्यादातर समय अपने विरोधियों पर कीचड़ उछलने,देश कि प्रजा को धर्म,जाति ,प्रान्तवाद उंच नीच का झगड़ा करवा कर अंग्रेजों से विरासत में पायी शासन पद्दति बांटो और राज करो को के आधार पर शाशन किया हो,जनता को मुर्ख बना वोट लेने के समय देश सेवा का मुखोटा लगा देश कि जनता को ठगा हो, वो भला विकाश करना ,जनता का भला करना तो जानते नहीं,अब जनता देर से सही समझने लगी है,युवराज जनता कि नजरों में गिरते जा रहे थे।  
 अब युवराज कि पार्टी के सभी लोग नए बने के दल के साधारण लोगो से युवराज क्या सीखना चाहते है,समझने लगे थे, इस दल के लोग पहले एक निस्वार्थी,सच्चे देशभक्त व्यक्ति के साथ देश से बेइमानी,भ्रस्टाचार आदि मिटाने के आंदोलन के साथी थे,फिर कुछ अति महत्वाकांक्षी  लोगो कि महत्वाकांक्षा जागी व अपने गुरु से विश्वासघात कर अपनी नयी पार्टी बनाली और अपने अलावा सभी को बईमान घोसित कर सभी पर खासतौर पर युवराज के विरोधी पक्ष के नेताओं पर कीछड़ उछालने का सघन अभियान चलाया,   कुछ कुछ युवराज पक्ष के लोगो को भी लपेटे में लिया,देश कि बदनसीब जनता फिर कुछ लोगो के बहकावे में आगयी,और नये लोगों को अच्छा साथ देकर सत्ता के निकट पहुँचाया,जिनके विरुद्ध प्रचार करके जिनको सबसे बड़ा बईमान बता कर, जिनका न कभी साथ लेंगे न उनको देंगे ऐसी कस्मे खाकर पलटते हुए सत्ता सुख भोगा,यही तो युवराज को सीखने कि जरुरत थी,कि जो कीचड़ उछालने का काम उनके दल के लोग वर्षों से करते आरहे थे,जिसमें उनके दल के तथा उनके सहयोगी दल के लोग सबसे ज्यादा माहिर थे,वो यह क्यों नहीं कर पाये,जबकि नए आये लोगों ने न सिर्फ अपने अलावा बाकि सभी दलों पर,सभी संस्थाओं पर  भरपूर कीछड़ उछाला, जनता को भरपूर झूठ बोला,फिर भी जनता ने उनको समर्थन देकर सत्ता के नजदीक पहुँचाया,यही राज तो युवराज को जानना था,इस लिए उनको समर्थन देकर सत्ता में पहुँचाया। 
   युवराज भी थोड़े नासमझ है,इतना भी नहीं समझ पाये कि देश में मिडिया नामक अति अहंकारी ,अपने आप को सबसे समझदार मानने वाला झुण्ड है,जिसके अधिकतर लोग मुख्य विपक्ष के प्रमुख  नेता को पछाड़ने,उनको बदनाम करने के लिए उनपर निरंतर कीचड़ उछलने में लगे है, मुस्लिम परस्त सोच से प्रभावित छोटे छोटे दलों के लोगो के साथ मिल कर  इन लोगों ने इस व्यक्ति पर भरपूर कीचड़ उछला, अल्प ज्ञानी युवराज को महाज्ञानी कि तरह प्रचारित कर उनकी छोटी छोटी बातों को महिमा मंडित कर विपक्ष के प्रमुख नेता को निचा दिखाने उनको बदनाम करने का भरपूर प्रयास किया,परंतु उनके विकास कार्यों से प्रभावित उनके  प्रदेश कि जनता को अपनी सारी  कोशिशो के बावजूद बहका नहीं सके,ऐसेमें उनको अपने ही जेसे कीचड़ उछालने के नए महारथी मिले तो ऐसे मिडिया वालों के दिल ख़ुशी से झूम उठे,वर्षों से दबी कुंठा को पंख लगे,उनके प्रदेश में तो  जनता को अपने झूठ व मक्कारी के जाल में नहीं फसा सके, दूसरे प्रदेश कि उनके  विकाश कार्यो से अनजान जनता को बहका कर उन्हें कुछ कुछ पछाड़ने में तो सफलता मिल ही गयी,देश के अधिकतर राष्ट्रिय समाचार चेनलों ने नए आये अपने को मामूली मानने वाले लोगो के कीछड़ उछालो अभियान को खूब प्रचारित किया,उनके द्वारा फेंके गए कीचड़ में अपना कीचड़  मिला कर विरोधी पार्टी के  मुख्य नेता पर उछालने में लग गए।  
  यह तो जनता के साथ बड़ा धोका हो गया, कीचड़ उछलने वालो को बिना किसी आधार के आरोप लगा उतेजना फैलाने कि आसानी तथा सत्ता चलाने तथा जनता के वादे पुरे करने कि कठिनाई समझ में आने लगी,झूठे वादे कर मिडिया के सहयोग से जनता को बहका तो दिया अब जिम्मेदारी निभाने में हाथ पैर फूलने लगे,हर तरफ होने वाली  आलोचनाओं से परेशान अपने ऊपर उठते सवालों पर सही जबाब देने के बजाय चिल्ला चिल्ला कर उटपटांग बाते कर विषय को भटकाने में लगे रहे। किसी तरह सत्ता से बच निकलने को छट पटाने लगे,वो जान गए थे कि कितने ज्यादा दिन सत्ता में रहे आलोचनाओं तथा नाकामयाबियों का कीचड़ उनपर ही गिरेगा,जनता को रहत देने के अनेक वादो को पूरा करने से बचने के लिए एक वादे को सविंधान के विपरीत अपने आप को सविंधान मान पूरा करने को जिद करने लगे,जनता को राहत कि नहीं अपने अहंकार कि जिद पूरी करने के लिए जनता को धोका दे  मैदान छोड़ भाग खड़े हुए, 
   अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ा,आम लोगो कि नयी पार्टी के ये भगोड़े नेता अब जैल से छूटे कैदियों कि तरह राहत महसूस कर रहे है,अब जनता कि कोई चिंता नहीं है,अपने पुराने कीछड़ उछालो अभियान में जोर जोर से लग गए है,खुद 50 दिनों तक भी जनसेवा नहीं कर सके,विपक्ष के नेता से जो पिछले 12 वर्षों से निरंतर जनसेवा करते हुए अपने प्रदेश को विकाश कि नयी ऊंचाइयों तक पहुँचाया है,उनसे जनसेवा केसे करेंगे सवाल पूछ रहें है,उनके दिमाक में कितना कीचड़ भरा है या दिमाक  कीचड़ निर्माण का कारखाना है,अधिकतर कीचड़ उनपर उछालते हुए थोडा कीछड़ युवराज कि पार्टी पर भी फेंक देते है,उनको अपने अभियान में अधिंकांश मिडिया के बुधिजीवी कुचक्री लोगो तथा समाचार चेनलों का भरपूर सहयोग मिल रहा है,इनके कीछड़ में ये लोग अपना कीचड़ और मिला विपक्षी नेता पर उछाल रहे है,अधिंकांश चेनलों के जनता में कराये गए सर्वे में इन मुख्य नेता को जनता के  सबसे अधिक पसंद के आंकड़ो को भी ये कुंठित लोग निरर्थक व बकवास तर्क देकर झुटलाने का प्रयास करते है,भगवान इन्हे सदबुद्धि  दे।  
  अरे भाई जनता तो सब समझती है,अब नासमझी दूर करदी है,जिम्मेदारी से भागने वालों को,तथा जनहित के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाने हर परिस्थिति का डट कर मुकाबला करने वालों को भी,झूठे मक्कार नेताओं को भी तथा दोगले चरित्र के मिडिया के लोगो को भी, परिवर्तन तो होना ही है।  
    

शनिवार, 8 मार्च 2014

kejariwal ke chatukarita puruskar

केजरीवाल के चाटुकारिता पुरस्कार
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मेरे जेसे अराजक,झूटे व भगोड़े को आपने मीडिया का हीरो बनाया, मुझे मेरी गलती मालूम पड गयी है कि मीडिया राहुल विरोध पर नहीं मोदी विरोध पर TV चेनल का हीरो बनाता है,मेरी इस चाटुकारिता का प्रथम पुरुस्कार  विजेता है,टीवी टुडे व आजतक चैनल ,उसके एंकर व संवाददाता ,दूसरा पुरुस्कार विजेता, NDTV  तथा ABP News  चैनल ,तथा कुछ दूसरे चैनल उसके एंकर व संवाददाता ,तीसरा पुरुस्कार विजेता वो सभी पक्षपाती पत्रकार जो TV बहस में तथा हर जगह मेरी तथा मेरी पार्टी के लोगों कि बकवास व बिना सबुत लगाये आरोप पर मोदी से जवाब मंगाते है,यह जानते हुयी भी कि मेने मेरी नाकामियों पर उठे किसी सवाल का जबाब नहीं दिया, शाशन करने में  मेरी साबित अयोग्यता को छोड़ मोदी कि योग्यता पर मेरे उठाये सवालों को अधिक महत्त्व देते है।     

बुधवार, 6 नवंबर 2013

युवराज का गुस्सा


\आज युवराज बहुत गुस्से में है,चेहरा तमतमा रहा है,बारबार बांहें चढ़ा रहें है,बांहे हर बार फिर निचे उतर आती है,शायद युवराज भी ऐसा ही चाहतें है,चहरे में इतनी भावशुन्यता है की प्रचंड गुस्से के बाद भी किसी को समझ नहीं आरहा है कि युवराज गुस्से में है,इसलिए बारबार बाहें चढ़ाकर युवराज सबको अपने जबरदस्त गुस्से में होने का आभास दिला रहें है,युवराज के आसपास उनके वजीर बहुत सहमे हुए है,किसी के मुंह से बोल नहीं निकल रहे है,सब युवराज के गुस्से के कारण का अनुमान लगाने में अपनी पूरी समझ झोंक दे रहे है,एकबार पहले भी युवराज दुसरे पक्ष के लकिन अपने समर्थक दल के प्रमुख की किसी बात पर सार्वजनिक सभा में अपने गुस्से का प्रकटन किया था,जब जनता उनके भावशुन्य चहरे से यह समझ नहीं पाई की उनको गुस्सा आरहा है,तब उन्होंने ऐसे ही बाहे चढ़ा कर तथा जिस बात पर गुस्सा था उस पेपर को फाड़ कर जनता में यह साबित किया था कि जनता यह माने की उन्हें गुस्सा आरहा है, पर अब के गुस्से को उनके चारण रूपी वजीर समझ नहीं पा रहे थ इस बार न तो उनके किसी समर्थक दल ने तथा न विरोधी दल ने ऐसा कोई काम किया था की उनको गुस्सा आये,उनके प्रमुख वजीर तो अपनी सरकार को कमजोर मान विदेशी सरकार के मुखिया से उनकी मनमानी शर्तों पर अपनी घुटने टेकू प्रवृति के अनुसार कुछ मांगने गए थे। देश में उनके दुसरे वजीर तो यह जानते थे,की उनके दल के चाहे कोई छोटे टटपूंजीये नेता हो या बड़े वजीर उनके देश की जनता को लुटने वाले कांड हो या सरकारी धन या जमीन हड़पने की बात युवराज को कभी गुस्सा नहीं आया। उनके वजीर यह भी जानते है की युवराज को तब भी कभी गुस्सा नहीं आया जब उनकी पार्टी के लोगो ने सहयोगी पार्टी के लोगो के साथ देश के खजाने की लूट की थी,उनके प्रमुख वजीर के कार्यकाल में जब देश के प्रमुख संसाधन कोयला की जम कर लूट हुयी थी,युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया  था जब उनके जीजाजी ने बहुत कम समय में बड़े हेरान करने वाले तरीके से अरबों की दोलत जमा कर की थी, सहमे से दिख रहे युवराज के वजीर गंभीरता से चिंतन करके भी युवराज के गुस्से का कारण समझ नहीं पा  रहे थे, युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया था जब पडोसी देश के भेजे आतंकवादियों ने  हमारे देश के प्रमुख शहर में कत्लेआम मचा दिया था,युवराज को गुस्सा तब भी नहीं आया था जब उसी देश के सैनिकों ने हमारे देश के सेनिकों को मार कर उनका सर काट अपने साथ ले गए ,उसके बाद भी धोके से हमला कर हमारे सेनिकों को मार दिया ,हमारे देश में घुसपेट की तब भी युवराज को गुस्सा नहीं आया,उन्होंने न उसदेश के प्रति अपना गुस्सा दिखाया ,न अपने सेनिकों के प्रति कोई संवेदना ,न अपने प्रमुख वजीर को उनको सबक सिखाने को प्रेरित किया ,न उनसे बातचीत करने को रोका ,बल्कि तब भी गुस्सा नहीं किया जब उसदेश के वजीरो की हमारे देश के वजीर शानदार दावत देकर मेहमान नवाजी का फर्ज निभा रहे थे,देश के सेनिकों व देश की जनता के प्रति उनका क्या फर्ज है उनको मालूम न हो ऐसा तो नही होगा,पर शायद देश की जनता को धोका देना ही उनका फर्ज है सब वजीर मानते है,पर युवराज को गुस्सा नहीं आया। 
  काफी सोचने के बाद भी युवराज के गुस्से का कारण किसी को समझ नहीं आरहा था, वो जानते थे युवराज को गुस्सा तब भी नहीं आया  जब एक दूसरे पडोसी की सेना जब मन हो कई कई किलोमीटर हमारे देश की सीमा में घुस आयी थी,,अपने टेन्ट गाड कई दिनों तक पड़ी रही ,अपने बेनर लगा कर वो क्षेत्र उनका बताकर हमें वो जगह खाली कर जाने को धमकाती है, कायर रक्षा मंत्री जनता को मुर्ख मान ज्यादा चिंतित नहीं होने की बात कहते है,इस घुस्पेट को मामूली मान सेनिको को हाथ बांध लाचारी की भूमिका में लादेतें है,बेशर्मी या कायरता की हद कि उस देश का आदेश मान  अपने ही सेनिकों को अपनी सरजमीं से पीछे हटने का आदेश देते है, युवराज को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। 
  युवराज का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था,बारबार बाहें चढाने की गति बढती जा रही थी,किसी को कुछ समझ नहीं आरहा था,सब जानते थे की युवराज को तब भी गुस्सा नहीं आया था जब उनकी पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के सहयोग से अपराधियों को चुनाव लड़कर देश के सभी  राज्यों के सरकारी वजीर बनने का रास्ता साफ करने का कानून बनाया था,जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपराध की सजा पाए लोगो को चुनाव लड़ने से रोकने का कानून बनाया था,तब युवराज की पार्टी के लोगो ने सजायाप्ता लोगों के प्रति  अपना विशेस प्रेम दिखाते हुए उनके मंत्रिपद को बचाने,सबसे बड़ी अदालत के निर्णय को समाप्त करने,अदालत के निर्णय के ऊपर अपना मनमाना निर्णय थोपनेअध्यादेश लाया था,तब भी युवराज को गुस्सा नहीं आया।  
 तभी अचानक गुस्से में तमतमाते युवराज जब  उनकी पार्टी के लोग समाचार चेनलों के युवराज के गुणगाता अपने मित्रो को कुछ बता रहे थे अचानक प्रकट हुए ऒर लगभग पूरी बाहें चढ़ा,चहरे पर जबरदस्ती से गुस्से के भाव ला उनकी पार्टी के, उनकी जानकारी में लाये,उनके प्रमुख वजीर की अवमानना कर उस अध्यादेश को बकवास बताया ,उसे फाड़ कर कचरे के डब्बे में फेंकने को कहा, अब सबको उनके गुस्से का कारण समझ आया ,देश के राष्ट्र प्रमुख ने  उस अध्यादेश को गलत मान  दस्तख़त करने से इंकार कर युवराज के कुछ वजीरों से सवाल किये थे, युवराज का गुस्सा वाजिब था जिस राष्ट्र प्रमुख को उनकी ही पार्टी ने बनाया था,कुछ समय पहले  तक वो ही व्यक्ति युवराज के सामने नतमस्तक होकर युवराज की हर आज्ञा को मानने में गर्व महसूस करता था ,युवराज का आदेश मानना अपना सोभाग्य मानता था,आज वही व्यक्ति महारानी व युवराज की जानकारी व सहमती से बनाये अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने को मना कर रहा था,उसके वजीरों को बुला सवाल कर रहा था।  युवराज के वफादार वजीरों ने युवराज को इस बेइज्जती को अपने पक्ष में जनता का हिमायती साबित करने का रास्ता बताया ,अध्यादेश को बकवास बता कचरे में फेंकने लायक बताने की सलाह दी,युवराज ने वैसा ही किया,युवराज के वफादार कुछ समाचार चेनलों ने भी अपनी वफ़ादारी साबित करने का पूरा प्रयास किया , सरकार द्वारा अध्यादेश वापिस लेने श्रेय राष्ट्र प्रमुख या विरोधी पक्ष के विरोध को नहीं बल्कि युवराज को  होने का जबरदस्त प्रचार किया ,जनता को हमेशा की तरह फिर से  नासमझ मानने की अपनी पुरानी आदत का नमूना पेश किया।  


मंगलवार, 9 जुलाई 2013

कांग्रेश के भोंकू झुण्ड के नक़्शे कदम पर नितीश कुमार


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महा आतंकवादी ओसामा लादेन जी के परम भक्त, मुस्लिम आतंकवादिओं के परम हितेशी कांग्रेश की भोंकू झुण्ड के चेयर पर्सन के नेतृत्व में भोंकू झुण्ड के सभी सदस्य एक बार फिर से  विकाश मार्ग पर अनवरत गतिमान नरेंदर मोदी नामक हाथी के पीछे बेहद कर्कश स्वर में भोंकना सुरु कर दिया हे, विशेष बात यह हे कि इस बार इस कार्य में नितीश कुमार भी बुलंद स्वर में अपनी आवाज मिला रहें हे, भोंकू झुण्ड के चेयरपर्सन किसी भी आतंकवादी घटना  पर जब शक मुस्लिम संघटनो पर जाता हे, तब तो जाँच पूरी होने तक मुस्लिम संघटनो पर शक नहीं करने की बात कह कर आतंकवादी मुस्लिम संघटनो के प्रति अपनी व अपनी पार्टी की वफ़ादारी साबित करते हे, पर वंही नरेन्द्र मोदी या भाजपा पर बेहद घटिया स्तर  पर जाकर बकवास व शर्मनाक आरोप संभावना के रूप में  लगाने के लिए किसी भी जाँच के  पूरी होने की बात तो दूर शुरू होने का इंतजार भी नहीं करते। पता नहीं कितने हिन्दू विरोधी तथा हिन्दूओं का कत्लेआम करने वाले मुस्लिम आक्रान्ताओं,दरिन्दों की आत्मा इनमे घुस गयी हे, कि हिन्दुओं की मोत   या उनके पूजा,उपासना स्थलों की बर्बादी पर भी ये कुटिलता से  मुस्कराकर मुस्लिम आतंकवादिओं के सरंक्षण व राजनेतिक स्वार्थ के लिए आतंकवादी घटना के लिए विपक्षी पार्टी के प्रमुख लोगो से जोड़ने का निंदनीय कार्य करते हे. 
   भोंकू झुण्ड के चेयरपर्सन व उनके झुण्ड के दुसरे सदस्य तो खेर विकृत मानसिकता के विक्षिप्त लोग हे, हालाँकि समाचार चेनलों के वो सर्वाधिक चहेते हे, महाबोधि मंदिर के आतंकी हमले के बाद  उनके गेरज़िम्मेदारान बयान के बाद जहाँ कुछ चेनल उनकी आलोचना कर रहे थे , एक चेनल के संवाददाता  हँसते हँसते मजेदार माहोल बनाकर उनके गेर जिम्मेदार कृत्य पर उनसे सवाल जबाब कर उन्हें सही साबित करने में अपना श्रम लगारहा था या मालिक के प्रति अपनी वफ़ादारी निभा रहा था ,कह नहीं सकते .
   जबसे नितीश कुमार कोंग्रेश से मुस्लिम परस्ती के नए नए गुर सिख रहे हे, मुस्लिम आतंकवाद पर इनके चहरे पर चिंता या फ़िक्र के कोई भाव नहीं आते, बल्कि इस अवसर को भी वे कान्ग्रेसिओं की तरह विरोधी पक्ष के नेताओं की आलोचना कर अपने को बड़ा  मुस्लिम परस्त साबित करने के लिए इस्तेमाल करते हे. यहाँ भी इस अवसर का इस्तेमाल नितीश ने मुस्लिम आतंकवाद का विरोध करने के बजाय मोदी जी का विरोध करने के लिए किया .कितनी कुटिलता से हिन्दुओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए उन्होंने कह दिया की ब्लास्ट को रोक नहीं सकते, यानि हिन्दुओं को अपने हालात पर छोड़ दिया चाहे मरे या जिए ,अगर फिर कोई घटना हो तो उनका कोई दोष नहीं होगा .हा अगर किसी घटना में मुस्लिम मरता तब उनकी आत्मा जरुर रोती,जेसे कोंग्रेसिओं की रोती हे, तभी वो मुस्लिम आतंकवादिओं के मरने पर उनके घर जाकर  विलाप करते हे, ओसामा जी कह  उनका  सन्मान करते हे, 
  नितीश जी ने फरमाया की आदमी की जबान नहीं काम  बोलता हे, एक विवादस्पद व्यक्ति के कारण पुराना साथ छोड़ना पडा , सही बोला  आप  आजकल टी वी पर कुटिलता से मुस्कराते चहरे के साथ खूब बोलते हे,जब से भाजपा से विश्वासघात कर उनका साथ छोड़ा हे टीवी पर आप ही बोलते दिखे हे नरेन्द्र मोदी के लिए खूब जहर उगल रहें, नरेन्द्र मोदी को कभी आपके लिए बोलते नहीं सुना,सज्जन आदमी की अपनी मर्यादा होती हे,  भाजपा के सहयोग से किये बिहार के विकाश कार्य का अकले श्रेय लेने आपकी जुबान खूब बोल रही हे, जबकि नरेन्द्र मोदी के विकाश की बात वो खुद ही   नहीं,बल्कि   पुरे देश की जनता खूब कर  रही हे. जिस व्यक्ति को आप विवादास्पद कह रहे हे, P M पद के लिए वो सर्वाधिक  जनता की पसंद हे, उनके सामने आप दूर दूर तक नजर नहीं आते हे, हाँ पक्षपाती चेनल आपको उनके विरुद्ध जहर उगलने का पूरा मोका देते  हे.  
  आपने कहा की आप की पकड़ आसमान पर नहीं हे, हो भी नहीं सकती,मुस्लिम परस्ती से आगे जिनकी सोच ही नहीं जाती हो, वो विकाश की आशमानी ऊंचाई कहाँ पा सकते हे, वो तो वो ही पा सकते  हे, जिनकी ऊँची  व सबके लिए समानता की सोच हो , वो जमीन से जुड़े रहकर भी आशमान पर अपनी पकड़ रख सकते हे. सत्ता के लिए आपकी छटपटाहट भी इतनी निचले स्तर की हे, की जिनकी बदोलत मुख्यमंत्री बने उस सच्चे दोस्त के साथ दगाबाजी करने में भी शर्म नहीं आई, कुछ दिन पूर्व आपने कहा था की भाजपा से अलग होने के दो दिन में हमने विश्वास मत पा लिया , क्यों नहीं पाते , आप कोंगरेश से विश्वास मत पाने  के तरीके सिख रहे थे, केसे लालच देकर,खरीद कर, धमका कर कांग्रेस विश्वास मत हासिल करती हे, आप सिख गए हे, केसे जिसको जीवन भर कोसा,जिनके विरोध की राजनीती कर इतना बड़ा मुकाम हासिल किया ,अपने स्वार्थ के लिए दोस्तों से गद्दारी कर केसे उनकी गोद में बैठते हे जनता को आपने दिखाया हे. 
   भगवान से प्रार्थना हे  देश को आप जेसे दगाबाजों ,मोका परस्तों से बचाये .      

सोमवार, 24 जून 2013

कांग्रेस के भोंकू झुण्ड का हमला

आज महा आतंकवादी ओसामा लादेन जी के परम भक्त, मुस्लिम आतंकवादिओं के परम हितेषी कांग्रेस के भोंकू झुण्ड के चेयरपर्सन के नेतृत्व में कांग्रेस के भोंकू झुण्ड के सभी सदस्य नरेन्द्र मोदी नामक हाथी जो बिना चीखे चिल्लाये विकाश मार्ग पर अनवरत चल रहा हे, के पीछे ऊँचे सुर में भोंकना सुरु कर दिया हे, इसी तरह की आदत वाले कुछ समाचार चेनलों के संवाददाता भी इस कार्य में अपना भी  सुर मिलाते  हुए उनके भोंकने को  बढ़िया कवरेज देकर निरंतर प्रसारित कर रहे हे, दरअसल जबसे नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ में आई भयंकर विपदा व तबाही से बर्बाद हुए महान मन्दिर में पुनरुधार करने की पेशकस की हे , भोंकू झुण्ड के सदस्यों के पेट में मरोड़ मचनी सुरु हो गयी हे, जो खुद हर क्षेत्र में नाकारा साबित हुए हो उन्हें दूसरो की सफलता पचती नहीं हे, अपनी नाकामियों को (जेसा की उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री  की नाकामी  इस विपदा का सही ढंग से निपटने में नजर आई,) छिपाने के लिए सफल व्यक्ति पर भोंकना ही इनका तरीका हे, मिडिया का पुरा पुरा सहयोग तो इनको मिलता ही हे, या यों भी कह सकते हे, भोंकू झुण्ड व पक्षपाती मिडिया का यह एक सयुक्त अभियान हे. 
   इस  भोंकू झुण्ड के सदस्यों ने सोचा की उनकी महारानी व उनके आज्ञापलक मुख्य वजीर ने अपने आलिशान विमान में बेठ कर तबाही के भयंकर मंजर व उसकी  की शिकार जनता को 15 -20  हजार फिट की ऊंचाई से देख कर जनता के दुःख दर्द दूर कर दिए हे , अब किसी को वहां जाने की जरुरत नहीं हे, तबाही के शिकार लोग महारानी के गुणगान कर अपना दर्द भूल जायेंगे , लेकिन जब नरेन्द्र मोदी ने वहां जाकर लोगो के दुःख दर्द को देखा सुना और मंदिर व केदारनाथ परिसर के पुनारुधार की पेशकस की तो इनके व इनके मिडिया सहयोगिओं की छाती पर सांप लोटने सुरु हो गए, 
विपक्षी दल का इस भयंकर विपदा में  एक P M के होते हुए भी युवराज को ही P M मानने वाले  इनके युवराज के देश में आकर प्रभावित लोगो के दुखदर्द में शामिल होने के बजाय   विदेश में मोज मस्ती करते रहने के लिए सवाल पूछने पर भोंकू झुण्ड के सदस्य जोरदार भड़के हुए हें, इनका मानना हे की उनके युवराज तो भगवान से भी ज्यादा महान  हे, वो तो विदेश में बैठकर अपना आशीर्वाद देकर जनता के दुःख दर्द दूर कर देंगे, अभी कुछ दिन पूर्व ही युवराज के परम कृपा पात्र वजीर जब देश में नक्सल आतंकवादिओं के हमले में इनकी पार्टी के बड़े नेता मारे  गए थे तब भी विदेश में ही रहे क्योंकि इनको वहां तीन दिन बाद आँखों का चेकअप करना था , महान लोगो का चेकअप देश के साधारण डाक्टर केसे  कर सकते थे, देश की  मामूली जनता मरे तो मरे. 
  यह भी संभव हे की पार्टी के नेताओ ने  अपने युवराज को खबर देना ही जरुरी नहीं समझा हो , गरीब देश वासिओं के दुःख दर्द व तबाही जेसे मामूली कार्य के लिए युवराज की मोजमस्ती में खलल डालना इन्हें अनुचित लगा होगा, या युवराज को एसा बताकर उनको नाराज करना नहीं चाहते हो, युवराज की चापलूसी कर उनकी नज़रों में चढ़ना ही तो इनका प्रमुख कार्य हे ,इसी की आदत पद चुकी हे.  देश में काला धन बहुत हे , यह भी संभव हे की युवराज मोजमस्ती के लिए नहीं , किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए गए हो, इसलिए इस समय युवराज को जनता के दुःख दर्द की बात कहना भोंकू झुण्ड के लोगो को अपने राजनेतिक जीवन के लिए खतरा लगता हो,  सभी को सोचना हे.